गर्भाशय या गर्भ महिलाओं के शरीर में पेशियों से बनी एक संरचना होती है, जो पेल्विक की मांसपेशियों और लिगामेंट्स की मदद से अपनी जगह पर स्थिर रहती है। जब ये मांसपेशियां व लिगामेंट्स कमजोर पड़ जाते हैं या इनमें सामान्य से अधिक खिंचाव आ जाता है। ऐसी स्थिति में ये गर्भाशय को सहारा प्रदान नहीं कर पाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भाशय बाहर निकल जाता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में “यूटेराइन प्रोलैप्स” (Uterine prolapse) कहा जाता है, जिसमें बच्चेदानी अपनी सामान्य जगह से सरक कर योनि की तरफ आ जाती है। बच्चेदानी बाहर आने कि समस्या किसी भी महिला को किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन ज्यादातर रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं को होती है, जिनको एक या उससे अधिक योनि प्रसव हो चुके हों।
प्रोलैप्स, पेल्विक अंग को सहारा देने वाली लिगामेंट्स व मांसपेशियों में खिंचाव आने के कारण होता है, जिसके कारण इनसे जुड़े अंग नीचे की तरफ लटक जाते हैं। प्रोलैप्स का मतलब होता है, जगह से सरक कर बाहर की तरफ निकल जाना। बच्चेदानी बाहर आ जाने से कई लक्षण हो सकते हैं जैसे पेल्विक क्षेत्र में भारीपन सा महसूस हो पाना, पेशाब करने व मल त्याग करने में परेशानी होना आदि। गर्भाशय बाहर निकलने का कारण बनने वाली सभी समस्याओं की रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि मोटापे जैसे कुछ जोखिम कारक हैं, जिनको कम किया जा सकता है।
यदि बच्चेदानी थोड़ी बहुत बाहर आई है, तो उसका इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं होती है। अगर आपको इससे परेशानी हो रही है या आपका सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा तो ऐसे में इलाज करवा लेना चाहिए। यदि गर्भाशय बाहर निकलने की समस्या अधिक गंभीर नहीं है, तो उससे किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। जबकि इसके गंभीर मामलों में काफी जटिलताएं विकसित हो सकती है, जैसे पेशाब ना आना, कब्ज, योनि में छाले बनना और सेक्स करने के दौरान दर्द होना आदि।
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