प्रायन रोग, न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों का एक समूह है जो इंसानों और जानवरों दोनों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में मस्तिष्क के कार्यों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे याददाशत की शक्ति, व्यक्तित्व और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। मस्तिष्क में प्रायन प्रोटीन के मिसफोल्ड होने के कारण प्रायन रोग होता है। यह स्थिति मस्तिष्क के कार्य में लगातार गिरावट का कारण बनती है। प्रायन प्रोटीन का मुख्य काम क्या है? इस बारे मे अभी तक विशेषज्ञों को बहुत अधिक जानकारी नहीं है। प्रायन प्रोटीन के मिसफोल्ड होने के कारण तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और मस्तिष्क के भीतर थक्का जमना शुरू हो जाता है। तंत्रिका कोशिकाओं को होने वाले नुकसान के कारण मस्तिष्क के ऊतकों में छोटे छेद हो जाते हैं।

इंसानों में प्रायन रोग कई प्रकार से विकसित हो सकता है।

  • एक्वायर्ड प्रायन रोग : दूषित भोजन या चिकित्सा उपकरण, जैसे बाहरी स्रोतों के माध्यम से असामान्य पीआरपी के संपर्क में आने से यह समस्या हो सकती है।
  • आनुवंशिक : जीन में उत्परिवर्तन के कारण भी प्रायन प्रोटीन के मिसफोल्ड होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • स्पोर्डिक : अज्ञात कारण से प्रोटीन के मिसफोल्ड होने की स्थिति।

इस लेख में हम प्रायन रोग के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

प्रायन रोग के लक्षण - Prion disease symptoms in Hindi

प्रायन रोगों में इनक्यूबेशन अवधि आमतौर पर बहुत लंबी होती है, कई मामलों में यह अवधि कई वर्षोंं तक की भी हो सकती है। इनक्यूबेशन अवधि से तात्पर्य किसी रोगजनक जीव, रसायन या विकिरण के संपर्क में आने से लेकर पहली बार लक्षण और संकेत दिखने के समय से है। लक्षण विकसित होने पर इसका प्रभाव तेजी से बढ़ने लगता है और बहुत कम ही समय में यह गंभीर रूप ले सकता है।

प्रायन रोग में सामान्य तौर पर निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं -

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

प्रायन रोग का कारण - Prion disease causes in Hindi

कई कोशिकाओं की सतहों पर पाए जाने वाला प्रायन प्रोटीन जब असामान्य रूप में हो जाए अथवा मस्तिष्क में थक्का बनाने लगे तो ऐसी अवस्था में प्रायन रोग हो सकता है। इस स्थिति में मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा रहता है। असामान्य रूप से मस्तिष्क में प्रोटीन के इस संचय से याददाश्त कमजोर होने और व्यक्तित्व में परिवर्तन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्रायन रोग के बारे में अब तक विशेषज्ञों को बहुत अधिक जानकारी नहीं है और दुर्भाग्य से यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

अब तक हुए शोध और अध्ययनों के मुताबिक प्रायन रोग के 10 से 15 फीसदी मामलों का मुख्य कारण पीआरएनपी जीन में उत्परिवर्तन होना होता है। यह जीन मुख्य रूप से प्रायन प्रोटीन बनाने का निर्देश प्रदान करता है। प्रायन रोग के 85 से 90 प्रतिशत मामलों को स्पोर्डिक या एक्वायर्ड रूप में वर्गीकृत किया गया है। स्पोर्डिक प्रायन रोग वाले लोगों में बीमारी का न तो कोई पारिवारिक इतिहास होता और न ही पीआरएनपी जीन में उत्परिवर्तन। प्रायन रोग को आनुवांशिक भी माना जाता है।

प्रायन रोग का निदान - Diagnosis of Prion disease in Hindi

चूंकि प्रायन रोग में अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के समान लक्षण दिखाई दे सकते हैं, ऐसे में इसका निदान करना मुश्किल हो सकता है। प्रायन रोग के निदान की पुष्टि करने का एकमात्र तरीका है ब्रेन बायोप्सी। हालांकि, यह मृत्यु के बाद किया जाता है। रोगी के लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री और कुछ परीक्षणों के आधार पर डॉक्टर प्रायन रोग का निदान कर सकते हैं।

मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई): मस्तिष्क की विस्तृत छवि प्राप्त करने के लिए डॉक्टर एमआरआई टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इससे प्रायन रोग से संबंधित मस्तिष्क संरचना में परिवर्तन को देखा जा सकता है।

सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (सीएसएफ) टेस्ट :  न्यूरोडिनेरेशन से जुड़े मार्करों का पता लगाने के लिए सीएसएफ का परीक्षण किया जाता है। साल 2015 में मानव प्रायन रोग के मार्करों का पता लगाने के लिए विशेष रूप से एक परीक्षण को विकसित किया गया।

इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी (ईईजी): इस परीक्षण के माध्यम से मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि का पता लगाया जाता है।

प्रायन रोग का इलाज - Treatment of Prion disease in Hindi

प्रायन रोग को ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ दवाओं के माध्यम से इसके लक्षणों को कम करने का प्रयास जरूर किया जा सकता है। प्रायन रोगों के लिए प्रभावी उपचार खोजने पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। डॉक्टरों की कोशिश होती है कि मेडिकल मैनेजमेंट के द्वारा रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। इसके लिए निम्न उपायों को प्रयोग में लाया जाता है।

दवाइयां

रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं प्रयोग में लाई जा सकती हैं। जिनमें से प्रमुख हैं।

  • रोगी के मनोवैज्ञानिक लक्षणों को कम करने के लिए एंटीडिप्रेशन दवाएं
  • मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द को कम करने वाली दवाएं

अन्य सहायता

बीमारी बढ़ने के साथ रोगियों को विशेष देखभाल और दैनिक गतिविधियों को करने में मदद की आवश्यकता होती है।

हाइड्रेशन और पोषण

रोग के एडवांस चरणों में, हाइड्रेशन और पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए फीडिंग ट्यूब अथवा नसों के माध्यम से शरीर में पोषक तत्व पहुंचाए जाते हैं।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

Dr. Hemant Kumar

न्यूरोलॉजी
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Vinayak Jatale

न्यूरोलॉजी
3 वर्षों का अनुभव

Dr. Sameer Arora

न्यूरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Khursheed Kazmi

न्यूरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

और पढ़ें...
ऐप पर पढ़ें