दांतों की कैविटी क्या होती हैं?
जब दांतों की सख्त सतह हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है और छोटे छिद्र या छेद में विकसित हो जाती है, उसे दांतों की कैविटी कहा जाता है। कैविटी को दांतों का सड़ना (Tooth Decay) या दांतों में कीड़ा लगना (Caries) भी कहा जाता है।
दांत की तीन परतें होती हैं :-
- इनेमल (Enamel) - दांतों की बाहरी और रक्षा करने वाली परत
- डेंटीन (Dentin) - इनेमल के निचे की नर्म परत
- पल्प (Pulp) - डेंटिन के निचे मौजूद नस
कैविटी तब होती है जब कार्बोहायड्रेट युक्त खाना जैसे कि ब्रेड, अनाज, दूध, पेप्सी या कोक जैसी सॉफ्ट ड्रिंक्स, फल, केक या टॉफ़ी हमारे दांतों में रह जातें हैं। हमारे मुँह में मौजूद बैक्टीरिया उसे अम्ल (एसिड) में तब्दील कर देते हैं।
बैक्टीरिया, एसिड, दांतों में अटका हुआ खाना और लार मिलकर प्लाक (Plaque; दांतों की सतह पर चिपचिपी परत जिसमें बैक्टीरिया होते हैं) बनाता है जो कि दांतों के साथ चिपक जाता है। प्लाक में मिला एसिड इनेमल को ख़त्म कर देता है, और दांतों में छेद कर देता है जिसे कैविटी कहते हैं। शुरू में यह छेद बहुत छोटे होते हैं पर समय के साथ बड़े होते जाते हैं।
यह अम्ल इनेमल के द्वारा दांतों की भीतरी सतह तक पहुंच सकता हैं। इसी तरह दांतों की नरम परत पर सड़न शुरू हो जाती है जो कि दांत का मुख्य भाग है। जैसे ही डेंटिन और इनेमल की परत टूट जातीं है वैसे ही कैविटी बननी शुरू जाती है। अगर सड़न को ना हटाया जाए तो बैक्टीरिया बढ़ता जाएगा और एसिड बनाता रहेगा जो की दांत की अंदरूनी परत तक पहुँच जाएगा। इस अंदरूनी परत में नर्म पल्प और संवेदनशील नर्व (नस) फाइबर शामिल होते हैं।
घटते हुए मसूड़ों की वजह से दिखाई देने वाली नसों में भी कैविटी पैदा हो सकती हैं। जड़ों की बाहरी सतह इनेमल जो कि पतली होती है। प्लाक बैक्टीरिया में मौजूद अम्ल उसे जल्दी नष्ट कर देता हैं।
कैविटी और दांतों की सड़न दुनिया की सबसे आम स्वास्थय समस्याओं में से एक हैं। यह खासतौर पर छोटे बच्चों, किशोरों और कुछ हद तक वयस्कों में भी पाई जाती हैं।
अगर कैविटी का इलाज ना कराया जाए तो यह बढ़ती जायेगी और दांतों की गहरी सतहों को भी प्रभावित कर सकती है। इससे दांतों में भयानक दर्द और संक्रमण भी हो सकता है, और यहाँ तक कि दांत भी टूट सकते हैं। नियमित रूप से दांतों की जांच, ब्रश करना और दांत साफ कराने की आदत सबसे बढ़िया तरीके हैं दांतों को कैविटी और सड़न से सुरक्षित करने का।
भारत में कैविटी
इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री ने सर्वेक्षण किया जिसमें पाया गया कि -
- 35–44 और 65–74 साल की आयु के लोगों में 54% और 42% लोगों में ख़राब मौखिक स्वछ्ता पाई गई।
- बारह साल की उम्र के 51% बच्चों को कैविटी थी।
- वयस्कों के लिए दांत निकालना सबसे ज़्यादा अपेक्षित इलाज था (52% के लिए)।
- पल्प का इलाज 16% बारह साल के बच्चों के लिए, और 16% 35–44 साल के लोगों के लिए अपेक्षित इलाज था।