महिलाओं में आमतौर पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएचओ जैसी शीर्ष संस्थाओं ने इनपर विशेष ध्यान देने की अपील की है। महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े निम्नलिखित 10 मुद्दों पर भारत सहित दुनियाभर के देशों को ध्यान देने की आवश्यकता है।
1. कैंसर
महिलाओं में दो प्रकार के कैंसर (स्तन और सर्वाइकल) होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। प्रति वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि हर साल लगभग 5 लाख महिलाएं इन दोनों प्रकार के कैंसर के चलते मौत का शिकार हो जाती हैं। अगर इन कैंसर के लक्षण समय रहते पता चल जाएं तो उनके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा करने के लिए कई महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होती है।
- स्तन और सर्वाइकल के कैंसर के बारे में जागरुकता
- कैंसर की स्क्रीनिंग और इलाज के विशेष रोकथाम और सस्ते इलाज
- ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के टीकाकरण की आसानी से उपलब्धता
- स्तन कैंसर में मास्टेक्टॉमी (स्तनों को काटकर अलग करना) से जुड़े मिथों को दूर करना
2. प्रजनन से संबंधित जानकारियां
प्रजनन और उससे जुड़े कई पहलुओं पर कई अध्ययन किए जा चुके हैं। प्रजनन प्रणाली एक जटिल प्रक्रिया है। वैसे तो यूटीआई और बैक्टीरियल संक्रमण महिला की गर्भधारण शक्ति को प्रभावित नहीं करते हैं। हालांकि, भविष्य में इसके कई दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े तथ्यों को जानने और समझने के लिए निम्न विषयों पर ध्यान देना आवश्यक है।
- प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में फैली अफवाहों को दूर करना
- प्रजनन और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों को जागरुक करना
- गर्भनिरोधकों के प्रयोग के बारे में जागरुकता और लोगों तक इसकी उपलब्धता को आसान बनाना।
- बच्चों को यौन शिक्षा और इससे जुड़ी जानकारियां देना।
3. संबंधी स्वास्थ्य जानकारियां
प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल से ही शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ साथ विश्वस्तर पर मातृ मृत्यु की संख्या को कम किया जा सकता है। इस संबंध में डॉक्टरों के साथ-साथ दोस्तों और परिवार के देखभाल की एक बड़ी भूमिका रहती है। मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल के बारे में उचित जानकारी
- गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान स्क्रीनिंग, परीक्षण और टीकाकरण के सस्ते इंतजाम
- पोषण, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पर विशेष जोर
- गर्भपात की स्थिति में मां का विशेष शारीरिक ध्यान और ख्याल रखना
- लड़कियों के जन्म से जुड़े मिथों और पुरानी सोच को दूर करना
4. एचआईवी / एड्स
जागरुकता के अभाव में इस बीमारी ने दुनियाभर में तेजी से अपने पांव फैलाए हैं। ह्यूमन इम्यूनोडिफ़िशिएंसी वायरस (एचआईवी) के पहले मामले के सामने आने के तीन दशक बाद भी अब तक इसके खतरे को कम नहीं किया जा सका है। युवा महिलाओं में इस संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। यौन शिक्षा, कंडोम की लोगों तक पहुंच न होना, साथ ही सुरक्षित सेक्स के बारे में जानकारियों के अभाव के चलते इस संक्रमण का फैलाव तेजी से हुआ। लोगों को जागरुक कर इस संक्रमण को रोकने के व्यापक प्रयास किए जाने की आवश्यक है।
5. यौन संचारित रोग
एचआईवी / एड्स और एचपीवी के अलावा, महिलाओं में गोनोरिया, क्लैमाइडिया और सिफलिस जैसे यौन संचारित रोगों के होने का खतरा होता है। चूंकि, पुरुषों की तरह महिलाओं में इसके स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते हैं, इसलिए इसका आसानी से उपचार नहीं हो पाता है। इन संक्रमणों से न केवल महिलाओं को स्वास्थ्य समस्याओं से दो चार होना पड़ता है, साथ ही उनके प्रसव और शिशु स्वास्थ्य में भी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। महिलाओं में एसटीआई से बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए।
- यौन शिक्षा को जानकारी।
- कंडोम, गर्भनिरोधक के उपयोग से यौन संचारित रोगों को रोक जा सकता है।
- कंडोम, गर्भ निरोधकों की आसानी से उपलब्धता को सुनिश्चित करना।
6. महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को रोकना
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 50 वर्ष से कम आयु वाली हर तीन में से एक महिला को परिचित या किसी अजनबी से यौन हिंसा का शिकार होना पड़ता है। हिंसा चाहे शारीरिक हो या यौन प्रकृति की, इसका महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे दूर करने के लिए निम्न विषयों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
- बच्चों का यौन शिक्षा दें। पुरुषों और महिलाओं दोनों को यौन हिंसा को रोकने के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
- प्रशासन और चिकित्सकों को महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा के बारे में संवेदनशील बनाना।
7. मानसिक स्वास्थ्य
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक अवसाद, चिंता और कई तरह की मनोदैहिक शिकायतें महिलाओं में अधिक देखने को मिलती हैं। इसका कई बार मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर देखने को मिलता है, जो जीवन को प्रभावित कर सकती है। यही कारण है कि महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
- मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों के बारे में बातचीत कर उसके निदान और उपचार के बारे में चिंतन करें।
- इस तरह की समस्याओं से प्रभावित महिलाओं को सामाजिक स्तर पर सहायता प्रदान करें, जिससे वह जल्द से जल्द इससे बाहर आ सकें।
8. गैर-संचारी रोग
महिलाओं में गैर-संचारी रोगों जैसे मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा आदि तेजी से फैल रही बीमारियां हैं। इनकी रोकथाम के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- इन बीमारियों के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाना। इससे लड़ने के लिए उचित उपचारों के बारे में जानकारी देना।
- लड़कियों और महिलाओं को उचित पोषण, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य के द्वारा जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों और दवाओं की लोगों तक आसान पहुंच को सुनिश्चित करना।
9. कम उम्र में महिलाओं को होने वाली समस्याएं
आज कल कम उम्र से ही लड़कियों को जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। भविष्य में यह बड़ी बीमारी का रूप भी ले सकती हैं। उचित पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों के अभाव में उन्हें कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे एसटीआई, यूटीआई, एचआईवी और कई तरह की प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य चुनौतियां उनके सामने खड़ी हो सकती हैं।
- बालिकाओं को उनके स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करें।
- माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह लड़कियों को स्वास्थ्य और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएं।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की आसानी से पहुंच उपलब्ध कराना।
10. उम्र के साथ महिलाओं को होने वाली समस्याएं
विकासशील समाज में उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं काम के लिए घर से बाहर जाना बंद कर देती हैं। जिससे उनके लिए पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और इससे जुड़ी सेवाओं का लाभ लेना मुश्किल हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में पुरानी गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और गुर्दे की बीमारी होनी आम समस्या है। स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए।
- कम उम्र में ही लड़कियों को भविष्य की संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरुक करें। ताकि वह पर्याप्त सुरक्षा और रोकथाम के इंतजाम कर सकें।
- सस्ती और आसानी से सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- बुढ़ापे के दौरान महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए उनके खानपान और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर माहौल दें।