कॉलरबोन में फ्रैक्चर क्या है?
बच्चों और वयस्कों के कॉलरबोन में चोट लगना एक आम बात है। कॉलर बोन को क्लेविकल (Clavicle) भी कहा जाता है, यह ब्रेस्ट बोन (सीने की हड्डी) के ऊपरी हिस्से और कंधे की हड्डी से जुड़ी होती है। सड़क दुर्घटना, गिरना या खेल में चोट के कारण कॉलर बोन में फ्रैक्चर हो जाना इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा जन्म के समय कई शिशुओं के कॉलर बोन में फ्रैक्चर हो जाता है। इसके इलाज में कई तरह के चिकित्सीय देखभाल की आवश्यकता होती है।
(और पढ़ें - हड्डी टूटने का प्राथमिक उपचार)
कॉलरबोन में फ्रैक्चर के लक्षण क्या हैं?
जिन लोगों के कॉलरबोन में फ्रैक्चर होता है, उनको कंधे में दर्द महसूस होने लगता है। साथ ही उनको हाथ हिलाने में भी मुश्किल होने लगती है। इस फ्रैक्चर की वजह से व्यक्ति को निम्न तरह के लक्षण महसूस होते हैं।
- कॉलरबोन में दर्द होना,
- कॉलरबोन के सामान्य आकार में बदलाव,
- कंधे के चारों ओर नील पड़ना और सूजन आना, समय के साथ नील फैलकर छाती तक पहुंच जाता है। (और पढ़ें - नील क्यों पड़ते हैं)
- साइड से हाथ ऊपर उठाने में मुश्किल होना,
- हाथ नीचे होने पर झुनझुनी और सुन होना।
(और पढ़ें - सूजन कम करने का उपाय)
डॉक्टर एक्स रे की मदद से कॉलर बोन की सही स्थिति और उसके प्रकार को समझने का प्रयास करते हैं। इस जांच में डॉक्टर यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि फ्रैक्चर से नसों और अन्य रक्त वाहिकाओं पर कितना असर पड़ा है।
कॉलरबोन फ्रैक्चर के बेहद कम मामलों में नसे और रक्त वाहिकाएं प्रभावित होती हैं, लेकिन कुछ गंभीर चोट में नसों को नकुसान भी हो सकता है।
कॉलरबोन में फ्रैक्चर क्यों होता है?
कॉलरबोन में फ्रैक्चर के सामान्य कारणों में निम्न को शामिल किया जाता है-
- गिरना - कंधे के बल पर या बाहर की ओर खुले हाथों से नीचे गिरना।
- खेल के दौरान चोट - खेल के दौरान किसी चीज का सीधे कंधे पर लगना।
- वाहन से दुर्घटना - वाहन को चलाते समय दुर्घटना होना।
- जन्म के समय - प्रसव के दौरान बाहर आते समय शिशु की कॉलरबोन पर चोट लगना।
(और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
कॉलरबोन में फ्रैक्चर का इलाज कैसे होता है?
सामान्य तौर पर कॉलरबोन का फ्रैक्चर समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसको जल्द ठीक करने के लिए स्प्लिंट (splint: कंधे और हाथ को सहारा देने वाला उपकरण) और ब्रेस (brace: कॉलर बोन को सपोर्ट करने वाला उपकरण) या कुछ दिनों के लिए सप्लिंग (Spling) का प्रयोग किया जाता है।
इसके इलाज में सूजन व दर्द को कम करने वाली दवाएं रोगी को दी जाती हैं। एेसी कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट हो सकते हैं और हड्डी को ठीक होने में अधिक समय भी लग सकता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही ये दवाएं चाहिए। दवाओं के अलावा इलाज में हाथों और कंधों की एक्सरसाइज भी की जा सकती हैं।
(और पढ़ें - गुम चोट का इलाज)