इस बीमारी के दौरान बहुत सारी अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं देखने को मिलती हैं, जिन्हें डाइट में कुछ बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है, आइये जानते हैं कैसे -
1. हाई फाइबर डाइट से करें कब्ज को नियंत्रित : इस समस्या के दौरान बहुत सारे लोग, पाचन तंत्र के ठीक से काम न कर पाने के कारण, कब्ज की शिकायत करते हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए अपनी रोज की डाइट में ताजे फल एवं सब्जियों को शामिल करें। इनके अलावा साबुत अनाज, दालें भी लाभप्रद साबित होती हैं। कई बार पानी की कमी के कारण भी कब्ज की शिकायत देखी जाती है, ऐसे में रोगी के पानी के सेवन की मात्रा भी जांच लें। (और पढ़ें - कब्ज में क्या खाना चाहिए)
2. पानी की उचित मात्रा से डिहाइड्रेशन को रखें दूर : पार्किंसन डिजीज की कई दवाएं, शरीर में डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) कर देती हैं। निर्जलीकरण के कारण कन्फ्यूजन, संतुलन न बना पाना, कमजोरी, थकान एवं कई बार किडनी संबंधी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। ऐसे में अपने रोज के पानी के सेवन की मात्रा का अवश्य ध्यान रखें और कोशिश करके कम से कम 2.5-3 लीटर तरल का सेवन पूरे दिनभर में अवश्य करें। इस तरल में आप दूध, छाछ, फलों का जूस, नींबू पानी आदि ले सकते हैं।
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3. यदि खाने का स्वाद न आये तो करें ये बदलाव : इस दौरान खाने का स्वाद न आना काफी साधारण समस्या है, जिस कारण से कई बार वजन कम होना, कुपोषण एवं अवसाद की स्थिति भी देखने को मिलती है। ऐसे में रोगी का पसंदीदा भोजन बनाएं एवं खाने में अच्छी महक व सुंदर दिखने वाले भोजन का चयन करें, जिससे अन्य इन्द्रियों के द्वारा मदद मिल सके। इस दौरान सादे और बिना नमक वाले भोजन का सेवन न करें, क्योंकि उससे भोजन से और मन हट सकता है।
4. पार्किंसन रोग के दौरान डायरिया हो तो क्या खाएं : इस समस्या के दौरान डायरिया भी काफी सामान्य लक्षणों में से एक है। इसे नियंत्रित करने के लिए, छोटे-छोटे आहार और थोड़े-थोड़े समय पर लें, जिससे ऊर्जा का संतुलन बना रहे। पानी का भी विशेष ध्यान रखें, ऐसे में ओआरएस का घोल हर लूस मोशन के बाद देने की आदत डालें। इस लक्षण के दौरान केला, आलू, नींबू पानी, नारियल पानी, टमाटर का जूस, मछली लेने से शरीर में नमक (सोडियम) एवं पोटैशियम की मात्रा ठीक बनी रहती है। (और पढ़ें - दस्त होने पर क्या करें)
5. मितली के लिए कैसी हो डाइट : इस दौरान ली जाने वाली दवाओं के कारण मतली होना आम बात है। ऐसी समस्या होने पर अपने न्यूरोलॉजिस्ट से अवश्य बात कर लें। इस स्थिति को नियंत्रित करने लिए, अदरक एवं पुदीने की चाय का सेवन कर सकते हैं। इस दौरान भारी एवं ज्यादा मात्रा में खाना स्थिति को और खराब कर सकता है, इसके साथ ही छोटे-छोटे आहार लेने की आदत डालें। इस दौरान आसानी से पचने योग्य खाना लें, जैसे कि अच्छे से पका खाना, अंडे की भुर्जी, टोस्ट, उबला एवं मसला आलू, कस्टर्ड आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही घर में ताजा हवा आने एवं खाना बनाने के बाद महक निकलने की व्यवस्था हो। ऐसे में दूध, ज्यादा तेल युक्त खाना, मिठाई के सेवन से परहेज करें। खाने के तुरंत बाद लेटने से बचें, इससे यह समस्या और बढ़ सकती है।
6. निगलने में समस्या हो तो क्या करें : ऐसे में छोटे-छोटे एवं मसले हुए आहार लेना फायदेमंद होता है। खिचड़ी, सूजी की खीर, दलिया, दाल का सूप, मिल्क शेक, स्मूदी आदि निगलने में आसान होते हैं, इनका सेवन कर सकते हैं। यदि आप बिल्कुल भी खा या निगल नहीं पा रहे, तो ऐसे में आहार विशेषज्ञ से बात करके फूड सप्लीमेंट के विषय में बात कर सकते हैं।
7. दवाओं के साथ ना लें हाई प्रोटीन डाइट : इस रोग के दौरान कार्बिडोपा-लेवोडोपा नामक दवाओं का प्रयोग ज्यादातर किया जाता है, जिसका अवशोषण छोटी आंत में होता है। यदि इनका सेवन हाई प्रोटीन आहार के साथ या आसपास किया जाए, तो दवा के अवशोषण में बाधा पड़ती है। ऐसे में दवा के समय हाई प्रोटीन वाली डाइट न लें, किसी और समय ले सकते हैं, जैसे कि दवा सुबह खानी हो तो नाश्ते में दलिया लेकर, अंडे या पनीर जैसी चीजें दिन के अन्य समय में ले सकते हैं।
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