मोरिंगा या सहजन मानव जाति के इतिहास में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले पौधों में से एक है। मोरिंगा की खासियत यही है कि इसे पानी की कमी होने की स्थिति में भी उगाया जा सकता है। ये कई तरह के जरूरी पोषक तत्वों, खनिज पदार्थों और विटामिंस का बेहतरीन स्रोत है। यहां तक कि दुनियाभर में इसे सुपरफूड कहा जाता है। अध्ययनों में सामने आया है कि सहजन सेहत के लिए बहुत लाभकारी होती है और इस वजह से अब ज्यादा से ज्यादा लोग इसका उपयोग करने लगे हैं।
खाद्य पदार्थ के अलावा मोरिंगा का इस्तेमाल ईंधन, पशु चारा, उर्वरक और सौंदर्य प्रसाधन एवं इत्र में भी किया जाता है। मोरिंगा के पौधे का इस्तेमाल कई वर्षों से किया जा रहा है। 150 ई.पू. भी मनुष्य द्वारा मोरिंगा के पौधे का प्रयोग किया जाता था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर की सेना को हराने के लिए प्रसिद्ध मौर्य सेना प्रमुख सप्लीमेंट के रूप में मोरिंगा का सेवन किया करती थी। आयुर्वेद के अनुसार मोरिंगा में लगभग 300 बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है। मोरिंगा की पत्तियों में ही बेहतरीन औषधीय गुण मौजूद होते हैं। सेहतवर्द्धक फायदों के कारण मोरिंगा को चमत्कारी वृक्ष कहा जाता है।
मोरिंगा के बारे में तथ्य
- वानस्पतिक नाम: मोरिंगा ओलिफेरा
- कुल: फेबेसी
- सामान्य नाम: सहजन, सहिजन, ड्रमस्टिक प्लांट, हॉर्सरैडिश ट्री, बेन ऑयल ट्री
- संस्कृत नाम: शोभांजन, दंशमूल, शिग्रु शोभांजन
- उपयोगी भाग: जड़, छाल, बीज की फली, पत्तियां, पौधे का रस, फूल
- भौगोलिक विवरण: मोरिंगा मूल रूप से दक्षिण भारत में पाया जाता है। इसके अलावा सहजन विश्व के उपोष्णकटिबंधीय और कटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
- गुण: गर्म