पार्किंसन रोग का इलाज क्या है?
पार्किंसन रोग को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन दवाएं आपके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। कुछ गंभीर मामलों में, सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।
आपके डॉक्टर जीवन शैली में बदलाव करने, विशेष रूप से एरोबिक व्यायाम की सिफारिश भी कर सकते हैं। कुछ मामलों में, भौतिक चिकित्सा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसमें संतुलन और स्ट्रेचिंग पर ज़ोर दिया जाता है।
1. दवाएं
दवाएं आपके मस्तिष्क में डोपामाइन की आपूर्ति को बढ़ाकर आपकी चाल, गतिविधि और कम्पन से जुडी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायता कर सकती हैं। हालांकि, डोपामाइन को प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि यह आपके मस्तिष्क में प्रवेश नहीं कर सकता है।
पार्किंसन रोग का उपचार शुरू होने के बाद आपके लक्षणों में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। समय के साथ, दवाओं का प्रभाव अक्सर कम हो जाता है, हालांकि लक्षणों को आमतौर पर काफी अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
आपके डॉक्टर निम्न दवाइयां लिख सकते हैं –
- कार्बिडोपा-लेवोडोपा (Carbidopa-Levodopa) – लेवोडोपा, पार्किंसन रोग की सबसे असरदार दवा है। यह एक प्राकृतिक रसायन है, जो आपके मस्तिष्क में जाता है और डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है। मतली या चक्कर आना (ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन) इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
कई वर्षों के बाद, जब आपकी बीमारी बढ़ जाती है तो लेवोडोपा दवा का प्रभाव स्थिर नहीं रह पाता व कम या ज़्यादा हो सकता है। इसके अलावा, लेवोडोपा की ज़्यादा खुराक लेने के बाद आपको अनैच्छिक गतिविधियों (डिस्किनेसिया; Dyskensia) का अनुभव हो सकता है। आपके चिकित्सक इन प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए आपकी दवा की खुराक कम कर सकते हैं या दवा लेने के समय को नियमित कर सकते हैं।
- डोपामाइन एगोनिस्ट (Dopamine Agonists) – एगोनिस्ट मस्तिष्क में डोपामाइन जैसे प्रभाव उत्पन्न करते हैं। ये पार्किंसन रोग के लक्षणों के उपचार में लेवोडोपा के समान असरदार नहीं हैं। हालांकि, इनका असर लंबे समय तक रहता है और लेवोडोपा द्वारा होने वाले अधिक प्रभाव को कम करने के लिए लेवोडोपा के साथ इनका उपयोग किया जा सकता है। डोपामाइन एगोनिस्ट के कुछ दुष्प्रभाव लेवोडोपा के समान हैं, लेकिन इनमें मतिभ्रम, सूजन, तन्द्रा और बार-बार दोहराये जाने वाले व्यवहार - जैसे कि जुआ खेलना - भी शामिल हैं।
- एमएओ-बी अवरोधक (MAO-B inhibitors) – ये मोनोअमैन ऑक्सीडेज बी (माओ-बी) नामक मस्तिष्क एंजाइम को बाधित करके मस्तिष्क डोपामाइन की क्षति को रोकने में मदद करते हैं। यह एंजाइम मस्तिष्क डोपामाइन को छोटे-छोटे खण्डों में विभक्त कर देता है। साइड इफेक्ट्स में मतली या सिरदर्द शामिल हो सकते हैं। लेवोडोपा के साथ इन दवाओं को लेने से मतिभ्रम का खतरा बढ़ जाता है। गंभीर लेकिन दुर्लभ प्रभावों के कारण ये दवाएं अक्सर अवसादरोधकों या कुछ विशेष प्रकार के नेरोटिक्स के साथ संयोजन में उपयोग नहीं होती हैं। माओ-बी इन्हीबिटर के साथ कोई अतिरिक्त दवा लेने से पहले अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
- कैटेकॉल ओ-मेथिलट्रांसफेरेज (सीओएमटी) अवरोधक (Catechol O-methyltransferase (COMT) inhibitors) – यह दवा डोपामाइन को तोड़ने वाले एंजाइम को अवरुद्ध करके लेवोडोपा चिकित्सा के प्रभाव को बढ़ाती है।साइड इफेक्ट्स में अनैच्छिक गतिविधियों (डिस्केनेसिया) का जोखिम शामिल है, जो मुख्यतः लेवोडोपा की ज़्यादा खुराक से होने वाले प्रभावों के कारण बढ़ जाता है। अन्य दुष्प्रभावों में दस्त या लेवोडोपा की अधिक मात्रा से उत्पन्न साइड इफेक्ट्स शामिल हैं।
- ऐन्टिकोलिनर्जिक (Anticholinergics) – इन दवाओं का उपयोग पार्किंसन रोग से जुड़े कम्पन को नियंत्रित करने के लिए कई सालों से किया जा रहा है। हालांकि, इन दवाओं के मामूली फायदे अक्सर दुष्प्रभावों के आगे कोई असर नहीं करते, जैसे कि याददाश्त कमजोर होना, भ्रम, मतिभ्रम, कब्ज, मुंह में खुश्की और मूत्र करने में परेशानी।
- एमान्टाडाइन (Amantadine) – प्रारंभिक चरण वाले पार्किंसन रोग के लक्षणों से थोड़े समय के लिए राहत प्रदान करने के लिए डॉक्टर एमान्टाडाइन का सुझाव दे सकते हैं। कार्बिडोपा लेवोडोपा द्वारा प्रेरित अनैच्छिक गतिविधियों (डिस्केनेसिया) को नियंत्रित करने के लिए पार्किंसन रोग के बाद के चरणों में लेवोडोपा चिकित्सा के साथ भी इसे दिया जा सकता है। दुष्परिणामों में त्वचा पर बैंगनी रंग का धब्बा, टखने की सूजन या मतिभ्रम शामिल हो सकते हैं।
2. शल्य (सर्जरी) प्रक्रियाएं
गहरी मस्तिष्क उत्तेजना (डीबीएस) (Deep Brain Stimulation; DBS) - में सर्जन आपके मस्तिष्क के एक विशिष्ट हिस्से में इलेक्ट्रोड को प्रत्यारोपित करते हैं। इलेक्ट्रोड आपके कॉलरबोन के पास छाती में प्रत्यारोपित जनरेटर से जुड़े होते हैं। ये आपके मस्तिष्क में विद्युत् कम्पन भेजते हैं और पार्किंसन रोग के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
सर्जरी से जुड़े जोखिम में संक्रमण, स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज शामिल हैं। कुछ लोगों को डीबीएस प्रणाली से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है या उत्तेजना के कारण जटिलताओं का अनुभव होता है। आपके डॉक्टर को संबंधित प्रणाली के कुछ हिस्सों को समायोजित करने या बदलने की आवश्यकता हो सकती है।
गहरी डीबीएस का उपयोग ज्यादातर उच्च चरण वाले पार्किंसन रोग से ग्रसित लोगो के लिए किया जाता है, जो लेवोडोपा दवा के प्रति अस्थिर प्रतिक्रियाएं करते हैं।
डीबीएस, पार्किंसन बीमारी के लक्षणों में निरंतर सुधार कर सकता है और ये सुधार प्रक्रिया के कई वर्षों के बाद भी बने रहते हैं। हालांकि, डीबीएस पार्किंसन बीमारी को बढ़ने से पूरी तरह नहीं रोक सकता है।