दवा का ओवरडोज होना क्या है?
दवा की अधिक मात्रा लेने की स्थिति को “ड्रग ओवरडोज” कहा जाता है। दवा कई बार जानबूझ कर या गलती से अधिक मात्रा में ली जा सकती है। ड्रग ओवरडोज तब होती है, जब कोई व्यक्ति किसी दवा को डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई मात्रा से अधिक ले लेता है। हालांकि कई लोग कुछ विशेष प्रकार की दवाओं के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं और इनको अधिक मात्रा में लेने से ये दवाएं उनके शरीर में जहरीला प्रभाव डाल सकती हैं।
दवा के ओवरडोज के लक्षण क्या हैं?
दवा की अधिक मात्रा लेने से किसी व्यक्ति में कई लक्षण विकसित हो सकते हैं और हर व्यक्ति व उसके स्वास्थ्य के अनुसार यह लक्षण अलग-अलग भी हो सकते हैं। इसके साथ ही दवा और उसकी अधिक मात्रा के अनुसार भी व्यक्ति को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं।
किसी दवा को अधिक मात्रा में लेने से आमतौर पर निम्न प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं:
- मतली और उल्टी
- पेट में मरोड़
- दस्त
- सिर घूमना (और पढ़ें - चक्कर आने के लक्षण)
- शरीर का संतुलन ना बना पाना
- दौरे पड़ना
- तंद्रा (नींद आने जैसा महसूस होना)
- उलझन रहना
- सांस लेने में दिक्कत या सांस ना ले पाना
- मतिभ्रम (hallucination)
- ठीक से देख ना पाना या देखने संबंधी अन्य कोई समस्या
- गंभीर रूप से खर्राटे आना
- त्वचा नीली पड़ने लगना
- कोमा
दवा की ओवरडोज कैसे हो जाती है?
कई बार गलती से, तो कई बार जानबूझ कर भी व्यक्ति किसी दवा को सामान्य से अधिक मात्रा में खा लेते हैं। अक्सर दवा को गलती से या तो बहुत छोटे बच्चे खाते हैं या किसी मानसिक संबंधी समस्या से पीड़ित वयस्क ऐसा करते हैं। इसके अलावा कई व्यक्ति (खासकर अधिक उम्र वाले जो कई प्रकार की दवाएं लेते हैं) अक्सर गलती से दवा की गलत खुराक या कोई गलत दवा ले खा लेते हैं।
(और पढ़ेंं - मानसिक रोग का इलाज)
दवा के ओवरडोज का इलाज कैसे किया जाता है?
यदि आपने दवा को अधिक मात्रा में ले लिया है, तो उसका इलाज कई स्थितियों पर निर्भर करता है, जैसे आपने कौन सी दवा को अधिक मात्रा में लिया है और दवा से आपके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा दवा को कैसे लिया गया है और दवा के साथ आपने क्या खाया है, आदि के बारे में जानना भी डॉक्टर के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इन सभी जानकारियों की मदद से स्थिति की जांच की जा सकती है।
- इलाज करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपातकालीन कक्ष (इमर्जेंसी डिपार्टमेंट) में ले जाकर मरीज की जांच करेंगे। जहां पर मरीज का खून टेस्ट व अन्य शारीरिक परीक्षण किए जाते हैं।
- उसके बाद मरीज के शरीर से दवा को निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, उदाहरण के लिए मरीज को एक्टिवेटेड चारकोल देना जो दवा को अपने अंदर अवशोषित कर लेता है, जिससे पर दवा का असर कम हो जाता है।