हमारी गर्दन, शरीर के बाकी हिस्सों को सिर से जोड़ने का काम करती है। भले ही यह शरीर का एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन सिर को सपोर्ट देने में सबसे अहम भूमिका निभाती है गर्दन।
गर्दन की संरचना में कुल सात कशेरुकाएं (कई कशेरुक मिलकर रीढ़ की हड्डी बनाती हैं) शामिल हैं, जो इसे स्थिर रखने में मदद करती है। इन कशेरुका को वर्टिब्रे नाम से भी जाना जाता है। हर कशेरुका के बीच में डिस्क होती है, जो अचानक लगने वाले किसी झटके या चोट को अवशोषित करती है। इससे गर्दन को चोट नहीं लग पाती है। इसके अलावा गर्दन की मांसपेशियां और संयोजी ऊतक गर्दन को मजबूती के साथ साथ इसे लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। लचीला होने के कारण ही हम अपने सिर को दाएं बाएं व ऊपर-नीचे कर सकते हैं।
ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनकी वजह से गर्दन में चोट लग सकती है। जब भी हम गिरते हैं तो गर्दन पर इसका असर पड़ता है। जिम करने या खेलकूद के दौरान की जाने वाली शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने की वजह से भी गर्दन में चोट का जोखिम बना रहता है। इसके अलावा सिर की चोट या कंधे की चोट से भी गर्दन की डिस्क या तंत्रिका डैमेज हो सकती है। कई बार खराब मुद्रा (बॉडी पॉश्चर) के कारण गर्दन में तनाव और चोट लग सकती है। इसके अलावा फोन या किसी अन्य डिवाइस का देर तक इस्तेमाल करने की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
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