स्लीप एपनिया - Sleep Apnea in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

January 31, 2024

स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया क्या है?

स्लिप एप्निया एक सामान्य शारीरिक विकार है, जो सोते समय सांस रुकने और बार-बार करवटें बदलने जैसी समस्याएं उत्पन्न कर देता है। आमतौर पर स्लीप एपनिया तब होता है, जब सोते समय किसी व्यक्ति के सांस रुकने लगता है, इसमें सांस कुछ सेकंड से कुछ मिनट तक भी रुक सकता है। यह एक घंटें में 30 या उससे ज्यादा बार भी हो सकता है।

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स्लीप एपनिया का सबसे आम प्रकार प्रतिरोधी स्लीप एपनिया (Obstructive Sleep Apnea) है, जो नींद के दौरान श्वास मार्ग के अवरुद्ध (बंद) होने के कारण होता है। इसमें सोने के कुछ देर बाद सामान्य सांसों में खर्राटे या घुटन जैसी आवाजें आने लगती हैं। स्लीप एपनिया के पीड़ित लोग आमतौर पर जोर-जोर से खर्राटे मारते हैं, हालांकि हर किसी को खर्राटे मारने की समस्या नहीं होती।

स्लीप एपनिया की संभावना जिन लोगों में ज्यादा होती हैं, उनमें शामिल हैं- सामान्य से ज्यादा वजन होना, पारिवारिक दोष, छोटे श्वास मार्ग आदि। महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में स्लीप एपनिया की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा बच्चे जिनके टॉन्सिल या एडनोइड्स का आकार बढ़ा हुआ है, उनमें भी स्लीप एपनिया की काफी संभावनाएं होती है।

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स्लीप एपनिया का निदान पिछली दवाओं तथा पारिवारिक दोष की जानकारी, शारीरिक परीक्षण और स्लीप स्टडी रिजल्ट आदि के आधार पर किया जाता है।

स्लीप एपनिया के कारण रात में कई बार नींद खुल सकती है, जिस कारण से दिन में नींद या सुस्ती महसूस हो सकती है। स्लीप एपनिया से ग्रसित लोगों में कार एक्सीडेंट या अन्य किसी प्रकार की दुर्घटना और शरीर से जुड़ी अन्य प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। अगर किसी व्यक्ति को स्लीप एपनिया की समस्या हो तो उसका तुरंत उपचार बहुत जरूरी होता है। सर्जरी, जीवन शैली में बदलाव, माउथपीस और अन्य सांस लेने के उपकरण आदि की मदद से स्लीप एपनिया का इलाज किया जाता है।

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वैश्विक सामान्य आबादी में 'स्लीप एपनिया' का प्रसार पूर्व की तुलना में 0.3 प्रतिशत से बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गया है। भारतीय शोध के अनुसार, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) 4.4% से बढ़कर 13.% हो गया है, और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हाईपॉप्निया सिंड्रोम (OSAHS) का प्रसार 2.4% से बढ़कर 2.8% हो गया है। कुछ अध्ययनों के अनुसार भारतीय पुरूषो में OSA  4.4% से 19.7% हो गया है, और महिलाओं में इसका प्रसार 2.5% से 7.4% के बीच आंका गया है। OSAH भारतीय पुरूषों में 2.4% से 7.5% और महिलाओं में 1% से 2.1% तक पाया गया है।

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स्लीप एपनिया के प्रकार - Types of Sleep Apnea in Hindi

मुख्यत: स्लीप एपनिया के 3 प्रकार होते हैं:

  • सेंट्रल स्लीप एपनिया – यह तब होता है जब मस्तिष्क श्वास मांसपेशियों को सांस लेने का निर्देश नहीं देता, जिस कारण सांस लेने के लिए मांसपेशियों द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जाता।

  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया – जब मस्तिष्क द्वारा श्वास मांसपेशियों को सांस लेने के संकेत दे दिए जाते हैं, मगर वायुमार्गों में किसी प्रकार की रुकावट के कारण मांसपेशियां सांस लेने में असफल हो जाती है, तब ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की स्थिति होती है।

  • मिक्सड स्लीप एपनिया – जब सेंट्रल स्लीप एपनिया और ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया दोनों ही समस्याएं एक साथ हो जाएं तो इसे 'मिक्सड स्लीप एपनिया' कहा जाता है।

स्लीप एपनिया के लक्षण - Sleep Apnea Symptoms in Hindi

सेंट्रल और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षण ऑवरलैप होते हैं, इसलिए कई बार स्लीप एपनिया के प्रकार को निर्धारित करना और कठिन हो जाता है। ऑब्सट्रक्टिव और सेंट्रल स्लीप एपनिया के कुछ सामान्य लक्षण व संकेत में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. तेज खर्राटे, जो ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का सबसे प्रसिद्ध लक्षण होता है। (और पढ़ें - खर्राटे के घरेलू उपाय)
  2. नींद के दौरान कुछ समय के लिए सांस रुक जाना (दूसरे व्यक्ति द्वारा देखा गया लक्षण)। (और पढ़ें - गहरी नींद के लिए क्या करें)
  3. सांस में कमी के कारण आक्समिक नींद खुल जाना, जो सेंट्रल स्लीप एपनिया की संभावना का संकेत करता है।
  4. सुबह उठने के बाद मुंह सूखा होना या गले में खराश होना।
  5. सिर में दर्द महसुस होना (ज्यादातर सुबह उठने पर), (और पढ़ें - सिर में दर्द का इलाज)
  6. सोने में कठिनाई (Insomnia), (और पढ़ें - जमीन पर सोने के लाभ)
  7. दिन में ज्यादा नींद आना (Hypersomnia), (और पढ़ें - दिन मेँ सोना अच्छा है या नहीं)
  8. ध्यान देने में (एकाग्रचित होने में) कठिनाई, (और पढ़ें - ध्यान लगाने के तरीके)
  9. चिड़चिड़ापन इत्यादि।

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स्लीप एपनिया के कारण - Sleep Apnea Causes in Hindi

स्लीप एपनिया के कारण

वायुमार्गों में रुकावट उत्पन्न करने के लिए विभिन्न कारक योगदान दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  1. मांसपेशियों में बदलाव – सोने के दौरान जो मांसपेशियां श्वास मार्ग को खुला रखती हैं, वे कई बार जीभ के साथ शिथिल (ढ़ीलापन) हो जाती हैं, जिस कारण से वायुमार्ग सिकुड़ने लग जाते हैं। सामान्य स्थिति में जीभ की शिथिलता से वायुमार्गों में हवा का प्रवाह बंद नहीं होता।
  2. शारीरिक रुकावटें – वायुमार्गों के आस-पास अधिक वसा एकत्रित होना या ऊतकों का अधिक मोटा होना। यह रुकावट वायु के प्रवाह को बंद या कम कर देती है और पहले ली गई हवा, तेज खर्राटों के साथ बाहर निकलती हैं। आम तौर पर यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के साथ जुड़ा है।
  3. मस्तिष्क के कार्य – सेंट्रल स्लीप एपनिया में सामान्य स्लीप एपनिया के रुप कम होते हैं, सांस लेने के लिए मस्तिष्क तंत्रिकाओं का नियंत्रण असामान्य हो जाता है, जिस कारण से सांस लेने के नियंत्रण और लय में गड़बड़ी आ जाती है। ज्यादातर मामलों में सेंट्रल स्लीप एपनिया अंतर्निर्हित मेडिकल स्थितियों से जुड़ा होता है, जैसे स्ट्रोक या ह्रदय का रुक जाना, मरीज द्वारा उंच्चाई पर चढ़ाई करना और दर्द निवारक दवाओं का उपयोग आदि।

जब वायुमार्ग पूरी तरह से बंद हो जाते हैं, तो सांस का प्रवाह बंद होने के कारण खर्राटे की आवाजें भी बंद हो जाती हैं। सांसें 10, 20 सेकेंड या कुछ मिनट तक भी बंद रह सकती हैं। इसके बाद मस्तिष्क एप्निया को महसूस करके शिथिल मांसपेशियों को कसने का संकेत दे देता है, जिससे हवा का प्रवाह फिर से चालू हो जाता है।

हालांकि, यह प्रक्रिया पूरी रात सेंकड़ों से भी ज्यादा बार हो सकती है, एप्निया का सामना कर रहे लोग, अक्सर इस समस्या के प्रति सचेत नहीं हो पाते।

स्लीप एपनिया के जोखिम कारक

स्लीप एपनिया किसी को भी प्रभावित कर सकता है, यहां तक कि बच्चों को भी। पर कुछ ऐसे कारक हैं, जो स्लीप एपनिया के जोखिम को बढ़ा देते हैं।

ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया के जोखिम कारक

  1. अतिरिक्त वजन (मोटापा) – मोटापा ग्रस्त लोगों में स्वस्थ वजन वाले लोगों के मुकाबले, स्लीप एपनिया के जोखिम चार गुना ज्यादा होते हैं। ऊपरी वायुमार्ग के आस-पास वसा जमा होने के कारण श्वास में बाधा उत्पन्न होती है, पर हर मोटा आदमी स्लीप एपनिया से ग्रसित हो, ऐसा जरूरी नहीं होता। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए क्या खाएं)

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  2. गर्दन की परिधि (घेरा) – जिन लोगों की गर्दन मोटी होती है, अक्सर उनके वायुमार्ग काफी संकुचित होते हैं।

  3. तंग वायुमार्ग – कई लोगों के जन्म से ही गले का मार्ग काफी तंग होता है, या फिर उनके टॉन्सिल या एडनॉइड्स का आकार बड़ा होता है। जिस कारण वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है, यह विशेषकर बच्चों में होता है।

  4. पुरूषों में ज्यादा जोखिम – महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में स्लीप एपनिया की दोगुना ज्यादा संभावनाएं होती है। हालांकि, महिलाओं में इसकी संभावना अधिक वजन होने या रजोनिवृत्ति के दौरान ही होती है।

  5. उम्र बढ़ने के बाद – अधिक उम्र होने के बाद स्लीप एपनिया के होने की संभावना अक्सर और बढ़ जाती है।

  6. पारिवारिक बीमारी – अगर परिवार में पहले किसी को स्लीप एपनिया से जुड़ी समस्या हो तो अन्य सदस्यों के लिए भी इसकी संभावानाएं काफी बढ़ जाती हैं।

  7. शराब व अन्य शांतिदायक दवाओं का प्रयोग – इनका प्रयोग करने से गले के ऊतक शिथिल हो जाते हैं और वायुमार्ग अवरुद्ध होने लगते हैं।

  8. धूम्रपान – धूम्रपान ना करने वाले व्यक्तियों के मुकाबले, धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया के 3 गुना ज्यादा जोखिम होते हैं। धूम्रपान ऊपरी वायुमार्गों में सूजन और द्रव की मात्रा ज्यादा बढ़ा देता है। धूम्रपान बंद करने से इसके जोखिम भी कम हो सकते हैं।

  9. नाक में जमाव – अगर नाक से सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही है, नाक में द्रव का जमाव, संरचनात्मक विकृति या एलर्जी हो सकती है।

सेंट्रल स्लीप एपनिया के जोखिम कारक

  1. उम्र बढ़ने के बाद – मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों के लिए सेंट्रल स्लीप एपनिया के जोखिम काफी बढ़ जाते हैं।

  2. ह्रदय विकार – जिन लोगों में ह्रदय संबंधी बीमारियां है, उनके लिए भी सेंट्रल स्लीप एपनिया के जोखिम काफी बढ़ जाते हैं। (और पढ़ें - हृदय रोग का उपचार)

  3. मादक और दर्द निवारक दवाओं का प्रयोग - ओपियोइड दवाएं, विशेषकर लंबे समय तक काम करने वाली दवाएं जैसे मेथाडोन (Methadone), सेंट्रल स्लीप एपनिया के जोखिम को बढ़ाती हैं।

  4. स्ट्रोक – जिन लोगों को पहले स्ट्रोक की समस्या हुई हो, उनके लिए सेंट्रल स्लीप एपनिया के जोखिम कारक काफी बढ़ जाते हैं।

(और पढ़ें - मांसपेशियों में ऐंठन के कारण)

स्लीप एपनिया से बचाव के उपाय - Prevention of Sleep Apnea in Hindi

स्लीप एपनिया से बचाव के क्या उपाय है?

कई मामलों में, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया और सेंट्रल स्लीप एपनिया के साथ निपटने के लिए खुद की देखभाल करना सबसे उपयुक्त तरीका हो सकता है। इनमें निम्नलिखित टिप्स शामिल हैं -

  1. अतिरिक्त वजन कम करना – थोड़ा सा वजन कम करना भी गले के संकुचन में आराम दिलाने में मदद कर सकता है। अगर स्वस्थ वजन बनाकर रखा जाए तो कुछ मामलो में स्लीप एपनिया से पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है। वजन फिर से बढ़ने के साथ-साथ स्लीप एपनिया के भी फिर से विकसित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - वजन कम करने की डाइट)
  2. नियमित व्यायाम करना – यहां तक कि बिना वजन कम किए भी नियमित रूप से व्यायाम करना ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षणों को काफी कम कर देता है। 30 मिनट तक शरीर को मध्यम गतिविधि देने का प्रयास एक अच्छा लक्ष्य हो सकता है। जैसे हफ्ते के ज्यादातर दिन ब्रिस्क वॉक (तेज चलना) आदि। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
  3. शराब और अन्य ट्राइंक्विलाइजर जैसी दवाओं का सेवन करने से बचे – इनका सेवन करने से श्वास मांसपेशियां और गले का पिछला भाग शिथिल (Relax) हो जाता है, जिससे सांस लेने कि प्रक्रिया में हस्तक्षेप होता है। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने का तरीका)
  4. पीठ के बल सोने की बजाए पेट के बल या एक तरफ मुंह करके सोएं – पीठ के बल सोने के कारण जीभ और नरम तालु शिथिल होकर गले में पीछे की तरफ झुक जाते हैं, जिससे वायुमार्ग में रुकावट होती है। पीठ के बल सोने की आदत से छुटकारा, अपने पजामें के पिछले हिस्से के उपरी भाग में एक टेनिस बॉल सील कर पाया जा सकता है।
  5. रात को सोते समय अपने नाक द्वार खोल कर रखें – रात के समय अपनी नाक को खोल कर रखने के लिए सेलाइन नेजल स्प्रे का प्रयोग करें। किसी भी प्रकार के डिकॉन्जेस्टेंट और एंटीहिस्टामिन नेजल स्प्रे का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। क्योंकि आम तौर पर ये दवाइयां थोड़े समय तक उपयोग करने के लिए ही सुझाई जाती हैं।
  6. धूम्रपान छोड़ें – धूम्रपान का सेवन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की स्थिति को और बद्तर बना देता है।

(और पढ़ें - धूम्रपान कैसे छोड़ें)

स्लीप एपनिया का परीक्षण - Diagnosis of Sleep Apnea in Hindi

स्लीप एपनिया के टेस्ट

डॉक्टर संकेत और लक्षणों के आधार पर स्लीप एपनिया का निदान कर सकते हैं, इसके अलावा मरीज को स्लीप डिस्ऑर्डर सेंटर भी भेजा जा सकता है। वहां पर नींद विशेषज्ञ होते हैं, जिनकी मदद से मरीज के आगे के मूल्यांकन पर निर्णय लिया जा सकता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट)

स्लीप एपनिया के मूल्यांकन के तहत अक्सर मरीज की नींद के दौरान पूरी रात सांसों की और अन्य शारीरिक कार्यों की निगरानी करना शामिल है। इसके अलावा नींद का परीक्षण घर पर करना भी एक अच्छा विकल्प माना जाता है। स्लीप एपनिया का पता लगाने वाले कुछ टेस्ट भी होते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:-

  • नोक्टर्नल पोलिसोमनोग्राफी (Nocturnal Polysomnography) – इस टेस्ट में मरीज को सोने के दौरान एक उपकरण लगाया जाता है। यह उपकरण ह्रदय, मस्तिष्क, फेफड़े, हाथों पैरों की गतिविधि, सांस के पैटर्न और खून में ऑक्सीजन स्तर पर निगरानी रखता है। (और पढ़ें - सोनोग्राफी क्या है)

  • होम स्लीप टेस्ट – कुछ मामलों में, डॉक्टर मरीज को स्लीप एपनिया की जाँच के लिए कुछ सरल टेस्ट उपलब्ध करवा सकते हैं, जिनको घर पर किया जा सकता है। आम तौर पर इन टेस्टों में ह्रदय गति, खून में ऑक्सीजन का स्तर, वायुप्रवाह और सांस लेने के पैटर्न की जांच करना आदि शामिल हैं। अगर किसी को स्लीप एपनिया है, तो टेस्ट के परिणाम में ऑक्सीजन का स्तर गिरता हुआ पाया जाता है, जिसमें मरीज के जगने के साथ-साथ ऑक्सीजन स्तर बढ़ जाता है। (और पढ़ें - खून की जाँच)

  • अगर परिणाम असामान्य हों, तो किसी अन्य मूल्यांकन करने से पहले डॉक्टर एक थेरेपी लिख सकते हैं। पोर्टेबल मॉनिटरिंग डिवाइस स्लीप एपनिया के सभी मामलों का पता नहीं लगा पाते। इसलिए प्रारंभिक परिणाम सामान्य आने पर भी डॉक्टर पोलिसोमनोग्राफी की सिफारिश कर सकते हैं।

अगर मरीज को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है, तो डॉक्टर मरीज को कान, नाक और गले के विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं, ताकि इनके अंदर की रुकावट का पता लगाया जा सके। अगर मरीज को सेंट्रल स्लीप एपनिया है, तो ह्रदय के विशेषज्ञ (Cardiologist) और तंत्रिका तंत्र के विशेषज्ञ (Neurologist) द्वारा उसके कारण की जांच करना आवश्यक हो सकता है।

स्लीप एपनिया का उपचार - Sleep Apnea Treatment in Hindi

ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए नॉनसर्जिकल उपचार

ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया और खर्राटे इन दोनों समस्याओं के नॉन सर्जिकल उपचार लगभग एक ही जैसे होते हैं, जिनमें कुछ ही भिन्नताएं होती हैं, जो निम्न हैं:

  1. व्यवहार में बदलाव
  2. दंत उपकरण और माउथपीस
  3. CPAP (निरंतर साकारात्मक वायुमार्ग दाब)
  4. दवाएं

व्यवहार में बदलाव

  1. मध्यम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए व्यवहार में बदलाव सबसे साधारण उपचार होता है, लेकिन इसे निभाना अक्सर थोड़ा मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी एप्निया केवल कुछ ही अवस्थाओं में होता है, जैसे पीठ के बल लेटने से। कोई भी व्यक्ति अपनी सोने की अवस्था में बदलाव लाकर एप्निया के लक्षणों को कम कर सकता है और अपनी नींद में सुधार ला सकता है।

  2. ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया में मोटापा मुख्य कारणों में से एक होता है। यह अनुमान लगाया गया है, कि 10 प्रतिशत वजन का बढ़ना भी एप्निया और हाईपोप्निया की स्थिति को बद्तर बना देता है। ऐसी स्थिति में 10 प्रतिशत वजन घटना एप्निया और हाईपोप्निया की स्थिति को काफी हद तक ठीक करता है। इसलिए एक स्वस्थ जीवन शैली और आहार जो वजन कम करने में प्रोत्साहन करता है, उससे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सुधार लाया जा सकता है। (और पढ़ें - मोटापा का इलाज)

  3. दुर्भाग्य से, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित ज्यादातर लोग खुद को थका हुआ पाते हैं, उनके पास व्यायाम करने के उर्जा नहीं होती। मरीज का व्यवहार और अधिक जटिल हो जाता है, जब वह अधिक थका हुआ होता है, व्यायाम कम कर पाता है, अधिक वजन बढ़ जाता है और तब ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की स्थिति और बद्तर हो जाती है। अक्सर, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया का उपचार अन्य तरीकों से किया जाता है, जिसमें मरीज को अपना वजन कम करने में सक्षम बनाया जाता है, ताकि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सुधार हो सके। (और पढ़ें - वजन कम करने की एक्सरसाइज)

  4. स्वास्थ्य नींद और अन्य व्यवहारिक संशोधनों को नींद की संपूर्ण गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए जाना जाता है। नीचे कुछ आम प्रक्रियाएं हैं, जिनकी मदद से नींद को प्रेरित किया जाता है और उसकी गुवत्ता में सुधार किया जा सकता है:

    • अपने बेडरूम में शोर और प्रकाश को कम करें
    • बिस्तर पर टीवी देखने और पढ़ने की आदत छोड़ें
    • सोने के पूर्व खाना ना खाएं और ना ही व्यायाम करें
    • बेडरूम का इस्तेमाल सिर्फ सोने के लिए ही करें
    • कार्य संबंधी गतिविधि बेडरूम से बाहर करें
    • बिस्तर पर जाने से पहले मानसिक और शारीरिक विश्राम के लिए एक अवधि का प्रबंधन (निर्धारण) करने की कोशिश करें।

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दवाएं

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए काफी सारी दवाएं अध्ययन की गई हैं। लेकिन यह आम तौर पर वायुमार्ग के अवरुद्ध होने के कारण होता है, जिसमें दवाओं की मदद काफी मुश्किल से मिल पाती है। इसके अलावा इस पर और अधिक अध्ययन किए जा रहे हैं, ताकि भविष्य के लिए एक अच्छा विकल्प प्रदान किया जा सके।

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  1. जिन लोगों में नाक के वायुमार्ग मे रुकावट होने के कारण ऑब्सक्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया होता है, उनके लिए नेजल स्टेरॉइड काफी असरकारक होते हैं। एक शोध के अनुसार, नेजल स्प्रे की मदद से, रेस्पीरेटरी डिस्टरबेंस इंडेक्स (Respiratory Disturbance Index) कम होकर 20 से 11 पर आ गई थी।

  2. कुछ लोगों को हाइपोथायरॉइडिज़्म (थायरॉयड हार्मोन उत्पादन में कमी) के कारण ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया हो जाता है। हालांकि, कुछ लोगों में थायरॉयड प्रतिस्थापन थेरेपी के बाद इसमें सुधार हो जाता है। लेकिन जिनका थायरॉयड सामान्य होता है, वे इस थेरेपी की मदद से ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सुधार नहीं कर पाएंगे।

  3. जिन लोगों में ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कारण मोटापा है। वे आहार और दवाओं की मदद से बेहतर हो सकते हैं, अगर ये वजन घटाने में सहायता करती हैं।

  4. अन्य दवाएं जिनपर अध्ययन किया गया है उनमें शामिल हैं, मेड्रोक्सिप्रोजेस्टेरोन (Provera, Cycrin, Amen) एसिटाजोलामाइड (Diamox), थ्योफाईलाइन (Theo-Dur, Respbid, Slo-Bid, Theo-24, Theolair, Uniphyl, Slo-Phyllin), ट्राइसिकलिक एंटीडिप्रेसेंट्स और सेलेक्टिव सेरोटोनिन रयूप्टेक इनहिबिटर (SSRI)। कुछ अन्य अध्ययनों के अनुसार, इन दवाओं को कम प्रभाव या प्रभावहीन भी देखा गया है। कुछ नई दवाएं भी हैं, तो सतर्कता को बढ़ाती हैं। ये दवाएं सतर्कता बढ़ाने में अस्थायी रूप से सफल हो सकती हैं। हालांकि ये दवाएं, नींद की कमी या ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया का इलाज नहीं करती।

  5. जिन मामलों में स्लीप एपनिया अन्य अंतर्निर्हित स्थितियों से होता है, उसके स्थिति के अनुसार उसका उपयुक्त उपचार लाभकारी हो सकता है।

  6. स्लीप एपनिया से पीड़ित जो लोग दिन में नींद महसूस करते हैं, तो दिन में उनकी नींद को खत्म करने के लिए भी दवाएं उपलब्ध हैं। ये दवाएं एक अज्ञात तंत्र पर प्रतिक्रिया करने के लिए दिमाग को उत्तेजित रखती हैं। इस वर्ग की प्रोटोटिपिकल दवा को मोडेफिनिल (Provigil) कहा जाता है।

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दंत उपकरण

यह दातों में लगाया जाने वाला एक उपकरण होता है, जो एक प्रकार से माउथपीस उपकरण की तरह ही होता है। यह जबड़े और जीभ को आगे की तरफ और तालु को उपर की तरफ पकड़ कर रखता है, जिसकी मदद से वायुमार्ग को अवरुद्ध होने से रोका जाता है। वायुमार्ग के आकार में थोड़ी सी वृद्धि ही अक्सर एप्निया को खत्म करने के लिए पर्याप्त हो सकती है। दंत उपकरण के लिए किसी सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती, यह छोटा और कहीं भी ले जाने योग्य होता है, इसको लगाने या उतारने के लिए किसी अन्य मशीन की जरूरत भी नहीं पड़ती है। इस उपकरण को अन्य उपचार के दौरान भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनमें लगातार साकारात्मक वायुमार्ग दबाव (Continuous Positive Airway Pressure), अंदरूनी श्वासमार्ग और अन्य बाहरी वायुमार्गों की सर्जरी आदि शामिल हैं।

लगातार साकारात्मक वायुमार्ग दबाव (CPAP)

इसको ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के किसी भी स्तर पर सबसे बेहतर नॉन-सर्जिकल उपचार माना जाता है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के उपचार का सबसे पहला और मुख्य लक्ष्य वायुमार्गों को खुला रखना होता है, ताकि नींद के दौरान ये बंद होकर एप्निया का कारण ना बनें। CPAP की मदद से वायुमार्गों को खुला रखने के लिए वायु प्रैशर का इस्तेमाल किया जाता है।

Bi-स्तर साकारात्मक वायुमार्ग दबाव (BiPAP)

यह उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया है, जो लोग CPAP का दबाव नहीं सहन कर पाते।

ऑटो-टाइट्रेटिंग लगातार साकारात्मक वायुमार्ग दबाव

यह ऑटो-टाइट्रेटिंग मशीन होती है, इसको समार्ट-CPAP मशीन भी कहा जाता है। जो रात भार जरूरत के मुताबिक दबाव को एडजस्ट करती रहती है। इस मशीन का मुख्य लक्ष्य मरीज की हर स्थिति और नींद के दौरान वायुदाब का स्तर जितना हो सके न्यूतम रखना होता है।

ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए सर्जिकल उपचार

ऐसे कई सर्जिकल विकल्प हैं जिनकी मदद से ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का उपचार किया जा सकता है। सर्जिकल उपचार के प्रकार को किसी व्यक्ति की शारीरिक रचना और स्लीप एपनिया की गंभीरता के आधार पर चुना जाता है। अक्सर लोग सर्जरी से ही उपचार करवाना पसंद करते हैं, क्योंकि इससे एक बार में ही भरोसेमंद इलाज हो जाता है। काफी खर्चीली होने के बावजूद भी लोगों को सर्जरी का विकल्प ही अच्छा लगता है, क्योंकि कोई भी जीवन भर सोते समय दंत उपकरण या मास्क पहनना पसंद नहीं करेगा। ज्यादातर सर्जरी सुरक्षित होती हैं, हालांकि सर्जरी चाहे कितनी भी छोटी हो लेकिन उनमें जोखिम रहता है। ज्यादातर सर्जरी के दौरान अपने कार्यों से छुट्टी लेने की जरूरत पड़ती है।

सर्जरी के सभी जोखिम, लाभ और अन्य वैकल्पिकों को समझने के बाद ही सर्जरी कराना चाहिए।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

स्लीप एपनिया के लिए कोई सर्जिकल उपचार को शारीरिक समस्या वाले क्षेत्रों के अनुसार ही निर्धारित करना चाहिए। यहां एक या कई क्षेत्र हो सकते हैं, जो वायु के बहाव में दखल देते हैं और स्लीप एपनिया का कारण बनतें हैं। सर्जिकल उपचार की मदद से नाक, तालू, जीभ, जबड़े, गर्दन, मोटापे या अन्य क्षेत्रों में से कई का एक ही समय में उपचार कर दिया जाता है। किसी एक या अधिक वायुमार्गों को अवरुद्ध होने से रोकने के अनुसार ही सर्जरी की सफलता दर को निर्धारित किया जाता है। इसलिए, प्रत्येक सर्जरी को मरीज के आदर्श और उसकी विशिष्ट समस्या के अनुसार अनुकूलित किया जाता है। इनमें कुछ सर्जिकल विकल्प शामिल हैं -

  1. नाक वायुमार्ग सर्जरी
  2. तालु और ग्रसनी संबंधी सर्जरी
  3. उपरी वायुमार्ग उत्तेजना थेरेपी
  4. जीभ सर्जरी (Tongue Reduction)
  5. जीभ प्रस्थापन (Tongue Repositioning) या जेनियोग्लॉसस एडवांसमेंट (Genioglossus Advancement)
  6. हाइऑइड सस्पेंशन (Hyoid Suspension)
  7. मैक्जिलोमेंडिबुलर प्रतिक्रियाएं (Maxillomandibular procedures[UPPP])
  8. तालु प्रत्यारोपण
  9. ट्रेकियोस्टोमी
  10. बैरिएट्रिक सर्जरी
  11. उपरोक्त में से किसी का समायोजन

(और पढ़ें - सर्जरी कैसे होती है)

कई लोगों के वायुमार्गों में अवरोध कईं स्तरों पर होते हैं, इसलिए इन सर्जिकल तकनीकों को अक्सर एक साथ किया जाता है। उदाहरण के लिए UPPP थेरेपी के साथ जेनियोग्लॉसस एडवांसमेंट और हाइऑयड सस्पेंशन का इस्तेमाल करना।

  1. नाक वायुमार्ग सर्जरी (Nasal Airway Surgery) – यह नाक या उसके अंदर के भागों में असामान्य संरचना की मरम्मत की एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है।

  2. तालु और ग्रसनी संबंधी सर्जरी (Palatal and Pharyngeal Surgery) – इस सर्जरी को UPPP के नाम से भी जाना जाता है। इसमें स्लीप सर्जरी या सर्जरी की प्रक्रिया में गले के उतकों को हटाया जाता है या उनको ठीक से लगाया जाता है।

  3. ऊपरी वायुमार्ग उत्तेजना थेरेपी (Upper Airway Stimulation Therapy) – इस सर्जिकल थेरेपी में मुंह में छोटे उत्प्रेकों का आरोपण किया जाता है, जो नींद के दौरान हाईपोग्लोसल (जीभ के नीचे का भाग) तंत्रिका को जीभ और उपरी वायुमार्गों के प्रति उत्तेजित करता है। जैसा कि बताया गया है कि ज्यादातर मरीजों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया तब होता है, जब नींद के दौरान उनकी मांसपेशियां और वायुमार्ग शिथिल हो जाते हैं। इस थेरेपी में मांसपेशियों की शिथिलता और उसके बाद वायुमार्गों में रुकावटों को ठीक करने का प्रयास किया जाता है।

  4. जीभ सर्जरी (Tongue reduction surgery) – इस सर्जरी में कई तरीके होते हैं, जिससे जीभ के आकार को कम करके गले के मार्ग को बढ़ाया जा सकता है।

  5. जेनियोग्लॉसस एडवांसमेंट (Genioglossus advancement) जो सर्जिकल प्रतिक्रिएं या स्लीप सर्जरी जीभ के आधार को आगे की तरफ बढ़ा कर रखती हैं, आमतौर पर वह विकृति या नींद श्वास विकार के कारण वायुमार्ग आकार में वृद्धि करती है।

  6. हाइऑइड सस्पेंशन (Hyoid Suspension) – यह प्रक्रिया थायरॉयड से हाइऑइड हड्डी को सुरक्षित रखती है, जिससे वायुमार्ग के क्षेत्र को स्थिर करने में मदद मिलती है।

  7. मैक्जिलोमैंडिबुलर (Maxillomandibular Advancement) – यह एक ऐसी सर्जिकल प्रतिक्रिया है, जिसमें जबड़े और ऊपरी दातों को आगे की तरफ बढ़ाया जाता है। तालु को उपर की तरफ खींचा जाता है और जीभ के आधार को आगे की तरफ बढ़ाया जाता है। जिससे श्वास के लिए मार्ग खोलने में मदद मिलती है।

  8. तालु प्रत्यारोपण (Palate Implants) – नरम तालु की खर-खर्राहट की आवाज को कम करने के लिए उनमें छोटे प्रत्यारोपण डाले जाते हैं। मध्यम और कम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निय से पीड़ित लोगों के लिए भी यह काफी बेहतर विकल्प माना जाता है।

  9. ट्रेकियोस्टोमी (Tracheostomy) – यह एक परिवर्तनशील प्रक्रिया होती है, जिसमें सर्जरी की मदद से गर्दन से ही वायुमार्ग को बाहर निकाला जाता है।

  10. बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery) – बेरिएट्रिक सर्जरी को मोटापा कम करने की सर्जरी भी कहा जाता है, यह स्लीप एपनिया सर्जरी के प्रकारों में से एक है। यह सर्जरी काफी प्रभावित भी होती है, क्योंकि ज्यादातर स्लीप एपनिया का कारण मोटापा ही होता है। बेरिएट्रिक सर्जरी को वजन घटाने की प्रक्रिया के साथ भी जोड़ा जाता है।

(और पढ़ें - वजन घटाने के लिए योग)

स्लीप एपनिया के नुकसान - Sleep Apnea Complications in Hindi

स्लीप एपनिया को एक गंभीर चिकित्सा स्थिति समझा जाता है, जिसके निम्न लक्षण हो सकते हैं -

  1. दिन में थकान होना – स्लीप एपनिया के कारण बार-बार जागने की समस्या होती है, इसके कारण एक अच्छी और गहरी नींद लेना असंभव हो जाता है। स्लीप एपनिया से पीड़ित लोग अक्सर दिन में उनींदापन, थकान और चिड़चिड़ापन महसूस करने लगते हैं। ( और पढ़ें - थकान दूर करने के लिए क्या खाएं)

  2. उच्चर रक्त दाब और ह्रदय समस्याएं – स्लीप एपनिया के दौरान खून में ऑक्सीजन का स्तर अचानक गिर जाता है। जिसके कारण कार्डियोवास्कुलर प्रणाली (ह्रदय प्रणाली) में तनाव और उच्च रक्त दबाव हो जाता है। (और पढ़ें - हाई बीपी का आयुर्वेदिक इलाज)

  3. ह्रदय संबंधी रोग - ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से आवर्ती दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ सकता है और दिल की धड़कने भी असामान्य रूप से तेज हो सकती हैं। इससे स्ट्रोक के जोखिम भी बढ़ जाते हैं। अगर कोई अंतर्निर्हित ह्रदय संबंधी रोग है, तो खून में ऑक्सीजन की निम्न मात्रा (हाइपोक्जिया और हाइपोक्जिमीया) दिल की अनियमित धड़कन दर के कारण अचानक मौत का कारण भी बन सकती है।

  4. टाइप 2 डायबीटीज – स्लीप एपनिया से पीड़ित लोग, स्वस्थ लोगों के मुकाबले, खून में इंसुलिन प्रतिरोधी विकसित कर लेते हैं, जिस कारण से टाइप 2 डायबिटीज हो जाता है। (और पढ़ें - डायबिटीज का घरेलू उपाय)
    डायबिटीज को बढ़ने से रोके myUpchar Ayurveda डायबिटीज टैबलेट का इस्तेमाल करे और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

  5. मेटाबॉलिक सिंड्रोम - यह विकार हृदय रोग के जोखिमों से जुड़े अन्य जोखिम कारकों का संग्रह है।

  6. मेडिकल सर्जरी में जटिलताएं – कुछ सामान्य बेहोशी की दवाएं और अन्य दवाओं का सेवन करने के मामले में भी ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक चिंता का विषय बन जाता है। किसी प्रमुख सर्जरी के बाद स्लीप एपनिया से ग्रसित लोग भी इन जटिलताओं से गुजर सकते हैं, क्योंकि वे सांस की समस्याओं के प्रवृत्त होते हैं, खासकर जब वे नशे में या पीठ के बल लेटे हों।

  7. लिवर समस्याएं – स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों के लिवर के कार्य परिणाम भी असामान्य हो सकते हैं और उनके लिवर द्वारा निशान के संकेत देने की संभावना भी बढ़ जाती है। इस स्थिति को नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर के नाम से जाना जाता है। (और पढ़ें - फैटी लीवर के उपाय)

स्लीप एपनिया में परहेज़ - What to avoid during Sleep Apnea in Hindi?

स्लीप एपनिया में परहेज

  • अल्कोहल और कैफीन आदि का सेवन ना करें।
  • संशोधित (Processed) खाद्य पदार्थ या संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
  • अधिक मीठे और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ ना खाएं। (और पढ़ें - खाने में कितनी कैलोरी होती हैं)
  • धूम्रपान छोड़े - सिगरेट सीधे ऊपरी वायुमार्ग, गले, और नरम तालु को प्रभावित करता हैं और समय के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्र फूलने या बढ़ने लग जाता है।
  •  सोने की अवस्था – आमतौर पर पीठ के बल सोना स्लीप एपनिया की स्थिति को बद्तर बनाता है और एक तरफ सोने की अवस्था स्लीप एपनिया के मरीज  के लिए बेहतर होती है।

(और पढ़ें - योग निद्रा क्या है)

स्लीप एपनिया में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Sleep Apnea in Hindi?

स्लीप एपनिया पीड़ित व्यक्ति को क्या खाना चाहिए?

फलियां, स्लीप एपनिया के मरीजों के लिए एक बेहतर खाद्य पदार्थ है। विटामिन बी की उच्च मात्रा वाली फलियां जैसे, काली मटर और मसूर की दाल जैसे खाद्य पदार्थ जो तंत्रिका तंत्र को शांति प्रदान करते हैं।

गर्म दूध और दही – दूध में कुछ ट्रिप्टोफैन पाया जाता है जो कि एक एमीनो एसिड होता है और शामक की तरह प्रभाव करता है। इसके अलावा दूध में मौजूद कैल्सियम मस्तिष्क को ट्रिप्टोफैन इस्तेमाल करने में मदद करता है। (और पढ़ें - कैल्शियम युक्त भारतीय आहार)

शहद – गर्म दूध या हर्बल चाय में शहद की कुछ बूंदे डालकर सेवन करें।

चेरी – यह शरीर में मेलाटोनिन की आपूर्ति करती है। यह फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं, जो रात को अच्छी नींद प्रदान करने में मदद करते हैं।

पॉप कॉर्न – यह मस्तिष्क में नींद-उत्प्रेरण न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन बनाने में मदद करता है, यह नींद लाने में भी काफी मदद करता है। पर हमेशा भूने गए पॉपकॉर्न का सेवन करना चाहिए और तेल में भूने हुए पॉपकॉर्न से बचना चाहिए। (और पढ़ें - पॉपकॉर्न के फायदे)

बादाम – इसमें मैग्निशियम पाया जाता है, जो नींद और मांसपेशियों को आराम प्रदान करता है। यह एड्रेनालाइन चक्र को रेस्ट एंड डाइजेस्ट चक्र में बदलकर नींद को बढ़ावा देता है।

ब्रैड - एक उच्च ग्लाइसेमिक भोजन के रूप में आपको नींद महसूस कराने में मदद कर सकता है, विशेषकर अगर आप बिस्तर पर जाने से 4 घंटे पहले ब्रैड का सेवन करते हैं। लेकिन, अगर आप पतले रहना चाहते हैं तो ब्रैड ना खाएं, क्योंकि इससे रक्त शर्करा में वृद्धि होती है जिससे वजन बढ़ता है।

अलसी के बीज – रात को सोते समय 2 चम्मच अलसी के बीजों का सेवन करें। ये ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो मनोदशा को सही करने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में बदलते मूड के कारण)

केले – इसमें भी ट्रिप्टोफैन होता है, इसके साथ ही साथ इसमें ऐसे पदार्थ होते हैं, जो मेलाटोनिन के उत्पादन, नींद लाने वाले हार्मोन, मांसपेशियों में आराम आदि कार्यों को बढ़ावा देता है। (और पढ़ें - केले के छिलके के फायदे)

हर्बल चाय और दलिया – आदि का सेवन भी स्लीप एपनिया के मरीजों के लिए एक बेहतर विकल्प है। (और पढ़ें - मसाला चाय के फायदे)



संदर्भ

  1. White Swan Foundation [Internet]. New Delhi; Sleep Apnea.
  2. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]: U.S. Department of Health and Human Services; Sleep Apnea.
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Sleep Apnea.
  4. Lucia Spicuzza et al. Obstructive sleep apnoea syndrome and its management. Ther Adv Chronic Dis. 2015 Sep; 6(5): 273–285. PMID: 26336596
  5. U. S Food and Drug Association. [Internet]. Always Tired? You May Have Sleep Apnea.

स्लीप एपनिया की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Sleep Apnea in Hindi

स्लीप एपनिया के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।