हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) - Hutchinson Gilford Progeria in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

September 28, 2020

January 30, 2024

हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम
हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम

हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) क्या है?

हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम को प्रोजीरिया नाम से भी जाना जाता है। यह एक अत्यंत दुर्लभ, प्रगतिशील आनुवंशिक विकार है, जिसमें बच्चों की उम्र (जीवन के पहले दो वर्षों में) तेजी से बढ़ने लगती है। प्रोजीरिया से ग्रस्त बच्चे आमतौर पर जन्म के समय सामान्य दिखाई देते हैं लेकिन पहले वर्ष के दौरान विकास धीरे होना और बालों का झड़ना जैसे संकेत या लक्षण देखे जा सकते हैं। इस स्थिति में हृदय संबंधित समस्या या स्ट्रोक की वजह से बच्चों की मौत हो सकती है। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे की औसत जीवन प्रत्याशा लगभग 13 वर्ष है। इनमें से कुछ छोटी उम्र में मर जाते हैं जबकि कुछ लंबे समय तक (यहां तक कि 20 साल तक भी) जीवित रह सकते हैं। इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस पर शोध जारी है।

हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) के संकेत और लक्षण - Progeria Symptoms in Hindi

जब बच्चे का जन्म होता है, तो आमतौर पर प्रोजीरिया के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन जीवन के पहले वर्ष के दौरान बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • लंबाई कम होना और वजन बढ़ना (और पढ़ें - शिशु की उम्र के अनुसार लम्बाई और वजन)
  • सिर बड़ा होना
  • बड़ी आंखें, जिन्हें वे पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते
  • सामान्य से छोटा जबड़ा
  • पतली व उठी हुई नाक
  • चिपके हुए कान
  • नसें, जो ऊपर से दिखाई देती हैं
  • दांतों का विकास धीमा और असामान्य होना
  • तेज आवाज
  • शरीर की चर्बी और मांसपेशियों में कमी
  • बाल झड़ना, जिसमें पलकें और भौं के बाल भी गिर जाते हैं (और पढ़ें - बाल झड़ने से रोकने के शैम्पू)
  • पतली, झुर्रीदार त्वचा, जिसमें धब्बे दिखाई दे सकते हैं

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हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) के कारण क्या हैं? - Progeria Causes in Hindi

प्रोजीरिया की समस्या लैमिन ए (एलएमएनए) नामक जीन में बदलाव के कारण होती है। यह जीन शरीर में ऐसा प्रोटीन बनाता है जो कोशिकाओं को एक साथ रखने के लिए नाभिक (न्यूक्लियस) को एक साथ रखता है। इस प्रोटीन को प्रोजीरिन नाम से भी जाना जाता है। जब इस जीन में दोष (उत्परिवर्तन) आ जाता है, तो लैमिन ए प्रोटीन का एक असामान्य रूप (प्रोजीरिन) बनने लगता है, जो कोशिकाओं को अस्थिर कर देता है।

आमतौर पर परिवार के अन्य सदस्यों में इस बीमारी के होने की बात पता नहीं चली है, लेकिन अगर परिवार में किसी को प्रोजीरिया की समस्या है तो ऐसे में 2 से 3 प्रतिशत आशंका है कि उसके भाई या बहन को भी यह समस्या हो जाए।

हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) का निदान कैसे किया जा सकता है? - Progeria Diagnosis in Hindi

डॉक्टर त्वचा की उम्र बढ़ने और बालों के झड़ने की स्थिति की जांच करके प्रोजीरिया की पहचान कर सकते हैं। प्रोजीरिया के निदान के लिए एचजीपीएस नामक टेस्ट की मदद ली जा सकती है। यह सटीक निदान और उपचार निर्धारित करने में मदद करता है।

हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) का इलाज कैसे किया जा सकता है? - Progeria Treatment in Hindi

प्रोजीरिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन हृदय और रक्त वाहिकाओं से जुड़ी बीमारी के लिए नियमित रूप से निगरानी रखने से बच्चे की स्थिति का प्रबंधन किया जा सकता है।

कुछ ऐसे उपचार उपलब्ध हैं जो प्रोजीरिया के संकेतों और लक्षणों को कम सकते हैं। उपचार बच्चे की स्थिति और लक्षणों पर निर्भर करेगा। इनमें शामिल हो सकते हैं :

  • लो डोज एस्पिरिन : एस्पिरिन की नियमित खुराक दिल के दौरे और स्ट्रोक को रोकने में मदद कर सकती है।
  • अन्य दवाएं : बच्चे की स्थिति के आधार पर, डॉक्टर कुछ अन्य दवाएं जैसे कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए स्टैटिन्स, बीपी कम करने के लिए दवा, खून में थक्कों को रोकने के लिए एंटीकोआगुलेंट्स और सिरदर्द व दौरे के इलाज के लिए दवाएं लिख सकते हैं।
  • फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी : ये थेरेपी जोड़ों में अकड़न और कूल्हे की समस्याओं को ठीक करती है जिससे बच्चे को सक्रिय रहने में मदद मिल सकती है।
  • पोषण : पौष्टिक, ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ व उनके पूरक (सप्लीमेंट) पर्याप्त पोषण बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
  • दांतों की देखभाल : प्रोजीरिया में दांतों की समस्याएं होना आम हैं। ऐसे में किसी अनुभवी बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।


हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (प्रोजीरिया) के डॉक्टर

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