सिकल सेल बीमारी क्या है?
सिकल सेल कई बीमारियों का एक समूह है जो खून में मौजूद हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है जो बच्चे को अपने माता-पिता से मिलती है। इसमें हीमोग्लोबिन के असामान्य अणु जिन्हें हीमोग्लोबिन एस कहते हैं वे लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का रूप बिगाड़ देते हैं जिससे वह सिकल या हंसिया (अर्धचन्द्राकार) शेप का हो जाता है। लाल रक्त कोशिकाएं या आरबीसी जो स्वस्थ होती हैं उनका शेप गोलाकार होता है और वे छोटी-छोटी रक्त धमनियों से भी आसानी से गुजर जाती हैं जिससे शरीर के हर एक हिस्से और कोने तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचता है।
सिकल सेल, सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं की तुलना में कम लचीली होती हैं और चूंकि उनका रूप हंसिया जैसा हो जाता है, इस कारण वे छोटी-छोटी रक्त धमनियों से होकर गुजर नहीं पातीं और गुजरने की प्रक्रिया के दौरान टूट जातीं हैं। कई बार तो छोटी रक्त धमनियों से गुजरने के दौरान ये सिकल सेल वहां फंस जाती हैं और रक्त संचार में रूकावट पैदा करती हैं। इस कारण व्यक्ति को तेज दर्द महसूस होता है और कई गंभीर बीमारियां जैसे- इंफेक्शन, स्ट्रोक या एक्यूट चेस्ट सिंड्रोम होने का खतरा रहता है। इसके अलावा सिकल सेल बीमारी से पीड़ित मरीज को हड्डियों और जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने, किडनी डैमेज होने, दृष्टि संबंधी समस्याएं होने और प्यूबर्टी आने में देरी जैसी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है।
इतना ही नहीं, सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं जहां 90 से 120 दिन तक जीवित रहती हैं वहीं, सिकल सेल सिर्फ 10 से 20 दिन तक ही जीवित रह पाती हैं। इस कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है और व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। तो आखिर ये सिकल सेल बीमारी कितने तरह की होती है, इसका कारण, लक्षण, संकेत क्या है और इसका इलाज कैसे होता है, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।