नाखून में होने वाला फंगल इंफेक्शन जिसे नाखून कवक भी कहते हैं नाखूनों की सबसे कॉमन बीमारियों में से एक है। फंगल इंफेक्शन शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया की ही तरह फंगस भी हमारे शरीर पर मौजूद रहता है। लेकिन जब यही फंगस बहुत अधिक बढ़ने लगता है तो आपको संक्रमण हो जाता है।
नाखून में जब फंगल इंफेक्शन होता है तो इसकी शुरुआत में नाखून के टिप पर सफेद या पीले रंग के स्पॉट दिखते हैं। जैसे-जैसे इंफेक्शन बढ़ने लगता है नाखून का रंग बदरंग होने लगता है, नाखून मोटा हो जाता है और किनारे पर से उखड़ने या टूटने भी लगता है। वैसे तो यह संक्रमण हाथ या पैर किसी भी उंगली के नाखून में हो सकता है, लेकिन फंगल इंफेक्शन की यह समस्या पैर की उंगलियों के नाखून में ज्यादा देखने को मिलती है। नाखूनों के संक्रमण की यह समस्या एक बार में सिर्फ एक नाखून को या फिर एक साथ कई नाखूनों को भी प्रभावित कर सकती है।
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दुनियाभर की करीब 10 प्रतिशत वयस्क आबादी नाखून में फंगल इंफेक्शन की समस्या से प्रभावित है। हाथ या पैर की उंगलियों के नाखून को प्रभावित करने वाले इस फंगल इंफेक्शन को ऑनइहकोमाइकोसिस या टीनिया उंगुईयम भी कहते हैं। इसे साधारण बोलचाल की भाषा में नाखून कवक भी कहा जाता है। जब यह फंगस पैर के अंगूठे और पैर की त्वचा के बीच के हिस्से को संक्रमित कर देता है तो इस बीमारी को एथलीट फुट कहते हैं।
अगर नाखून में फंगल इंफेक्शन की समस्या तकलीफदेह हो जाए तो दवाइयां लेने की जरूरत पड़ती है। लेकिन कई बार सफल इलाज करवाने के बाद भी नाखून में फंगस वापस आ जाता है। तो आखिर नाखून में फंगल इंफेक्शन होने का कारण क्या है, वे कौन से लक्षण हैं जिससे आप जान सकते हैं कि आपको फंगल इंफेक्शन की समस्या हुई है, इसका इलाज कैसे होता है, इन सभी के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।