डायग्नोस्टिक एजेंट क्या होता है?
डायग्नोस्टिक एजेंट ऐसे पदार्थ होते हैं जो शरीर के सामान्य कार्य में बदलाव या गड़बड़ का पता लगाने में मदद करते हैं। ये ऐसे केमिकल होते हैं जो शरीर के ऊतकों और अंगों की जांच में मदद करते हैं ताकि बीमारी या समस्या का पता चल सके। इन केमिकल का कोई औषधीय उपयोग नहीं होता है, ये बीमारी की जांच करने से पहले व्यक्ति को दिए जाते हैं ताकि जांच आसानी से और सटीक हो पाए।
डायग्नोस्टिक एजेंट के कितने प्रकार होते हैं?
डायग्नोस्टिक एजेंट के कई प्रकार होते हैं जो जांच के तरीके के आधार पर दिए जाते हैं। इन दवाओं को या तो व्यक्ति को इंजेक्शन से दिया जाता है या व्यक्ति को इनकी गोलियां खाने के लिए दी जाती हैं। जैसे - एक्स रे को साफ दिखाने वाले एजेंट, अंगों के कार्य जांच करने में मदद करने वाले एजेंट और खून की मात्रा की जांच करने के लिए उपयोग किए जाने वाले केमिकल।
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डायग्नोस्टिक एजेंट कैसे काम करते हैं?
हर प्रकार के डायग्नोस्टिक एजेंट का काम करने का तरीका अलग होता है। "ट्राजोगैस्ट्रो" (Trazogastro) नामक डायग्नोस्टिक एजेंट का प्रयोग एक्स रे या सीटी स्कैन के लिए किया जाता है। ये केमिकल पेट, खाने की नली और आंत के कुछ भागों को कवर करता है, लेकिन अवशोषित नहीं होता, जिसके कारण डॉक्टर आसानी से एक्स रे या सीटी स्कैन में इन अंगों को देख पाते हैं। इसके अलावा "गैडोपेन्टेटिक एसिड" (Gadopentetic acid) का उपयोग एमआरआई में किया जाता है और इससे रीढ़ की हड्डी, दिमाग, लिवर, हड्डियां, ब्रेस्ट और ऊतकों की बीमारियों को देखा जा सकता है।
डायग्नोस्टिक एजेंट के दुष्प्रभाव क्या होते हैं?
कुछ डायग्नोस्टिक एजेंट के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। हर डायग्नोस्टिक एजेंट के अलग-अलग दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे ट्राजोगैस्ट्रो डायग्नोस्टिक एजेंट के कारण व्यक्ति को दौरे, सांस लेने में दिक्कत या छाती में भारीपन महसूस हो सकता है। गैडोपेन्टेटिक एसिड के मुख्य दुष्प्रभाव हैं इंजेक्शन की जगह पर रिएक्शन होना, किडनी फेलियर और नेफ्रोजेनिक सिस्टेमिक फाइब्रोसिस (Nephrogenic systemic fibrosis)।
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