चेचक क्या होता है ?
चेचक एक संक्रामक, कुरूपित करने वाली और घातक बीमारी है जिसने मनुष्यों को हजारों सालों से प्रभावित किया है। वैश्विक टीकाकरण अभियान के कारण, 1980 तक स्वाभाविक रूप से होने वाले चेचक को दुनिया भर में खत्म कर दिया गया था।
यहां तक कि इस बीमारी के वायरस को शोध क्रियाओं के लिए सुरक्षित तक रखा जाता है। माना जा रहा है कि इन पर शोध करके भविष्य में इन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान विकास और भलाई के लिए प्रयोग किया जा सकेगा।
चेचक का कोई इलाज या उपचार मौजूद नहीं है। एक टीका चेचक को रोक सकता है। हालांकि इसके साइड इफेक्ट के खतरें काफी अधिक हैं। ऐसे में नियमित रूप से टीकाकरण करवा कर चेचक के वायरस से संक्रमित होने की गुंजाइश खत्म हो जाती है और टीका लेने वाले को कोई भी दिक्क्त नहीं होती, कहना गलत होगा।
चेचक का पहला टीका 1758 में बनाया गया था। हालांकि, यह बीमारी 200 वर्षों तक लोगों को व्यापक रूप से प्रभावित करती रही। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO: डब्ल्यूएचओ) ने संक्रमण दर को धीमा करने के लिए सख्त टीकाकरण का नियमित कार्यक्रम लागू किया।
1980 तक, डब्ल्यूएचओ ने घोषणा की कि चेचक को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, हालांकि सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों के पास अनुसंधान प्रयोजनों के लिए अभी भी चेचक वायरस के नमूने हैं।
अब लोग नियमित रूप से चेचक का टीकाकरण नहीं कराते हैं। चेचक के टीके के संभावित रूप से घातक दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए केवल वे लोग ही यह टीका लेते हैं जिन्हें चेचक का उच्च जोखिम होता है।
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