गर्दन में चोट - Neck Injury in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

January 11, 2021

January 11, 2021

गर्दन में चोट
गर्दन में चोट

हमारी गर्दन, शरीर के बाकी हिस्सों को सिर से जोड़ने का काम करती है। भले ही यह शरीर का एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन सिर को सपोर्ट देने में सबसे अहम भूमिका निभाती है गर्दन।

गर्दन की संरचना में कुल सात कशेरुकाएं (कई कशेरुक मिलकर रीढ़ की हड्डी बनाती हैं) शामिल हैं, जो इसे स्थिर रखने में मदद करती है। इन कशेरुका को वर्टिब्रे नाम से भी जाना जाता है। हर कशेरुका के बीच में डिस्क होती है, जो अचानक लगने वाले किसी झटके या चोट को अवशोषित करती है। इससे गर्दन को चोट नहीं लग पाती है। इसके अलावा गर्दन की मांसपेशियां और संयोजी ऊतक गर्दन को मजबूती के साथ साथ इसे लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। लचीला होने के कारण ही हम अपने सिर को दाएं बाएं व ऊपर-नीचे कर सकते हैं।

ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनकी वजह से गर्दन में चोट लग सकती है। जब भी हम गिरते हैं तो गर्दन पर इसका असर पड़ता है। जिम करने या खेलकूद के दौरान की जाने वाली शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने की वजह से भी गर्दन में चोट का जोखिम बना रहता है। इसके अलावा सिर की चोट या कंधे की चोट से भी गर्दन की डिस्क या तंत्रिका डैमेज हो सकती है। कई बार खराब मुद्रा (बॉडी पॉश्चर) के कारण गर्दन में तनाव और चोट लग सकती है। इसके अलावा फोन या किसी अन्य डिवाइस का देर तक इस्तेमाल करने की वजह से भी ऐसा हो सकता है।

(और पढ़ें - गर्दन में दर्द की आयुर्वेदिक दवा)

गर्दन में चोट के संकेत और लक्षण - Neck Injury Symptoms in Hindi

कभी-कभी लोग गर्दन की चोट के लक्षणों को यह सोचकर नजरअंदाज करते हैं कि यह मामूली दर्द है, जो अपने आप ही ठीक हो जाएगा। लेकिन गर्दन में यह चोट केवल दर्द तक सीमित नहीं है बल्कि दर्द से कहीं अधिक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। गर्दन की चोट के लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • गर्दन में लगातार तेज दर्द
  • मूत्राशय को नियंत्रित करने में परेशानी (और पढ़े - मूत्र असंयमिता)
  • सिहरन महसूस होना
  • लिंब (शरीर का बड़ा हिस्सा जैसे किसी व्यक्ति या जानवर में उसके हाथ पैर) का सुन्न हो जाना
  • सिर चकराना
  • कंधे में दर्द
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गर्दन की चोट के प्रकार - Type of Neck Injury in Hindi

गर्दन की सभी चोटें एक जैसी नहीं होती हैं। यह अपने कारणों और गंभीरता के आधार विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। गर्दन की कुछ सामान्य चोटों में शामिल हैं:

  • गर्दन में मरोड़: यह समस्या तब होती है जब अचानक से गर्दन में झटका लगता है। उचित देखभाल और गर्दन को आराम (गर्दन का मूवमेट न करना) देने से धीरे-धीरे यह ठीक हो जाता है।
  • व्हिपलैश: इसे गर्दन में मोच के नाम से जाना जाता है और यह एक सामान्य चोट है जो तब लगती है जब गर्दन को अचानक से झटके के साथ घुमाते हैं। विशेष रूप से ऐसा कार या अन्य किसी वाहन दुर्घटना की वजह से होता है। इस​ स्थिति में मांसपेशियों में ऐंठन आ जाती है, जिससे वे कठोर और गांठ जैसी महसूस होती है।
  • पिंच नर्व: इसे सर्वाइकल रेडिकुलोपैथी भी कहा जाता है। इस स्थिति में गर्दन की नसें संकुचित हो जाती है, जिस वजह से सिहरन या झुनझुनी, पिंन व सुई की चुभन जैसी अनुभूति होती है। इसके अलावा गर्दन के कुछ हिस्सों में सुन्न होने की भी समस्या हो सकती है।
  • सर्वाइकल फ्रैक्चर: जब शरीर में चोट लगती है, तो ऐसे में गर्दन की वर्टिब्रे में फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ जाता है, जिसे सर्वाइकल फ्रैक्चर कहते हैं। यह कई मामलों में खतरनाक हो सकता है, यही वजह है कि गर्दन की चोट के बाद सिर को स्थिर करना जरूरी होता है। आपको तब तक अपने सिर में मूवमेंट संभालकर करनी चाहिए जब तक आपका एक्स-रे नहीं हो जाता है।
  • हर्निएटेड सर्वाइकल डिस्क: जब डिस्क के किनारों को नुकसान होता है और डिस्क का केंद्र अपनी स्थान से थोड़ा बाहर निकल आता है, तो इस स्थिति को हर्निएटेड सर्वाइकल डिस्क कहा जाता है। उम्र बढ़ने पर इसका खतरा भी बढ़ने लगता है, हालांकि इसके पीछे सबसे आम कारणों में अनुचित तरीके से किसी भारी वस्तु को उठाना है।

(और पढ़ें - स्लिप डिस्क का कारण)

गर्दन की चोट के कारण - Neck Injury Causes in Hindi

गर्दन की चोट का कारण जानना इसके उपचार का पहला कदम है। फिलहाल, गर्दन की चोट के पीछे सबसे आम कारणों में शामिल हैं:

  • स्पोर्ट्स इंजरी: जो लोग अक्सर किसी खेल कूद में भाग लेते रहते हैं उनमें टेंडन, मांसपेशियों या स्नायुबंधन में नुकसान पहुंचने का जोखिम बना रहता है।
  • कार दुर्घटनाएं: गर्दन की चोट की सबसे सामान्य कारणों में कार दुर्घटना शामिल है, खासकर अगर कार या वाहन को पीछे से टक्कर लगी हो, तो इसका जोखिम और भी बढ़ जाता है।
  • क्रोनिक डिजीज: मेनिंजाइटिस जैसी लंबे समय तक बनी रहने वाली बीमारी की वजह से भी लगातार गर्दन में दर्द और असुविधा महसूस हो सकती है।
  • गर्दन का अत्यधिक इस्तेमाल: कई बार ऐसे कार्य करना जिसमें बार-बार गर्दन की मूवमेंट हो या शरीर के ऊपरी हिस्से और बाजू का ज्यादा इस्तेमाल हो उसकी वजह से भी गर्दन की चोट का जोखिम रहता है।

गर्दन की चोट का निदान - Neck Injury Diagnosis in Hindi

गर्दन की चोट के निदान के लिए निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं- 

यदि किसी व्यक्ति को गर्दन की चोट के लक्षणों का आभास होता है, तो ध्यान रखें ऐसे में जल्द से जल्द चिकित्सा देखभाल प्राप्त करना बहुत जरूरी है।

डॉक्टर सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री (चिकित्सक द्वारा पिछली बीमारियों व उनके इलाज से जुड़े प्रश्न पूछना) चेक करेंगे। इसके बाद वे जाचेंगे कि गर्दन में सुन्नता या मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या है या नहीं।

गर्दन की चोट का निदान करने के लिए डॉक्टर कई परीक्षण कर सकते हैं। इनमें एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई शामिल है। परीक्षण करवाने से यह भी पता चल जाता है कि क्या गर्दन की चोट नस, हड्डी या मांसपेशी से जुड़ी है। कुछ मामलों में ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है। इस टेस्ट के माध्यम से कभी-कभी संक्रामक स्थितियों का पता चल सकता है, जो गर्दन के दर्द का कारण बनता है।

(और पढ़ें - गर्दन में अकड़न)

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गर्दन की चोट का इलाज - Neck Injury Treatment in Hindi

गर्दन की चोट का उपचार इसके प्रकार, लक्षणों और कारणों पर निर्भर करता है। डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए दर्द निवारक दवा लिखते हैं। दर्द से राहत देने वाली अधिकांश सामान्य दवाओं में इबुप्रोफेन और एस्पिरिन शामिल है। इसके अलावा गर्दन में कॉर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है।

एक और तकनीक है जो इस समस्या में प्रभावी है, इसे 'स्पाइनल कॉर्ड स्टिमुलेशन' कहा जाता है। इस तकनीक में रीढ़ की हड्डी में एक सर्जरी के जरिये ऐसी डिवाइस लगाई जाती है जो हल्के विद्युत करेंट को स्पाइनल कॉर्ड में वितरित करती है जिससे दर्द से जुड़े संकेतों को ब्लॉक करने में मदद मिलती है।

इस स्थिति में व्यायाम और स्ट्रेचिंग जैसी फिजिकल थेरेपी फायदेमंद होती है। यह मांसपेशियों को दुरुस्त करती है जिससे गर्दन को सपोर्ट मिलता है।

ज्यादातर, आराम करना या बर्फ की सिकाई या गर्म सिकाई करने की भी सलाह दी जाती है। गर्दन को सपोर्ट के लिए कुछ दिनों तक गर्दन में ब्रेस का उपयोग किया जा सकता है।

कुछ और भी विकल्प हैं जैसे मालिश और एक्यूपंक्चर इस स्थिति में फायदेमंद हो सकता है। दुर्लभ मामलों में ही सर्जरी की जरूरत पड़ती है।



गर्दन में चोट की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Neck Injury in Hindi

गर्दन में चोट के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।