हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2 क्या है?
हाइपरप्रोलिनीमिया बीमारी खून में अधिक मात्रा में एमिनो एसिड होने से शुरू होती है, जिसे प्रोलिन कहा जाता है (Proline)। यह स्थिति आमतौर पर तब होती है जब प्रोलिन सही तरह से शरीर में टूट नहीं पाता। हाइपरप्रोलिनीमिया दो रूप में होता है, हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 1 और हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2।
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हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2 के लक्षण क्या हैं?
हाइपरप्रोलिनीमिया बीमारी खून में अधिक मात्रा में एमिनो एसिड से होती है। इसमें बुखार के साथ आपको मिर्गी की समस्या होना आम है और हल्की मानसिक मंदता भी हो सकती है।
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हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2 क्या होता है?
हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2, एएलडीएचफॉरए1 (ALDH4A1 - एक प्रकार का जीन) में परिवर्तन के कारण होता है। एएलडीएचफॉरए1 जीन पायरोलीन-5-कार्बोक्सिलेट डिहाइड्रोजीनस (Pyrroline-5-carboxylate dehydrogenase) को बनाने में मदद करता है। यह एंजाइम पायरोलीन-5-कार्बोक्सिलेट को तोड़ने का काम करता है, फिर यह एमिनो एसिड ग्लूटामाइन में परिवर्तित हो जाता है।
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हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2 का इलाज कैसे होता है?
किसी भी दुर्लभ या अनुवांशिक बीमारी का परीक्षण करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डॉक्टर व्यक्ति को पहले हुई समस्या, लक्षण, शारीरिक परीक्षण और लैब टेस्ट के बारें में जांच करेंगे। आपके द्वारा बताए गए लक्षणों के आधार पर डॉक्टर टेस्ट भी कर सकते हैं। हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2 के लिए ऐसा कोई खास इलाज नहीं है। आमतौर पर, अगर किसी भी व्यक्ति को हाइपरप्रोलिनीमिया टाइप 2 के लक्षण हैं, तो वो बेहद हल्के होते हैं और उन्हें इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। पीड़ित व्यक्ति के खून में प्रोलिन को कम करने के लिए कोशिश करें। आपकी डाइट ऐसी होनी चाहिए जिससे प्रोलिन की मात्रा खून में नियंत्रित रहे। इससे प्रोलिन की मात्रा कम हो सकती है लेकिन इसके लक्षणों से आपको छुटकारा नहीं मिल सकता।
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