सिफलिस/ उपदंश (Syphilis) क्या है?
सिफिलिस 'टी.पैलिडम' (T. Pallidum) बैक्टीरिया के द्वारा फैलने वाला संक्रमण है, जो त्वचा पर होने वाले सिफिलिटिक छाले और श्लेष्मा झिल्ली (Mucous Membranes) में प्रत्यक्ष रूप से हस्तांतरित होता है। यह एक यौन संचारित संक्रमण (एसटीडी) है जो इलाज न कराये जाने पर गंभीर रूप धारण कर सकता है।
इसका संक्रमण सिफिलिटिक छालों (इसे दर्दरहित छाले भी कहा जाता है) से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से भी फैलता है। संक्रमित व्यक्ति द्वारा दरवाज़ों के हैंडल या मेज़ जैसी सतहों को छूने से यह संक्रमण नहीं फैलेगा।
इसके तहत योनि, गुदा, मलाशय, होंठ और मुँह में छाला हो सकता है। मौखिक (Oral), गुदा (Anal) या योनि सम्बन्धित यौन गतिविधि के दौरान इस बीमारी के फैलने की संभावना होती है। बहुत ही कम मामलों में यह चुंबन के माध्यम से भी फैल सकता है।
जननांगों, मलाशय, मुँह या त्वचा की सतह पर दर्दरहित छाला इस संक्रमण का पहला संकेत है। कुछ लोगों का ध्यान इस छाले की तरफ जाता भी नहीं है क्योंकि यह दर्दरहित होता है। कई बार ये छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि इलाज न किया जाए तो बैक्टीरिया शरीर में ही रह जाते हैं।
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पेनिसिलिन के साथ प्रारंभिक उपचार द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। उपचार के बाद सिफिलिस दुबारा वापस नहीं होता लेकिन इस बैक्टीरिया के अधिक संपर्क में आने पर इस बीमारी की पुनरावृत्ति हो भी सकती है। एक बार सिफिलिस से संक्रमित होने के बाद किसी व्यक्ति को इस बीमारी से फिर से संक्रमित होने से नहीं बचाया जा सकता।
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने अजन्मे बच्चे को सिफलिस प्रेषित कर सकती हैं, जिसके संभावित रूप के घातक परिणाम हो सकते हैं।
सिफिलिस का संक्रमण अपनी तीसरी अवस्था में लौटने से पहले 30 साल तक निष्क्रिय भी रह सकता है।