परिचय
जब मांसपेशी पर अचानक से अधिक दबाव पड़ जाता है या उसमें सामान्य से अधिक खिंचाव आ जाता है, तो इस स्थिति को मांस फटना कहते हैं। यह रोजाना की जाने वाली गतिविधियों के दौरान किसी मांसपेशी को अचानक से इस्तेमाल करने के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। मांस फटने से छोटी रक्त वाहिकाएं भी क्षति ग्रस्त हो जाती है, जिससे खून बहने लगता है और दर्द होने लगता है, ऐसी स्थिति में प्रभावित जगह कभी-कभी नीली भी पड़ जाती है।
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मांस फटने की स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं और आपको महसूस हो रहे लक्षणों की जांच करते हैं। परीक्षण के दौरान कुछ मामलों में एक्स रे भी किया जाता है, जिसमें यह पता लगाया जाता है कि कहीं हड्डी में तो चोट नहीं आई है। मांस फटने की स्थिति से बचाव करने के लिए खेलों-कूद आदि के दौरान ध्यान रखना, उचित जूते पहनना, व्यायाम करने से पहले स्ट्रेच करना और शरीर का सही संतुलन बनाए रखना आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए।
यदि थोड़ा बहुत मांस फटा है या उससे कोई गंभीर लक्षण महसूस नहीं हो रहा है, तो इस स्थिति का इलाज सामान्य फर्स्ट एड या अन्य ओवर द काउंटर दवाओं (मेडिकल स्टोर से डॉक्टर की पर्ची के बिना मिल जाने वाली दवाएं) की मदद से पर भी किया जा सकता है। यदि मांस अधिक फट गया है या आपको गंभीर लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो उसका इलाज डॉक्टर द्वारा करवाना पड़ सकता है।
मांस फटने से कई जटिलताएं व समस्याएं हो सकती हैं, जैसे स्कार ऊतक बनना (खरोंच जैसे निशान), मांसपेशियों के हिलने-ढुलने की क्षमता कम होना और लंबे समय तक दर्द रहना आदि। मांस फटने के कुछ गंभीर मामलों में मरीज को ठीक होने के लिए काफी समय लगता है।
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