आपने अंग्रेजी में वो कहावत तो सुनी ही होगी "पेट में बटरफ्लाई महसूस होना" कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है? ऐसा अक्सर तब होता है, जब आप पब्लिक के बीच घिरे हों या आपको अपने सीनियर के सामने कोई प्रेंजेन्टेशन देनी हो। कुछ लोगों को तनावपूर्ण स्थितियों में पेट में गुदगुदी या दर्द सा महसूस होने लगता है, असल में यह सब आंतों में महसूस हो रहा होता है। कभी सोचा है ऐसा क्यों? वास्तव में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आंत का सीधा ब्रेन से कनेक्शन होता है। इस कनेक्शन को गट-ब्रेन एक्सिस कहा जाता है।
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि गट-ब्रेन एक्सिस कुछ मामलों में पार्किंसंस रोग का कारण भी बन सकता है। पार्किंसंस एक क्रोनिक न्यूरोजेनेरेटिव रोग है, यह मस्तिष्क में मौजूद उन तंत्रिका कोशिकाओं (नर्व सेल्स) को प्रभावित कर देता है, जो शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं।
जर्नल ऑफ पार्किंसंस डिजीज में छपी एक स्टडी के मुताबिक, पार्किंसंस रोग आपके मस्तिष्क में सीधा या आपकी आंतों के जरिए विकसित हो सकता है, जिसके बाद यह मस्तिष्क व उसके कार्यों को प्रभावित करता है।
शोधकर्ताओं ने पार्किंसंस रोग के स्पष्टीकरण में बताया कि इस बीमारी को आगे कई प्रकारों में बांटा गया है, जो मुख्य रूप से इसके कारणों पर निर्भर करते हैं। जिसमें ब्रेन-फर्स्ट टाइप और गट-फर्स्ट टाइप भी शामिल हैं।
गट-फर्स्ट टाइप
पार्किसंस रोग में मरीज का शरीर नर्वस सिस्टम में एक लेवी बॉडीज नाम का आसामान्य प्रोटीन बनाने लगता है। इस रिसर्च के मुताबिक, पार्किंसंस के गट-फर्स्ट टाइप के मामलों में, तंत्रिका कोशिकाओं के अंदर विकसित होने वाले वे लेवी बॉडीज जो रोग का कारण बनते हैं, वे अक्सर नाक व आंतों में पाए जाते हैं। जहां पर यह पहले पेरिफेरल नर्वस सिस्टम को और फिर मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं।
साथ ही शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि जो प्रक्रियाएं आंतों पर प्रभावी होती हैं, वे भी अंतिम रूप से गट फर्स्ट टाइप का इलाज करने में मदद कर सकती हैं। इन इलाज प्रक्रियाओं में मुख्य रूप से प्रोबायोटिक्स, फिकल ट्रांसप्लांट और एंटी-इंफ्लेमेटरी ट्रीटमेंट शामिल हैं।
मस्तिष्क-आंत के बीच का कनेक्शन
आंतों में मौजूद सूक्ष्मजीवों और मस्तिष्क के बीच का मार्ग पूरी तरह से स्थापित होता है। आइए जानते हैं कैसे शरीर इस कनेक्शन को बनाए रखता है :
वेगस नर्वस कनेक्शन
वेगस तंत्रिका नौवीं कपाल तंत्रिका (Cranial nerve) है। यह कई शारीरिक कार्यों जैसे मूड, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, पाचन प्रक्रिया और हृदय गति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह तंत्रिका मस्तिष्क और आंतों के बीच का मुख्य संबंध स्थापित करती है।
इलेक्ट्रिक डिवाइस की मदद से वेगस नर्व को उत्तेजित करना कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए एक प्रभावशाली इलाज माना जाता है, जिसमें डिप्रेशन, स्ट्रेस, पोस्ट ट्रोमा डिसऑर्डर और इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (जैसे क्रोहन रोग) आदि शामिल है।
सेरोटोनिन कनेक्शन
सेरोटोनिन दो तंत्रिकाओं के बीच एक प्रकार का केमिकल मैसेंजर होता है। यह आंतों और मस्तिष्क के बीच संचार में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह खुशी की भावना के साथ ही बॉडी क्लॉक को नियंत्रित करने में भी यह मदद करता है। एंटरोक्रोमाफिन जैसी कोशिकाएं जो पेट में मौजूद ग्रंथियों में पाई जाती हैं, उन्हीं में कुल सेरोटोनिन का 90 फीसदी भाग होता है।
शोध में पाया गया कि केंद्रीय स्नायुतंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) ईसीसी को सक्रिय करता है, जिससे सेरोटोनिन आंतों में स्रावित होने लगता है, जहां पर यह आंतों में मौजूद सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आता है। इसके बाद दिमाग कैमिकल मैसेंजर को संदेश देता है कि वह गट माइक्रोफ्लोरा से संपर्क करे। बता दें कि गट-माइक्रोफ्लोरा व्यक्ति की संपूर्ण सेहत के लिए मुख्यतौर पर जिम्मेदार होते हैं।
रोग का संबंध
पिछले कई शोध आटिज्म और आंतों में बैक्टीरिया के बदलाव के बीच के संबंध के बारे में बता चुके हैं। आटिज्म से ग्रस्त बच्चों के आहार में से ग्लूटेन और केसीन (दूध में मौजूद प्रोटीन) हटाने के बाद उनमें स्वभाव संबंधी बदलाव देखे गए। ऑटिस्टिक लक्षण सीलिएक रोग से ग्रस्त बच्चों में भी पाए गए, इस रोग में ग्लूटेन के सेवन से छोटी आंत क्षतिग्रस्त हो जाती है।
अगर आंतों के बैक्टीरिया और मस्तिष्क के बीच के संबंध पर लगातार इसी प्रकार शोध होते रहे, तो हो सकता है कि अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे रोगों का इलाज भी संभव हो सके।