जब किसी चोट के स्थान पर विकसित होने वाले स्कार ऊतक असाधारण तरीके से फैलने लग जाते हैं, तो इस स्थिति को केलॉइड कहा जाता है। केलॉइड से प्रभावित हिस्सा त्वचा से ऊपर की तरफ उठ जाता है, चोट के असली घाव से आकार में बड़ा हो जाता है और वापस कम नहीं होता है। केलॉइड चोट के सामान्य घाव से परे काफी बढ़ जाता है और स्वस्थ त्वचा को प्रभावित करता रहता है।
चोट लगने के बाद केलॉइड विकसित होने में कुछ साल लग जाते हैं और कई बार यह बिना किसी चोट के छाती के बीच में विकसित हो जाता है। केलॉइड आमतौर पर कई सालों तक रह सकता है और खुद से कम नहीं होता है। केलॉइड अक्सर त्वचा की सतह पर लगी चोट या गहरी चोट लगने के बाद त्वचा की अखंडता क्षतिग्रस्त होने के कारण विकसित होता है।
केलॉइड के कारणों में त्वचा जल जाना, त्वचा केमिकल से प्रभावित होना या फिर शारीरिक चोट जैसे कट लगना, खरोंच आना या किसी कीट द्वारा काटना आदि शामिल है। डॉक्टर आपकी त्वचा को देखकर स्थिति का परीक्षण कर लेते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर बायोप्सी टेस्ट कर सकते हैं जिसकी मदद से त्वचा बढ़ने के अन्य कारणों का पता भी लगाया जा सकता है।
केलॉइड का इलाज करना काफी मुश्किल हो सकता है, इसलिए डॉक्टर इससे बचाव करने के लिए कुछ उपाय करने की सलाह देते हैं। जिन लोगों में केलॉइड होने का खतरा अधिक होता है उनको त्वचा पर टैटू नहीं बनवाने चाहिए और ना ही त्वचा को छिदवाना चाहिए।
इलाज के माध्यम से केलॉइड के लक्षण जैसे त्वचा में खुजली या दर्द को कम किया जा सकता है। त्वचा पर स्कार ऊतक बनने से प्रभावित हिस्से को हिलाने-ढुलाने में भी मुश्किल होने लग जाती है, ऐसी स्थिति में इलाज की मदद से मरीज के हिलने ढुलने की क्षमता में सुधार किया जाता है। केलॉइड के सभी प्रकारों के लिए कोई एक इलाज उचित नहीं है। मरीज का सबसे बेहतर तरीके से इलाज करने के लिए डॉक्टर मरीज की उम्र, केलॉइड के प्रकार और अन्य स्थितियों को ध्यान में रखते हुऐ इलाज को चुनते हैं।
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