भारतीय व्यंजनों में धनिये का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसे डायटरी फाइबर (पौधों से मिलने वाला एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट) का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा धनिये में कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। पारंपरिक उपचार और खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए विभिन्न सभ्यताओं के लोग धनिये का इस्तेमाल किया करते थे। धनिये का पूरा पौधा लिपिड का अच्छा स्रोत माना जाता है क्योंकि इसमें पेट्रोसेलिनिक एसिड और एसेंशियल ऑयल (जड़ी बूटियों से तैयार तेल) होता है।
दक्षिणी यूरोप और उत्तरी और दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के क्षेत्रों में पाया जाने वाला धनिया एक मुलायम जड़ी बूटी है जिसका पौधा 50 से.मी की लंबाई तक बढ़ सकता है। आयुर्वेद में धनिये को त्रिशोधक (तीन लाभ देने वाला) मसाले के रूप में अत्यधिक महत्व दिया गया है। इसके तीन फायदों में भूख बढ़ाना, पाचन में सुधार और संक्रमण से लड़ना शामिल है।
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धनिये में अनेक जैव घटक पाए जाते हैं जिनके कारण इस जड़ी बूटी के विभिन्न भागों में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं। धनिये में डायबिटीज-रोधी, एंटीऑक्सीडेंट, मिर्गी-रोधी, अवसाद-रोधी, सूजन कम करने वाले, खून में लिपिड को कम करने वाले, दिमाग की कोशिकाओं को सुरक्षा देने वाले, हाई ब्लड प्रेशर कम करने वाले और मूत्रवर्द्धक गुण होते हैं।
धनिये के बारे में तथ्य:
- वानस्पतिक नाम: कोरिएंडर सैटाइवम
- कुल: एपिएसी
- सामान्य नाम: धनिया, सिलैंट्रो, चीनी पार्सले
- संस्कृत नाम: धनिया
- उपयोगी भाग: पत्तियां, जड़, बीज
- भौगोलिक विवरण: दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका
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