सिकल सेल बीमारी - Sickle Cell Disease in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 21, 2017

December 28, 2021

सिकल सेल बीमारी
सिकल सेल बीमारी

सिकल सेल बीमारी क्या है?
सिकल सेल कई बीमारियों का एक समूह है जो खून में मौजूद हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है जो बच्चे को अपने माता-पिता से मिलती है। इसमें हीमोग्लोबिन के असामान्य अणु जिन्हें हीमोग्लोबिन एस कहते हैं वे लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का रूप बिगाड़ देते हैं जिससे वह सिकल या हंसिया (अर्धचन्द्राकार) शेप का हो जाता है। लाल रक्त कोशिकाएं या आरबीसी जो स्वस्थ होती हैं उनका शेप गोलाकार होता है और वे छोटी-छोटी रक्त धमनियों से भी आसानी से गुजर जाती हैं जिससे शरीर के हर एक हिस्से और कोने तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचता है।  

सिकल सेल, सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं की तुलना में कम लचीली होती हैं और चूंकि उनका रूप हंसिया जैसा हो जाता है, इस कारण वे छोटी-छोटी रक्त धमनियों से होकर गुजर नहीं पातीं और गुजरने की प्रक्रिया के दौरान टूट जातीं हैं। कई बार तो छोटी रक्त धमनियों से गुजरने के दौरान ये सिकल सेल वहां फंस जाती हैं और रक्त संचार में रूकावट पैदा करती हैं। इस कारण व्यक्ति को तेज दर्द महसूस होता है और कई गंभीर बीमारियां जैसे- इंफेक्शन, स्ट्रोक या एक्यूट चेस्ट सिंड्रोम होने का खतरा रहता है। इसके अलावा सिकल सेल बीमारी से पीड़ित मरीज को हड्डियों और जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने, किडनी डैमेज होने, दृष्टि संबंधी समस्याएं होने और प्यूबर्टी आने में देरी जैसी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है।  

इतना ही नहीं, सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं जहां 90 से 120 दिन तक जीवित रहती हैं वहीं, सिकल सेल सिर्फ 10 से 20 दिन तक ही जीवित रह पाती हैं। इस कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है और व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। तो आखिर ये सिकल सेल बीमारी कितने तरह की होती है, इसका कारण, लक्षण, संकेत क्या है और इसका इलाज कैसे होता है, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

सिकल सेल बीमारी के प्रकार - Types of Sickle Cell Disease in Hindi

सिकल सेल बीमारी मुख्य रूप से 4 तरह की होती है:

  • सिकल सेल एनीमिया: इसमें व्यक्ति अपने दोनों पैरंट से एक-एक सिकल सेल जीन (हीमोग्लोबिन एस) वंशानुगत तरीके से प्राप्त करता है। सिकल सेल एनीमिया ही इस बीमारी का सबसे गंभीर रूप है।
  • सिकल हीमोग्लोबिन-सी डिजीज: जिन लोगों को सिकल हीमोग्लोबिन-सी डिजीज होती है उन्हें माता-पिता में से किसी एक से सिकल सेल जीन (हीमोग्लोबिन एस) प्राप्त होता है और दूसरे पैरंट से असामान्य हीमोग्लोबिन सी। यह सिकल सेल बीमारी का हल्का रूप माना जाता है।
  • सिकल बीटा-प्लस थैलसीमिया: इसमें बीमार व्यक्ति एक सिकल सेल जीन (हीमोग्लोबिन एस) अपने एक पैरंट से प्राप्त करता है और दूसरे पैरंट से बीटा थैलसीमिया (एनीमिया एक और प्रकार) का एक जीन। बीटा थैलसीमिया भी दो तरह का होता है- जीरो और प्लस। सिकल बीटा-प्लस थैलसीमिया सिकल सेल बीमारी का हल्का रूप माना जाता है।
  • सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया: जिन लोगों को सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया होता है उन्हें सिकल सेल बीमारी का गंभीर रूप माना जाता है।
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹712  ₹799  10% छूट
खरीदें

सिकल सेल बीमारी के लक्षण - Sickle Cell Disease Symptoms in Hindi

सिकल सेल बीमारी जन्म के तुरंत बाद से जब बच्चा नवजात होता है तभी से उसके शरीर में मौजूद होती है। हालांकि नवजात शिशु जब तक 5 या 6 महीने का नहीं हो जाता उसमें बीमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आते। कई बार बीमारी के लक्षण जीवन के शुरुआती दिनों में ही नजर आने लगते हैं लेकिन कुछ मामलों में जीवन के बाद के सालों में दिखते हैं।

बीमारी के शुरुआती लक्षण हैं

बाद में दिखने वाले लक्षण

  • शरीर के किसी खास हिस्से में बेहद तेज दर्द होना खासकर एक से ज्यादा स्पॉट पर क्योंकि खून के जरिए शरीर के उस हिस्से को ऑक्सीजन की पूर्ति सही तरीके से नहीं हो पाती है।
  • बीमारी से पीड़ित किशोर उम्र के बच्चे या वयस्कों को लंबे समय तक दर्द का सामना करना पड़ता है

सिकल सेल बीमारी के कारण - Sickle Cell Disease Causes in Hindi

सिकल सेल कोई संक्रामक बीमारी नहीं है यानी सर्दी-जुकाम या किसी और इंफेक्शन की तरह आप इसे न तो किसी और व्यक्ति को ट्रांसफर कर सकते हैं और ना ही किसी और व्यक्ति से आपको यह बीमारी हो सकती है। सिकल सेल बीमारी मुख्य रूप से एक आनुवांशिक त्रुटि या दोष के कारण होती है। जब किसी बच्चे को अपने माता-पिता दोनों से सिकल सेल के जीन्स मिलते हैं तो उस बच्चे को सिकल सेल बीमारी हो जाती है। सिकल सेल बीमारी के कुछ मामलों में व्यक्ति को एक पैरंट से सिकल सेल जीन मिलता है और दूसरे पैरंट से किसी और तरह का अलग असामान्य हीमोग्लोबिन जीन। 

अगर किसी बच्चे को सिर्फ एक पैरंट यानी माता-पिता में से सिर्फ किसी एक से यह सिकल सेल जीन मिलता है तो उस व्यक्ति को सिकल सेल बीमारी नहीं बल्कि सिकल सेल ट्रेट की समस्या होती है। सिकल सेल ट्रेट वाले व्यक्ति को बीमारी नहीं होती लेकिन वह इस बीमारी का वाहक या कैरियर बन जाता है। यानी वे अपने बच्चों को सिकल सेल जीन ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसे लोगों में या तो बीमारी के बेहद हल्के लक्षण नजर आते हैं या फिर कोई लक्षण नहीं दिखते।

सिकल सेल बीमारी का परीक्षण - Diagnosis of Sickle Cell Disease in Hindi

सिकल सेल बीमारी को आमतौर पर प्रेगनेंसी या फिर बच्चे के जन्म के समय डायग्नोज किया जाता है। आपको यह बीमारी होने का खतरा तभी सबसे अधिक होता है अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी होने का इतिहास हो। सिकल सेल डिजीज की पहचान और डायग्नोसिस करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹850  ₹850  0% छूट
खरीदें

सिकल सेल बीमारी का इलाज - Sickle Cell Disease Treatment in Hindi

सिकल सेल बीमारी से पीड़ित सभी लोगों के लिए एक ही तरह का इलाज मौजूद नहीं है। इलाज का विकल्प हर मरीज के लिए अलग होता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति में बीमारी के लक्षण कैसे हैं- हल्के या गंभीर। सिकल सेल बीमारी के इलाज में खून चढ़ाना पड़ता है और कई बार बोन मैरो या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी करवाने की जरूरत पड़ती है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट सिकल सेल बीमारी का एकमात्र इलाज मौजूद है। लेकिन यह बेहद कठिन और जोखिम से भरी प्रक्रिया है जिसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं और कई बार मरीज की मौत भी हो सकती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट सही तरीके से काम करे इसके लिए बेहद जरूरी है कि डोनर, मरीज का भाई या बहन हो ताकि बोन मैरो का मैच बेहद नजदीकी हो। 

फिलहाल वैज्ञानिक सिकल सेल बीमारी के इलाज के लिए जीन थेरेपी पर अध्ययन कर रहे हैं जिसके तहत डॉक्टर उस असामान्य जीन को बदलकर इस बीमारी का इलाज कर पाएंगे। हालांकि इलाज के बगैर भी सिकल सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है अगर वह अपने इलाज के प्लान को सही तरीके से फॉलो करे:

  • बचपन में शिशु को लगने वाले सभी टीकों के अलावा सिकल सेल बीमारी से पीड़ित किशोर बच्चों को न्यूमोकॉकल, फ्लू और मेनिंगोकॉकल का टीका लगवाना चाहिए।
  • फोलिक ऐसिड सप्लिमेंट्स का सेवन करना ताकि शरीर में नई लाल रक्त कोशिकाएं बनती रहें।
  • खूब सारा पानी पीते रहना ताकि दर्द से बचा जा सके और अचानक से तापमान में बहुत ज्यादा बदलाव होने से बचें।
  • एनालजेसिक या दर्दनिवारक दवाइयां दी जाती हैं ताकि गंभीर दर्द से बचा जा सके।


संदर्भ

  1. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]: U.S. Department of Health and Human Services; Sickle Cell Disease.
  2. National Institutes of Health; [Internet]. U.S. National Library of Medicine. Sickle cell disease.
  3. National Health Service [Internet]. UK; Diagnosis.
  4. National Health Service [Internet]. UK; Treatment.
  5. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Sickle Cell Disease (SCD).