हाइपरवेंटिलेशन क्या है?
हाइपरवेंटिलेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें आप तेज-तेज सांस लेने लग जाते हैं। सामान्य तरीके से सांस लेना का अर्थ होता है कि आप ऑक्सीजन लेते समय और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते वक्त स्वस्थ तरीके से संतुलन बनाए रखें। यह संतुलन बिगड़ जाता है जब आप सांस छोड़ने से ज्यादा तेज-तेज सांस लेने लग जाते हैं। कभी-कभी इसे ओवर ब्रीथिंग (ज्यादा सांसे लेना) कहते हैं। यह शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की कमी के कारण होता है। तेज या गहरी सांसे लेने से कभी-कभी गंभीर स्थिति हो सकती है जैसे संक्रमण, ब्लीडिंग या हार्ट अटैक।
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हाइपरवेंटिलेशन के लक्षण क्या हैं?
तेज-तेज सांस लेने से होने वाले लक्षण आपको पता नहीं चल पाते, लेकिन कुछ लक्षण जैसे - सांस फूलना, हार्टबीट बढ़ना, बेहोशी या चक्कर जैसा महसूस होना, छाती में दर्द होना या कसाव महसूस होना, हाथ में सूजन या पैरों में सूजन या झनझनाहट होना आदि आपको महसूस हो सकते हैं।
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हाइपरवेंटिलेशन क्यों होता है?
हाइपरवेंटिलेशन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे - चिंता, पेनिक अटैक, दमा, तनाव, ज्यादा बल लगने वाले व्यायाम, लिवर रोग, कुछ प्रकार की दवाइयों के साइड इफेक्ट, सिर की चोट, शॉक आदि।
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हाइपरवेंटिलेशन का इलाज कैसे होता है?
अगर व्यक्ति को हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम से संबंधित लक्षण होते हैं, तो डॉक्टर आपके अन्य लक्षणों की भी जांच कर सकते हैं। हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम का घरेलू इलाज उन्ही लोगों के लिए होता है, जिन्हें डॉक्टर बोलते हैं कि उन्हें हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम है। अगर व्यक्ति को हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम है, तो डॉक्टर उन्हें कुछ ब्रीथिंग एक्सरसाइज और रिलैक्सेशन एक्सरसाइज भी बता सकते हैं। इससे अटैक की समस्या नहीं होगी। जब डॉक्टर एक बार परिक्षण कर लेते हैं कि मरीज को हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम है और कोई गंभीर बात नहीं है तो वे आपको मनोचिकित्सक या प्राथमिक उपचार की सलाह दे सकते हैं।
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