केलॉइड - Keloid in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

February 02, 2019

March 06, 2020

केलॉइड
केलॉइड

जब किसी चोट के स्थान पर विकसित होने वाले स्कार ऊतक असाधारण तरीके से फैलने लग जाते हैं, तो इस स्थिति को केलॉइड कहा जाता है। केलॉइड से प्रभावित हिस्सा त्वचा से ऊपर की तरफ उठ जाता है, चोट के असली घाव से आकार में बड़ा हो जाता है और वापस कम नहीं होता है। केलॉइड चोट के सामान्य घाव से परे काफी बढ़ जाता है और स्वस्थ त्वचा को प्रभावित करता रहता है।

चोट लगने के बाद केलॉइड विकसित होने में कुछ साल लग जाते हैं और कई बार यह बिना किसी चोट के छाती के बीच में विकसित हो जाता है। केलॉइड आमतौर पर कई सालों तक रह सकता है और खुद से कम नहीं होता है। केलॉइड अक्सर त्वचा की सतह पर लगी चोट या गहरी चोट लगने के बाद त्वचा की अखंडता क्षतिग्रस्त होने के कारण विकसित होता है।

केलॉइड के कारणों में त्वचा जल जाना, त्वचा केमिकल से प्रभावित होना या फिर शारीरिक चोट जैसे कट लगना, खरोंच आना या किसी कीट द्वारा काटना आदि शामिल है। डॉक्टर आपकी त्वचा को देखकर स्थिति का परीक्षण कर लेते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर बायोप्सी टेस्ट कर सकते हैं जिसकी मदद से त्वचा बढ़ने के अन्य कारणों का पता भी लगाया जा सकता है। 

केलॉइड का इलाज करना काफी मुश्किल हो सकता है, इसलिए डॉक्टर इससे बचाव करने के लिए कुछ उपाय करने की सलाह देते हैं। जिन लोगों में केलॉइड होने का खतरा अधिक होता है उनको त्वचा पर टैटू नहीं बनवाने चाहिए और ना ही त्वचा को छिदवाना चाहिए। 

इलाज के माध्यम से केलॉइड के लक्षण जैसे त्वचा में खुजली या दर्द को कम किया जा सकता है। त्वचा पर स्कार ऊतक बनने से प्रभावित हिस्से को हिलाने-ढुलाने में भी मुश्किल होने लग जाती है, ऐसी स्थिति में इलाज की मदद से मरीज के हिलने ढुलने की क्षमता में सुधार किया जाता है। केलॉइड के सभी प्रकारों के लिए कोई एक इलाज उचित नहीं है। मरीज का सबसे बेहतर तरीके से इलाज करने के लिए डॉक्टर मरीज की उम्र, केलॉइड के प्रकार और अन्य स्थितियों को ध्यान में रखते हुऐ इलाज को चुनते हैं।

(और पढ़ें - खुजली दूर करने के उपाय)

केलॉइड का परीक्षण - Diagnosis of Keloid in Hindi

केलॉइड का परीक्षण कैसे किया जाता है?

डॉक्टर त्वचा को देखकर ही केलॉइड का परीक्षण कर लेते हैं, इसलिए ज्यादातर मामलों में किसी प्रकार का टेस्ट करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 

यदि परीक्षण सटीक रूप से ना हो पाए तो स्किन बायोप्सी टेस्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रभावित क्षेत्र को सुन्न करके वहां से ऊतकों का सेंपल लिया जाता है और फिर माइक्रोस्कोप की मदद से सेंपल की जांच की जाती है। 

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

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केलॉइड से बचाव - Prevention of Keloid in Hindi

केलॉइड से बचाव कैसे करें

यदि संभव हो तो केलॉइड की रोकथाम करने का प्रयास करना एक अच्छा विचार हो सकता है। यदि केलॉइड विकसित हो जाता है, तो उसका इलाज करना मुश्किल हो सकता है: 

  • जिन लोगों में केलॉइड का खतरा अधिक होता है, वे अनावश्यक सर्जरी ना करवाकर केलॉइड से बचाव कर सकते हैं, जैसे कॉस्मेटिक्स सर्जरी। त्वचा में अनावश्यक रूप से खिंचाव या अनावश्यक चोट (कान, नाक छिदवाना या टैटू बनवाना) आदि से बचाव करके भी केलॉइड होने के खतरे को कम किया जा सकता है। (और पढ़ें - नाक छिदवाने के फायदे)
  • कुछ स्थितियां जिनमें स्कार बनने का खतरा बढ़ जाता है (जैसे मुंहासे) वे स्थितियां केलॉइड विकसित होने का खतरा भी बढ़ा देती हैं। इसलिए ऐसी स्थितियों का जितना जल्दी हो सके इलाज करवा देना चाहिए। 

(और पढ़ें - मांसपेशियों में खिंचाव का इलाज)

केलॉइड का इलाज - Keloid Treatment in Hindi

केलॉइड का इलाज कैसे किया जाता है?

यदि आपको केलॉइड के स्कार हो गए हैं, तो आपको कुछ समय के लिए उनसे होने वाली मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं। ये स्कार इलाज या उनको हटाने के लिए की जाने वाली प्रक्रियाओं के प्रतिरोधी होते हैं और अक्सर हटा देने के बाद फिर से भी विकसित हो जाते हैं। 

केलॉइड का इलाज करने के लिए निम्नलिखित कुछ विकल्प उपलब्ध हैं: 

  • कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन:
    इस इलाज प्रक्रिया का मुख्य लक्ष्य प्रभावित हिस्से में सूजन व लालिमा को कम करना होता है। इस इंजेक्शन की मदद से कोलेजन व अन्य प्रोटीन की मात्रा को कम कर दिया जाता है, जो रेशेदार स्कार ऊतक बनाते हैं। यह इंजेक्शन केलॉइड को नरम बना देता है, लेकिन इस इंजेक्शन के कई अनचाहे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। (और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)

    एक तो इस इंजेक्शन से काफी दर्द होता है और दूसरा इससे त्वचा में पिगमेंटेशन भी हो सकती है, जैसे त्वचा का रंग सामान्य से अधिक गहरा या हल्का हो जाना और त्वचा पर लाल मुंहासे विकसित हो जाना। कोर्टिकोस्टेरॉयड से एट्रोफी (Atrophy) या प्रभावित हिस्से के ऊतक नष्ट हो जाने जैसी स्थितियां भी हो सकती हैं, जो इस इंजेक्शन से होने वाला सबसे बदतर साइड इफेक्ट्स हो सकता है। (और पढ़ें - इंजेक्शन लगाने का सही तरीका)
  • मॉइस्चराइजिंग तेल:
    प्रभावित हिस्से पर मॉइस्चराइजिंग तेल लगाने से ऊतक नरम रहते हैं। इससे केलॉइड स्कार में होने वाले दर्द जैसे लक्षण कम हो जाते हैं, लेकिन इसकी मदद से केलॉइड को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। (और पढ़ें - मॉइस्चराइजर क्या है)
     
  • क्रायोथेरेपी:
    इस थेरेपी में केलॉइड स्कार बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए स्कार ऊतक को जमाया (Freezing) जाता है। एक सीजन के बाद कई मरीज इस इलाज प्रक्रिया को काफी दर्दनाक समझने लगते हैं। साथ ही इलाज प्रक्रिया के बाद त्वचा में सूजन आ जाती है और फफोले बनने लग जाते हैं। (और पढ़ें - क्रायो चिकित्सा क्या है)
     
  • सिलिकॉन जेल पैड और प्रेशर:
    यह प्रक्रिया हाइपरट्रॉफिक स्कार के इलाज के लिए अधिक प्रभावी है, केलॉइड निशान के लिए नहीं। हाइपरट्रॉफिक स्कार केलॉइड्स की तरह ही होते हैं, लेकिन उनकी वृद्धि अलग होती है। हाइपरट्रॉफिक स्कार मूल चोट के मुख्य क्षेत्र से आगे नहीं बढ़ते, जबकि केलॉइड स्कार बिना नियंत्रण के लगातार बढ़ते रहते हैं। (और पढ़ें - उंगली में चोट का इलाज​)
     
  • सर्जरी से निकालना:
    इस प्रक्रिया को ऑपरेशन की मदद से पूरे स्कार को एक साथ हटा दिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों ये स्कार सर्जरी के कुछ साल बाद फिर से विकसित हो जाते हैं। (और पढ़ें - इनगुइनल हर्निया सर्जरी)
     
  • सुपरफिशियल रेडिएशन:
    यह प्रक्रिया केलॉइड के 90% से भी अधिक मामलों में प्रभावित रूप से केलॉइड स्कार को हटाने में कामयाब साबित हुई है। इस प्रक्रिया में मशीन त्वचा की सबसे ऊपरी परत पर उचित मात्रा में रेडिएशन छोड़ती है, जिसकी मदद से केलॉइड्स का कारण बनने वाली कोशिकाओं को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया जाता है।

    केलॉइड के बार-बार विकसित होने की जिद्दी प्रवृत्ति होती है, चाहे उसके लिए किसी भी इलाज प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है और यहां तक कि कुछ मामलों में यह पहले से भी बड़ा हो जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर स्कार को हटाने की प्रक्रिया के साथ स्टेरॉयड इंजेक्शन भी देते हैं।
    सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी के दौरान प्रभावित हिस्से पर स्टेरॉयड दवा को लगा दिया जाता है। इसके अलावा आपको लगभग एक साल तक के लंबे समय तक प्रभावित क्षेत्र पर टाइट कपड़े पहनने की सलाह दी जा सकती है। फिर भी केलॉइड फिर से विकसित हो सकता है और हर एक-दो साल में इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है।

(और पढ़ें - कीमोथेरेपी क्या है)

केलॉइड की जटिलताएं - Keloid Complications in Hindi

केलॉइड से क्या जटिलताएं होती हैं?

केलॉइड्स बहुत ही कम मामलों में किसी प्रकार का साइड इफेक्ट्स पैदा करता है, लेकिन यह देखने में बिलकुल अच्छा नहीं होता है। केलॉइड का इलाज किसी भी समय कराया जा सकता है, यहां तक कि इसके लक्षण विकसित होने के कई साल बाद भी इसका इलाज किया जा सकता है। यदि आपको किसी स्कार से समस्या हो रही है, तो इसका परीक्षण व इलाज किया जा सकता है। 

केलॉइड स्कार का इलाज करना काफी मुश्किल हो सकता है और इसका इलाज हमेशा प्रभावी रूप से काम नहीं कर पाता है। इसी वजह से त्वचा पर किसी प्रकार की चोट लगने से बचाव रखना चाहिए, क्योंकि इनसे केलॉइड विकसित हो सकता है। (और पढ़ें - मस्तिष्क की चोट का इलाज​)

यदि केलॉइड का आकार काफी बढ़ गया है या फिर वह किसी ऐसी जगह पर विकसित हुआ है जहां पर से वह साफ-साफ दिखता है, तो ऐसी स्थिति में आपको शर्मिंदगी महसूस हो सकती है।

धूप या टेनिन जैसी स्थितियों में स्कार ऊतकों का रंग खराब होने लग जाता है, इनका रंग आस-पास की त्वचा से थोड़ा हल्का पड़ जाता है। ऐसा होने पर केलॉइड और स्पष्ट रूप से दिखने लग जाता है। जब आप धूप में होते हैं तो रंग खराब होने से बचाव करने के लिए अपने स्कार को ढक कर रखें। 

(और पढ़ें - धूप से जली त्वचा का इलाज)

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केलॉइड के कारण व जोखिम कारक - Keloid Causes & Risks Factors in Hindi

केलॉइड कैसे होता है?

केलॉइड के कारण का सटीक रूप से पता नहीं लग पाया है, लेकिन माना जाता है कि यह त्वचा में कोलेजन (त्वचा का संरचनात्मक प्रोटीन) की मात्रा अधिक बढ़ जाने के कारण होता है। ज्यादातर लोगों की त्वचा में सामान्य रूप से स्कार बनते हैं और बहुत ही कम मात्रा में लोगों को केलॉइड हो पाता है। केलॉइड्स संक्रामक नहीं होते हैं, मतलब ये त्वचा के एक हिस्से से दूसरे हिस्से और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की त्वचा में नहीं फैलते हैं। 

(और पढ़ें - प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग)

केलॉइड्स त्वचा संबंधी कई प्रकार की चोटों से विकसित हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

(और पढ़ें - टैटू हटाने के तरीके)

केलॉइड होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ जोखिम कारक हैं, जिनके कारण किसी व्यक्ति को केलॉइड होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। केलॉइड के जोखिम कारकों में निम्नलिखित कारक शामिल हो सकते हैं: 

  • केलॉइड किसी भी व्यक्ति को हो सकता है लेकिन यह ज्यादातर सांवली त्वचा वाले लोगों को होता है
  • यदि आपको छाती के ऊपरी हिस्से, ब्रेस्टबोन (Sternum), कंधे, ठोड़ी और टांगों के निचले हिस्से किसी प्रकार की चोट लगी है तो इन क्षेत्रों में केलॉइड विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा कान छिदवाने के बाद भी उस जगह पर केलॉइड विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। 
  • त्वचा के जलने और मुंहासों से होने वाले स्कार के बाद भी केलॉइड विकसित हो सकता है। इसके अलावा यदि त्वचा पर कोई घाव, संक्रमण हो गया है या वह ठीक हो रहा है, तो इस दौरान भी केलॉइड विकसित हो सकता है। (और पढ़ें - मुंहासों के निशान मिटाने के उपाय)
  • सर्जरी के टांकों में स्कार ऊतक विकसित होने लगते हैं, जो केलॉइड का कारण बन सकते हैं। (और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)
  • यदि किसी व्यक्ति को पहले कभी केलॉइड हो चुका है और उसकी त्वचा में चोट लगी है तो उसको फिर से केलॉइड होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
  • यह रोग ज्यादातर मामलों में यौवनावस्था (Puberty) से 30 साल की उम्र के लोगों को होती है। (और पढ़ें - गुम चोट का इलाज​)
  • गर्भावस्था के दौरान भी केलॉइड के संकेत दिखाई दे सकते हैं या फिर यह बढ़ने लग सकता है।

(और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज)

केलॉइड के लक्षण - Keloid Symptoms in Hindi

केलॉइड के लक्षण क्या हैं?

प्रभावित त्वचा के अलावा केलॉइड के कारण कोई अन्य लक्षण पैदा नहीं होता है। केलॉइड के बहुत ही कम मामलों में मरीज को स्कार ऊतक में दर्द, खुजली व जलन महसूस हो सकती है। 

केलॉइड स्कार आसपास की त्वचा से उभर जाता है, गुंबद के आकार जैसा दिखने लग जाता है और घाव के किनारों से परे फैल जाता है। केलॉइड से ग्रस्त त्वचा आमतौर पर बिना बालों की और चमकदार हो जाती है और उसमें घनापन भी अधिक हो जाता है। 

केलॉइड्स के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं: 

  • धीरे-धीरे बढ़ना व दिखाई देना:
    केलॉइड का पहला संकेत दिखने में 3 महीने से साल तक का समय लग सकता है। फिर इसके बढ़ने के लिए कम से कम कुछ हफ्तों से महीनों का समय लग जाता है। कई बार यह धीरे-धीरे कई सालों तक बढ़ने लग जाता है। (और पढ़ें - टांके की देखभाल)
     
  • एक स्कार की तरह शुरू होना:
    केलॉइड आमतौर पर उभरे हुऐ गुलाबी, लाल या बैंगनी रंग के स्कार की तरह पैदा होता है। शुरुआत में यह सपाट सतह वाले स्कार की तरह होता है, समय के साथ-साथ इसका रंग गहरा होता जाता है। आमतौर पर इसका मध्य भाग व्यक्ति की सामान्य त्वचा से अधिक गहरे रंग का हो जाता है। (और पढ़ें - पिंटा रोग का इलाज)
     
  • आसपास की त्वचा से अलग दिखना:
    कुछ प्रकार के केलॉइड मुलायम व आसानी से दब जाने वाले होते हैं जबकि कुछ प्रकार के केलॉइड कठोर व रबर के जैसे होते हैं।  (और पढ़ें - कटने पर प्राथमिक उपचार)
     
  • दर्द, खुजली व छूने पर दर्द होना:
    जब केलॉइड बढ़ने लग जाते हैं, तो प्रभावित हिस्से में दर्द व खुजली होने लग जाती है और छूने पर दर्द होने लग जाता है। जब केलॉइड बढ़ना बंद कर देता है, तो आमतौर पर इसके लक्षण भी गायब होने लग जाते हैं। आपको प्रभावित हिस्से में दर्द व अन्य तकलीफ महसूस हो सकती है और कपड़ा लगने या छूने आदि पर भी संभावित रूप से तकलीफ महसूस हो सकती है।  (और पढ़ें - कैट स्क्रैच डिजीज का इलाज)
     
  • प्रभावित हिस्से को ठीक से हिला-ढुला ना पाना:
    कुछ दुर्लभ मामलों में जब केलॉइड से होने वाले स्कार शरीर के एक बड़े हिस्से तक फैल जाते हैं। ऐसी स्थिति में स्कार ऊतक कठोर हो जाते हैं और प्रभावित हिस्से को ठीक से हिलने-ढुलने नहीं देते हैं।  (और पढ़ें - अंडाशय से सिस्ट हटाने की सर्जरी)

केलॉइड शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में ये कान, गर्दन, कंधे, छाती व पीठ पर होते हैं। ये आकार में 1 इंच से भी छोटे से लेकर 12 इंच से भी बड़े आकार के हो सकते हैं।

(और पढ़ें - गर्दन में दर्द का इलाज)

केलॉइड क्या है - What is Keloid in Hindi?

केलॉइड क्या है?

स्कार के एक असाधारण प्रकार को केलॉइड कहा जाता है, जो बढ़ कर चोट के घाव की सीमा से बाहर फैल जाते हैं। यह स्कार त्वचा के अव्यवस्थित ढंग से बढ़ जाने वाली त्वचा होती है, जो त्वचा के सामान्य स्तर से उभर जाती है। केलॉइड या केलॉइड स्कार एक प्रकार का अत्यधिक बढ़ा हुआ स्कार होता है या किसी घाव के ठीक होने की प्रक्रिया होती है जो अत्यधिक आक्रामक हो जाती है। 

(और पढ़ें - घाव के निशान मिटाने के उपाय)