मांस फटना एक आम समस्या है, खासकर उन लोगों के लिए जो वर्क आउट या एक्सरसाइज करते हैं। आपको किसी भी वजह से मांस फटने की समस्या हो सकती है। मांस फटने का इलाज घर पर किया जा सकता है, लेकिन कुछ गंभीर मामलों में इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।

सही प्राथमिक उपचार पता होने से आप मांस फटने पर होने वाले लक्षणों को कम कर सकते हैं।

इस लेख में मांस फटना क्या है, गंभीरता, क्या करें और डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।

  1. मांस फटना क्या होता है - Maas fatna kya hai
  2. मांस फटने के स्तर और गंभीरता - Maas fatne ki gambheerta
  3. मांस फटने का पता कैसे चलता है - Maas fatne ka pta kaise chalta hai
  4. मांस फटने पर क्या करें - Maas fatne par prathmik upchar
  5. मांस फटने पर डॉक्टर के पास कब जाएं - Maas fatne par doctor ko kab dikhana chahiye

मांस फटना मांसपेशियों की एक ऐसी चोट है जो अधिक काम या एक्सरसाइज करने के कारण होती है। थकान, ज्यादा इस्तेमाल करने या सही से इस्तेमाल न करने के कारण मांसपेशी अधिक खिंच जाती है और फट जाती है। रोजमर्रा के काम करने, समान उठाने, खेलते समय या कोई भी अन्य काम करते समय आप कभी भी अपनी मांसपेशियों पर अधिक तनाव बना सकते हैं, जिसके कारण वह फट जाती हैं। शरीर की कोई भी मांसपेशी फट सकती है, लेकिन ये समस्या पीठ के निचले हिस्से, कन्धों और जांघ के पीछे के हिस्से में अधिक अधिक आम है। मांस फटने को कभी-कभी मांसपेशी खिच जाना भी कहा जाता है।

(और पढ़ें - थकान दूर करने के घरेलू उपाय)

मांस फटने से छोटी रक्त वाहिकाओं को नुक्सान हो सकता है, जिससे नील भी पड़ सकता है। इससे दर्द भी होता है।

(और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)

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नुकसान के आधार पर, मांस फटने को तीन ग्रेड में विभाजित।  ये ग्रेड निम्नलिखित हैं -

  • ग्रेड 1
    ग्रेड 1 का मतलब है कि मांसपेशियों में मौजूद फाइबर में से थोड़े से फाइबर को ही नुक्सान हुआ है। ये मांस फटने से हुए नुकसान का सबसे कम स्तर होता है और दो से तीन हफ़्तों में ठीक हो जाता है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में ऐठन के लक्षण)
     
  • ग्रेड 2
    ग्रेड 2 का मतलब है कि मांसपेशियों में मौजूद कई फाइबर को नुकसान हुआ है लेकिन मांसपेशी पूरी तरह से फटी नहीं है। इसे ठीक होने के लिए कई महीनों का वक्त लग सकता है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द के कारण)
     
  • ग्रेड 3
    ग्रेड 3 का मतिलब है कि प्रभावित मांसपेशी पूरी तरह से फट गई है। ये चोट खेलते समय लगने वाली चोटों में आम है। इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है और हो सकता ये कई महीनों के बाद भी पूरी तरह ठीक न हो पाए। (और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी के लक्षण)

मांस फटने पर आराम करना आवश्यक होता है, नहीं तो ग्रेड 1 के स्तर का नुक्सान ग्रेड 3 के स्तर का नुक्सान भी बन सकता है।

मांस फटने पर हुए नुक्सान का स्तर अगर कम है, तो ऐंठन महसूस हो सकती है लेकिन मांसपेशी अभी भी इस्तेमाल करने के लिए लचीली होगी। मांस फटने के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं -

(और पढ़ें - कटने पर क्या करें)

मांस फटने पर निम्नलिखित तरीके से प्राथमिक उपचार किया जाता है -

  1. आराम करें
    मांस फटने से प्रभावित हुए क्षेत्र को आराम दें और कुछ समय तक उसे हिलाए-डुलाए नहीं, लेकिन ज़्यादा आराम करने से भी मांसपेशी कमजोर हो सकती है इसीलिए 1-2 दिनों बाद धीरे-धीरे इसे इस्तेमाल करना शुरू करें।
     
  2. बर्फ लगाएं
    बर्फ को सीधा अपनी त्वचा पर न लगाएं। बर्फ के टुकड़ों को एक तौलिये में लपेट लें और फिर प्रभावित क्षेत्र पर इससे 15-20 मिनट तक सिकाई करें। मोच आने के तुरंत बाद इसे लगाना शुरू कर दें ताकि सूजन कम हो। (और पढ़ें - मोच आने पर क्या लगाएं)
     
  3. दबाव बनाएं
    सूजन कम करने के लिए, प्रभावित क्षेत्र पर गर्म पट्टी बांध लें जब तक सूजन कम न हो, लेकिन पट्टी ज्यादा कसकर न बांधें, ऐसा करने से शरीर में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है।
     
  4. प्रभावित क्षेत्र को ऊपर उठाएं
    हो सके तो मांस फटने से प्रभावित हुए क्षेत्र को हृदय के स्तर से ऊपर उठा कर रखें।
  5. अन्य उपाय
  • जब आप अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियां शुरू कर दें, तब व्यायाम करने से पहले वार्म-अप कर लें ताकि मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बढे और आपको मोच न आए।
  • दर्द और सूजन कम करने के लिए आइबुप्रोफेन (Ibuprofen) और एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) जैसी दवाएं लें।
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ग्रेड 1 और 2 के स्तर की मांस फटने की समस्या को घर पर प्राथमिक उपचार से ठीक किया जा सकता है, लेकिन निम्नलिखित स्थितियों में अपने डॉक्टर के पास जाएं -

  • अगर एक या दो दिन के बाद व्यक्ति प्रभावित क्षेत्र न हिला पाए और उस पर वजन भी न डाल पाए।
  • अगर एक हफ्ते बाद भी दर्द ठीक न हो।
  • अगर प्रभावित क्षेत्र सुन्न है।
  • अगर प्रभावित क्षेत्र ठंडा है या त्वचा का रंग फीका पड़ गया है या बदल रहा है।
  • चोट में से खून बह रहा है। (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
  • प्रभावित क्षेत्र में झुनझुनी महसूस हो रही।
  • आप चल नहीं पा रहे हैं।
  • अगर दर्द बहुत ही अधिक है।
  • अगर आप अपने हाथ-पैर नहीं हिला पा रहे हैं।

अगर आपको अपने रोजमर्रा के कार्य करने के लिए सलाह की आवश्यकता है, तो अपने डॉक्टर के पास अवश्य जाएं।

(और पढ़ें - चोट का इलाज)
 

नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल​ से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है। 

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