वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस होना क्या है?

वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस एक दुर्लभ विकार है। इस विकार में छोटी व मध्यम आकार की रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है, जिसके कारण शरीर के एक अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह विकार मुख्य रूप से श्वसन तंत्र और किडनी को प्रभावित करता है। वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस को ग्रैन्युलोमैटोसिस विद पोलीएनजिटिस (granulomatosis with polyangiitis/ GPA) के नाम से भी जाना जाता है। 

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वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस के लक्षण क्या हैं?

वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस के लक्षणों में रोगी को बुखार, थकान, थूक के साथ खून आना, जोड़ों में दर्द, सांस लेने में मुश्किल होना, साइनस और वजन कम होना आदि हो सकता है। इसके साथ ही नाक में छाले होना, आंखों, नसों, और कान के मध्य हिस्से में सूजन आना व त्वचा में गांठ और छाले होने के समस्या हो सकती है। 

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वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस क्यों होता है?

इस विकार के कारणों का पता नहीं चल पाया है। प्रतिरक्षा तंत्र में असामान्य प्रतिक्रिया होने से सूजन के बाद इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। इस स्थिति में रोगी को संक्रमण होने की संभावना भी बढ़ जाती है, लेकिन कोई विशेष प्रकार का संक्रमण इससे संबंधित नहीं होता है। 

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वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस का इलाज कैसे होता है?

वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस का पता लगाने के लिए रोगी का यूरिन टेस्ट (मूत्र जांच) किया जाता है, जिसमें प्रोटीन और लाल रक्त कोशिकाओं की जांच की जाती है। 

इसके अलावा रोगी के फेफड़ों और साइनस में सूजन की जांच करने के लिए एक्स रे किया जाता है, इससे फेफड़ों और साइनस की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है और कुछ प्रकार के ब्लड टेस्ट भी किए जाते हैं। ब्लट टेस्ट के दौरान खून में मौजूद सेडीमेंटेशन रेट (Sedimentation rate) और सीआरपी यानी सी रिएक्टिव प्रोटीन (C-reactive protein) की जांच की जाती है। सेडीमेंटेशन रेट और सी रिएक्टिव प्रोटीन दोनों ही शरीर में सूजन की मौजूदा स्थिति को दर्शाते हैं। 

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वेगनर ग्रैन्युलोमैटोसिस एक गंभीर रोग है, यदि समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो कुछ ही महीनों में यह रोग घातक सिद्ध हो सकता है। इसका इलाज रोगी के शरीर की सूजन को कम करके किया जाता है और यह कार्य प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाकर किया जाता है। 

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