पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) - Post traumatic Stress Disorder in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

June 28, 2017

November 05, 2020

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित स्थिति है, जिसका सीधा संबंध व्यक्ति के साथ घटी किसी भयानक घटना से होता है। वह घटना या तो उस व्यक्ति के साथ घटी होती है या उसने इन सब मामलों को देखा होता है। अनेक प्रयासों के बाद भी वह उन यादों से बाहर नहीं आ पाता है। बहुत से लोग जो इस प्रकार की दर्दनाक या किसी अप्रिय घटना का अनुभव करते हैं, उनको इससे संभलने और बाहर आने में थोड़ा समय लगता है। लेकिन अगर इसके लक्षण कम न हों और इसका असर अन्य कार्यों और संबंधों पर भी पड़ने लगे तो ऐसी स्थिति पीटीएसडी का कारण हो सकती है।

पीटीएसडी की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। किसी अप्रिय और दिल दहला देने वाली घटना के बाद मस्तिष्क में रासायनिक और न्यूरोनल परिवर्तनों के कारण इस तरह की समस्या उत्पन्न हो सकती है। हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पीटीएसडी का मतलब व्यक्ति में कोई कमी या कमजोरी होना नहीं है। ऐसे लोग सामान्य व्यक्तियों की तरह काम कर सकते हैं।

इस लेख में हम पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण, कारण और इलाज के तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण - Post traumatic Stress Disorder symptoms in hindi

कुछ लोगों में घटना के कुछ ही दिनों या महीनों के बाद पीटीएसडी के लक्षण दिखने लगते हैं जबकि कुछ लोगों में एक साल या उससे अधिक का वक्त भी लग सकता है। इन लक्षणों के कारण सामाजिक या पारिवारिक रिश्तों में भी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। कई बार लोगों के दिमाग पर घटना का ऐसा प्रभाव पड़ता है कि उनके लिए दैनिक कार्यों को करने में भी समस्याएं होने लगती हैं।

पीटीएसडी के लक्षण आमतौर पर तीन प्रकारों के हो सकते हैं। घटना की यादों को भूल न पाना, सोच और मनोदशा में नकारात्मक परिवर्तन और शारीरिक तथा भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी इसके लक्षण भिन्न हो सकते हैं। पीटीएसडी विकार से ग्रसित लोगों में सामान्य रूप से निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।

  • दर्दनाक घटना की बार-बार याद आना, यादों के चलते व्याकुलता
  • घटना को लेकर बुरे सपने आना
  • घटना के बारे में सोचने या बात करने से बचने की कोशिश करना
  • उस स्थान और उन लोगों से बचना जिनको देखकर उस घटना की याद आती हो
  • स्वयं और अन्य लोगों के बारे में नकारात्मक विचार रखना
  • करीबी रिश्तों को बनाए रखने में कठिनाई
  • परिवार और दोस्तों से अलग महसूस करना
  • उन गतिविधियों में रुचि की कमी, जिनमें पहले आनंद आता रहा हो
  • सोने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • व्यवहार में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और आक्रामकता होना
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Manamrit Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Brahmi Tablets
₹896  ₹999  10% छूट
खरीदें

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के कारण - Post traumatic Stress Disorder causes in hindi

प्राकृतिक आपदा, युद्ध, हमले अथवा किसी गंभीर घटना के दिमाग पर गहरा असर कर जाने के कारण पीटीएसडी हो सकता है। वैसे इस तरह की घटनाओं का अनुभव करने वाले हर व्यक्ति में पीटीएसडी की समस्या होना अनिवार्य नहीं है। कुछ लोगों में ही यह विकार का रूप ले सकती हैं।

साल 2008 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस तरह के विकारों से ग्रसित व्यक्तियों का हिप्पोकैम्पस सामान्य से छोटा होता है। हिप्पोकैम्पस, मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो यादों और भावनाओं के अनुभव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि घटना के पहले ही लोगों में हिप्पोकैम्पस का आकार छोटा होता है या फिर ऐसी स्थिति घटना के परिणामस्वरूप होती है। इन विषयों के संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है। इसके अलावा विशेषज्ञों ने पाया कि इस विकार से ग्रसित लोगों में तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन का स्तर भी असामान्य होता है। 

अध्ययनों के आधार पर विशेषज्ञों ने पाया कि हार्ट अटैक के शिकार आठ में से एक व्यक्ति में पीटीएसडी के लक्षण विकसित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि आपके जीवन में कोई गंभीर घटना हो तभी आपको पीटीएसडी हो सकता है। कई मामलों में देखा गया है कि यदि किसी व्यक्ति के दिमाग पर छोटी सी बीमारी या सर्जरी का भी बुरा असर पड़ा हो तो उसे भी पीटीएसडी का खतरा हो सकता है।

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का निदान - Diagnosis of Post traumatic Stress Disorder in hindi

पीटीएसडी के निदान के लिए अब तक कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं है। चूंकि, ऐसे लोग पुरानी घटनाओं और बातों को याद करने और उसके बारे में चर्चा करने से संकोच करते हैं, ऐसे में पीटीएसडी का निदान करना और भी मुश्किल हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, जैसे कि साइकेट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट आदि को ऐसे रोगों को समझने और उनके उपचार का विशेषज्ञ माना जाता है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ निम्न परीक्षणों के आधार पर विकार का निदान करते हैं।

  • पीटीएसडी के कारक अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए फिजिकल टेस्ट किया जा सकता है
  • विकार के मूल कारणों को जानने के लिए विशेष स्थिति का मनोवै​ज्ञानिक रूप से मूल्यांकन कर सकते हैं। इसमें व्यक्ति से उनके अनुभवों को जानने का प्रयास किया जाता है
  • डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ़ मेंटल डिसऑर्डर्स, फिफ्थ एडिशन: (डीएसएम-5) में बताए गए मानदंडों के आधार पर व्यक्ति की स्थितियों का मूल्यांकन करके समस्या का निदान किया जा सकता है

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का इलाज - Treatment of Post traumatic Stress Disorder in hindi

पीटीएसडी के इलाज का मुख्य लक्ष्य व्यक्ति के भावनात्मक और शारीरिक लक्षणों को कम करने के साथ उसके दैनिक कामकाज में सुधार लाना होता है। इसके अलावा विकार को ट्रिगर करने वाली घटनाओं को नियंत्रित करने का भी प्रयास किया जाता है। पीटीएसडी के इलाज में मनोचिकित्सा और दवाएं फायदेमंद हो सकती हैं।

साइकोथरपी से इलाज

पीटीएसडी के रोगियों के इलाज के लिए कई प्रकार की थेरपी को प्रयोग में लाया जा सकता है।

  • कॉग्नेटिव बिहैवियर थेरपी

इस थेरपी के माध्यम से चिकित्सक को यह समझने में आसानी होती है कि आखिर किन बातों को सोचने से लक्षण गंभीर हो जाते हैं? इसके अलावा इस थेरपी के माध्यम से व्यक्ति में उभर रही नकारात्मक सोच, डर, बुरे सपनों और यादों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। कॉग्निटिव थेरेपी का प्रयोग अक्सर एक्सपोज़र थेरेपी के साथ किया जाता है।

  • एक्सपोजर थेरपी

एक्सपोजर थेरेपी के माध्यम से फ्लैशबैक यानी अतीत में हुई घटना और बुरे सपनों के बारे में जानने में आसानी होती है। इसके माध्यम से उन घटनाओं के बारे में जानकर, लक्षणों की गंभीरता के आधार पर इलाज की प्रक्रिया को प्रयोग में लाया जाता है।

  • फेमिली थेरपी

चूंकि, विकार के कारण होने वाली समस्या का असर परिवार के अन्य लोगों को भी प्रभावित कर सकता है, ऐसे में फेमिली थेरपी को भी प्रयोग में लाया जाता है।

दवाइयों की मदद से इलाज

पीटीएसडी के इलाज का दूसरा माध्यम है दवाएं। लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर व्यक्ति को निम्न प्रकार की दवाएं दे सकते हैं।

  • एंटीडिप्रेशेंट
  • एंटी एंग्जाइटी मेडिसिन
  • प्राजोशिन : इन दवाइयों की मदद से घटना के बारे में आने वाले भयानक सपनों को दूर किया जा सकता है


संदर्भ

  1. Jitender Sareen et al. Posttraumatic Stress Disorder in Adults: Impact, Comorbidity, Risk Factors, and Treatment . Can J Psychiatry. 2014 Sep; 59(9): 460–467. PMID: 25565692
  2. Javier Iribarren et al. Post-Traumatic Stress Disorder: Evidence-Based Research for the Third Millennium . Evid Based Complement Alternat Med. 2005 Dec; 2(4): 503–512. PMID: 16322808
  3. National Institute of Mental Health [Internet] Bethesda, MD; Post-Traumatic Stress Disorder. National Institutes of Health; Bethesda, Maryland, United States
  4. National Center for PTSD [Internet[ U.S. Department of Veterans Affairs, Washington DC; PTSD: National Center for PTSD
  5. Office on Women's Health [Internet] U.S. Department of Health and Human Services; Post-traumatic stress disorder.
  6. Mental Health. Post-Traumatic Stress Disorder. U.S. Department of Health & Human Services, Washington, D.C. [Internet]
  7. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Post-Traumatic Stress Disorder
  8. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Post-traumatic Stress Disorder in Children
  9. Office of Disease Prevention and Health Promotion. PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder). [Internet]

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Post traumatic Stress Disorder in Hindi

पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।