दांत हिलने का इलाज कैसे किया जाता है?
दांत हिलने का इलाज उसके ढीला होने के कारण पर निर्भर करता है। दांत हिलने के कारण का इलाज कर देने पर दांत स्थिर हो सकता है और इस स्थिति से कोई गंभीर जटिलता भी नहीं हो पाती है। वायुकोशीय हड्डियों में क्षति होने के कारण हिलने वाले दांत को आमतौर पर ठीक नहीं किया जा सकता है। दांत हिलने से होने वाली जटिलताएं आमतौर पर इस बात पर निर्भर करती हैं कि दांत को सहारा देने वाली हड्डियां कितनी क्षतिग्रस्त हुई हैं। यदि दांत के आस-पास की हड्डियां अधिक क्षतिग्रस्त नहीं हुई है, तो दांत हिलने से होने वाली जटिलताएं भी गंभीर नहीं होती हैं।
अलग-अलग ग्रेड में दांत हिलने के इलाज की प्रतिक्रिया पर अध्ययन किये गए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि रोग की गंभीरता बराबर होने पर भी जिन दांतों के हिलने की गति सामान्य (क्लिनिकल) है, वे "0" मोबिलिटी वाले दांतों के मुकाबले इलाज पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। इसके विपरीत अन्य अध्ययन यह बताता है कि हिलने वाले दांत व स्थिर दांत इलाज पर बराबर प्रतिक्रिया देते हैं।
हिलने वाले दांत को स्पलिंट लगाने से कार्य क्षमता बढ़ जाती है और साथ ही साथ प्रभावित दांत व अन्य दांतों की संरचनात्मक स्थिति भी मजबूत होती है। जिन लोगों को चबाते समय अधिक दबाव देने के कारण उनके पेरियोडोन्टल लिगामेंट्स की चौड़ाई बढ़ गई है और दांत हिलने लगे हैं। इस स्थिति का इलाज करने के लिए दांत द्वारा अधिक दबाव देने की आदत को सुधारा जाता है।
दांतों की गहराई से सफाई करने के लिए स्केलिंग और रूट प्लैनिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल करने से भी दांत हिलने की समस्या को फिर से ठीक किया जा सकता है। एक स्वस्थ पेरियोडोन्टियम ऊतकों को स्वस्थ रूप से बढ़ने की अनुमति देता है। ऐसा होने पर उन क्षेत्रों में बैक्टीरिया जमा नहीं हो पाते हैं और दांत को सहारा प्रदान करने वाली संरचना क्षतिग्रस्त होने से बच जाती है।
पेरिएपिकल (Periapical) क्षेत्र में हुए संक्रमण का इलाज करने से भी हिलने वाले दांत वापस स्थिर हो सकते हैं। यदि दांत हिलने का कारण दांत के अंदरुनी क्षेत्र में कोई फोड़ा (Endo-perio lesion) है तो डेंटिस्ट रूट कनैल ट्रिटमेंट करवाने का सुझाव देते हैं या फिर एन्डोनिक ट्रिटमेंट और पेरियोडोन्टल दोनो एक साथ करवाने का सुझाव देते हैं।
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यदि अधिक ओर्थोडोन्टिक दबाव के कारण दांत की जड़ या हड्डियां अवशोषित होने लगी हैं, जिसके परिणामस्वरूप दांत हिलने लगे हैं। ऐसी स्थिति में परिमाण व बल की दिशा में बदलाव करके दांत को फिर से स्थिर किया जा सकता है जिससे दांत फिर से अपनी पॉजिशन पर आ जाता है और सामान्य रूप से काम करने लगता है।
डेंटिस्ट आपके दांत हिलने की स्थिति को कम करने के लिए और साथ ही साथ दांत को सहारा देने वाली संरचनाओं को स्वस्थ बनाने के लिए पेरियोडोन्टल फ्लैप सर्जरी करवाने का सुझाव दे सकते हैं। पेरियोडोन्टल फ्लैप सर्जरी की मदद से लगातार पीछे हटते जा रहे मसूड़ों की रोकथाम की जाती है और दांतों व मसूड़ों के बीच की दूरी को कम किया जाता है।
हड्डी जोड़ने की प्रक्रिया (बोन ग्राफ्ट) के साथ पेरियोडोन्टल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी भी की जा सकती है। यदि हॉरिजोन्टल हड्डी की जगह वर्टिकल हड्डी क्षतिग्रस्त हुई है, तो इस स्थिति में दांत के हिलने की समस्या को ठीक करने और पेरियोडोन्टल ऊतकों को फिर से स्वस्थ बनाना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर पेरियोडोन्टल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के दौरान बोन ग्राफ्ट प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया जाता है, जिसकी मदद से हड्डियों में हुई क्षति को फिर से भरा जाता है। बोन ग्रफ्ट में हड्डियों में भरने के लिए स्टेराइल सिन्थेटिक हाइड्रोक्सिपेटाइट और बिटा-ट्रिकैल्शियम फॉस्फेट का इस्तेमाल किया जाता है। पेरियोडोन्टल फ्लैप सर्जरी और बोन रिकंस्ट्रक्शन दोनों को एक साथ एक प्रक्रिया के रूप में भी किया जा सकता है।
जोड़ी गई नई हड्डियां विकसित होने की प्रक्रिया को उत्तेजित करने के लिए पेरियोडोन्टल रिजेनेरोशन थेरेपी भी की जा सकती है। इस थेरेपी में प्लाक व कैलकुलस को साफ करना, पैपिला प्रीसर्वेशन फ्लैप सर्जरी करना और प्लेटलेट मे उच्च फाइब्रिन के साथ बोन ग्राफ्ट करना आदि शामिल है। ये उपचार के सभी तौर-तरीके पेरियोडोन्टल की संरचनाओं को फिर से बनने में और पेरियोडोन्टियम की संरचनाओं व कार्यों को फिर से शुरू करने में मदद करते हैं।
जबड़े या दाढ़ की हड्डी में सिस्ट या ट्यूमर विकसित हो जाना आदि जबड़े की अंदरुनी समस्याओं का इलाज इन्यूक्लिएशन (Enucleation) या मार्सूपिलाइजेशन (Marsupialization ) आदि की मदद से किया जाता है।
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