क्रोन रोग - Crohn's Disease in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

October 18, 2018

February 02, 2024

क्रोन रोग
क्रोन रोग

क्रोन रोग क्या है?

क्रोन रोग एक दीर्घकालिक स्थिति है जिससे शरीर के पाचन तंत्र की परत में सूजन व लालिमा पैदा हो जाती है। जिससे डायरिया (दस्त) और पेट में ऐंठन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। हालांकि इस रोग के होने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। माना जाता है कि जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अजीब तरह से बर्ताव करती है तो यह रोग होता है। बहरहाल कुछ परिवारों में यह वंशानुगत भी होता है। यह 13 से 30 साल की उम्र के बीच होता है। जिन बच्चों को यह दिक्कत होती है उन्हें बढ़ने में काफी मुश्किलें होती हैं। 

इसके लक्षण काफी कष्टदायी हो सकते हैं। इसमें आंतों के अल्सर, तकलीफ और दर्द आदि शामिल हैं। इसके लक्षण स्थिर रह सकते हैं या महीने या साप्ताहिक रूप से बार-बार आ और जा सकते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर बचपन या शुरूआती वयस्कता में शुरू होते हैं। क्रोन रोग दर्दनाक, कमजोर कर देने वाली और कभी-कभी जीवन के लिए हानिकारक स्थिति पैदा कर सकता है। 

क्रोन रोग की जांच डॉक्टर शारीरिक परीक्षण, लेब टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट और कोलोनोस्कोपी आदि की मदद से करेंगे। क्रोन रोग के कारण आंतो में ब्लॉकेज, आंतों में अल्सर और पर्याप्त पोषण प्राप्त करने में कठिनाई जैसी जटिलताएं पैदा हो सकती है। क्रोन रोग से ग्रस्त लोगों को पीठ में दर्द और त्वचा संबंधी समस्याएं भी होती हैं। जीवनशैली में बदलाव जैसे एक्सरसाइज व स्वस्थ आहार आदि के रूप में इसका उपचार किया जाता है। साथ ही साथ दस्त रोकने वाली (Antidiarrhetics) और सूजन व जलन रोकने वाली ऑवर-द-काउंटर (Prescription) दवाएं भी इसके उपचार में प्रयोग की जाती हैं। 

(और पढ़ें - डायरिया से बचने के उपाय)

क्रोन रोग के लक्षण - Crohn's Disease Symptoms in Hindi

क्रोन रोग के क्या लक्षण होते हैं?

क्रोन रोग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हुए अलग-अलग हो सकते हैं कि आंत का कौनसा हिस्सा प्रभावित हुआ है। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • दर्द:
     दर्द का स्तर हर व्यक्ति के अनुसार भिन्न हो सकता है और यह निर्भर करता है कि आंत में सूजन कहां है। दर्द ज्यादातर पेट के निचले दाहिने तरफ महसूस होता है।
     
  • आंतो में अल्सर:
    अल्सर आंतों में होते हैं, जिनसे खून बह सकता है। यदि उनसे खून बहता है तो मरीज को अपने मल में खून की जांच करवानी चाहिए। (और पढ़ें - मल में खून आने का इलाज)
     
  • मुंह के अल्सर: 
    ये सामान्य लक्षण होते हैं (और पढ़ें - मुंह के छाले का उपाय)
     
  • दस्त: 
    इसकी सीमा कम से गंभीर तक हो सकती है। कभी-कभी दस्त में खून, बलगम या मवाद आदि आ सकता है। इसमें मरीज को शौचालय जाने की तीव्र इच्छा जागती है लेकिन मल नहीं आता। (और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए)
     
  • थकान:
    यह कई तरह की बीमारियों के चलते हो सकती है जैसे एनीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं के दुष्प्रभावों से या नींद की कमी से और यदि आपको दर्द या दस्त से रात में उठना पड़ता है। इस समस्या में व्यक्ति अक्सर बेहद थका हुआ महसूस करता है। थकान के दौरान बुखार चढ़ना भी संभव है। (और पढ़ें - थकान से बचने के उपाय)
     
  • भूख में बदलाव: 
    यदि आंतों में सूजन व लालिमा के कारण आपका शरीर आपके द्वारा खाए गए भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पा रहा है, तो इसके कारण वजन घटने जैसी समस्या पैदा हो सकती है। (और पढ़ें - वजन बढ़ाने के तरीके)
     
  • वजन घटना: 
    यह भूख कम लगने के कारण हो सकता है। (और पढ़ें - वजन बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए)

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  • एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी): 
    अगर आप का बहुत सा खून बर्बाद हो रहा है, बह रहा है या नष्ट हो रहा है और आप पर्याप्त मात्रा में खा नहीं रहे हैं तो आपमें एनीमिया विकसित होने की संभावना अधिक हो जाती है। (और पढ़ें - खून बढ़ाने के तरीके)
     
  • रेक्टल से रक्तस्त्राव और एनल फिशर:
    इसमें गुदा की त्वचा फटने लग जाती है, जिससे खून बहता है और बेहद दर्द होता है। (और पढ़ें - एनल फिशर का इलाज)

अन्य संभावित लक्षण:

(और पढ़ें - लीवर में सूजन का इलाज)

डॉक्टर को कब दिखाएं

डॉक्टर इस बात का पता करेंगे कि आपके लक्षणों का क्या कारण है और क्रोन रोग की जांच करने के लिए आपको टेस्ट करवाने के लिए भी आगे रेफर कर सकते हैं।

क्रोन रोग के कारण - Crohn's Disease Causes in Hindi

क्रोन रोग के कारण क्या हैं?

क्रोन रोग का सटीक कारण अज्ञात है। क्रोन रोग एक प्रकार का प्रतिरक्षित रोग होता है, जिसमें मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद की आंत्र प्रणाली पर हमला करती है और उनमें सूजन, लालिमा, जलन व दर्द आदि पैदा करती है।

क्रोन रोग कई कारकों के संयोजन के कारण होता है।

  • जिस जीन के साथ आपने जन्म लिया है
  • आपकी आंत में किसी विशेष बैक्टीरिया के ऊपर प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा असाधारण तरीके से प्रतिक्रिया करना
  • कुछ अज्ञात ट्रिगर जैसे वायरस, बैक्टीरिया, आहार, धूम्रपान, तनाव या वातावरण में कोई विषाक्त पदार्थ आदि। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)

क्रोन रोग का खतरा कब बढ़ जाता है?

  • जीन:
    यद्यपि क्रोन की बीमारी के लिए कहा जाता था कि कोई जीन इसका कारण नहीं बन सकता है, वैज्ञानिकों ने 100 से अधिक जीनों की पहचान की है जो इस रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। (और पढ़ें - जीन चिकित्सा क्या है)
     
  • पारिवारिक रोग संबंधी कारक: 
    ऐसा प्रतीत होता है कि क्रोन रोग परिवार के सदस्यों में चलता रहता है। यदि आपके माता-पिता में से किसी एक को क्रोन रोग है तो आपको क्रोन रोग होने के जोखिम कम है। अगर माता-पिता दोनों को क्रोन रोग है तो आपमें यह रोग विकसित होने के जोखिम काफी उच्च होते हैं। (और पढ़ें - परिवार चिकित्सा क्या है)
     
  • सिगरेट पीना:
    सिगरेट ना पीने वालों के मुकाबले सिगरेट पीने वाले लोगों में क्रोन रोग विकसित होने के जोखिम दो गुना ज्यादा होते हैं। (और पढ़ें - सिगरेट पीने से नुकसान)
     
  • कुछ निश्चित प्रकार की दवाएं: 
    एंटीबायोटिक, गर्भनिरोधक गोली या नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इन्फ्लेमेट्री ड्रग (जैसे एस्पिरिन, इबूप्रोफेन या नेप्रोक्सेन) लेना क्रोन रोग विकसित होने के जोखिम को बढ़ा देता है। (और पढ़ें - एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले ज़रूर रखें इन बातों का ध्यान)
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क्रोन रोग के बचाव के उपाय - Prevention of Crohn's Disease in Hindi

क्रोन रोग की रोकथाम कैसे करें?

क्रोन रोग के कारण अज्ञात हैं। इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती। हालांकि कुछ सावधानियां हैं जिनकी मदद से लक्षणों को कम किया जा सकता है।

निम्न कुछ टिप्स दी गई हैं, जो आपको खाना खाने से पहले और बाद में बेहतर महसूस करने में आपकी मदद करेंगी।

  • जब भी आपको भूख लगे खा लें।
  • भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों तोड़कर और खूब चबाकर खाएं। (और पढ़ें - एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार)
  • खाद्य पदार्थों की एक डायरी बनाएं। जो भी आप खाते हैं उसे डायरी में लिख लें कि क्या यह किसी लक्षण को पैदा करता है या नहीं। फिर जो आपके लिए बेहतर है उसके अनुसार अपने खाद्य पदार्थों का चयन करें।
  • अपने घर पर ऐसे खाद्य पदार्थों को रखें जिनको आप खा सकते हैं और वे किसी प्रकार के लक्षण पैदा ना करें।
  • एक बार में अधिक खाने की बजाए दिन भर में थोड़ा-थोड़ा करके खाएं, यह टिप्स काफी लोगों में लक्षणों को कम करने में मदद करती है। (और पढ़ें - संतुलित आहार चार्ट)

क्रोन रोग का निदान - Diagnosis of Crohn's Disease in Hindi

क्रोन रोग की जांच कैसे की जाती है?

क्रोन रोग का परीक्षण में कभी-कभी देरी हो सकती है, क्योंकि ये लक्षण अन्य रोगों के साथ भी हो सकते हैं। आमतौर पर आंत्र संक्रमण या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी बीमारियों का पता लगाना आवश्यक होता है। क्रोन रोग ज्यादातर 15 से 35 साल के बीच की उम्र के लोगों में पाया जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट लिस्ट)

एनीमिया की जांच करने के लिए और सूजन व जलन आदि की गंभीरता का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करवाना काफी मददगार हो सकता है।

(और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट)

संक्रमण का पता लगाने के लिए मल का नमूने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

(और पढ़ें - संक्रमण का इलाज)

ज्यादातर लोगों में आंतों के हिस्से का परीक्षण करने की आवश्यकता होती है, इसकी जांच करने के लिए एक लचीली ट्यूब को या तो पीछे के मार्ग (कोलोनोस्कोपी या सिग्मोइडोस्कोपी) या मुंह (गैस्ट्रोस्कोपी) के द्वारा शरीर के अंदर डाला जाता है। एक्स-रे, सीटी स्कैन या बेरियम स्मॉल सीरीज (इसमें एक विशेष प्रकार की डाई को निगला जाता है और फिर एक्सरे लिया जाता है) के द्वारा भी इसकी जांच की जा सकती है। एमआरआई स्कैन का भी इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ऐसा कोई भी टेस्ट नहीं है जो क्रोन रोग की विश्वसनीय रूप से जांच कर सकता है, इसकी जांच करने के लिए कई लोगों को काफी सारे टेस्ट करवाने की आवश्यकता पड़ती है।

(और पढ़ें - बायोप्सी क्या है)

क्रोन रोग का उपचार - Crohn's Disease Treatment in Hindi

क्रोन रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है?

इसके उपचार में दवाएं, सर्जरी और अन्य पोषण संबंधी सप्लीमेंट्स आते हैं। 

उपचार का मुख्य लक्ष्य सूजन व जलन को नियंत्रित करना, पोषण संबंधी समस्याओं और लक्षणों को ठीक करना होता है।

(और पढ़ें - पोषण की कमी का इलाज)

क्रोन रोग का इलाज संभव नहीं है, पर कुछ उपचारों की मदद से मरीज में बार-बार होने वाले इस रोग के अनुभव को कम किया जा सकता है।

क्रोन रोग का उपचार निम्न पर निर्भर करता है:

  • सूजन व जलन की समस्या कहां पर है।
  • रोग की गंभीरता 
  • रोग की जटिलताएं
  • बार-बार होने वाले लक्षणों के उपचार के प्रति मरीज क्या प्रतिक्रिया दे रहा है।

कुछ लोगों में यह रोग बिना किसी प्रकार के लक्षण पैदा किए किसी व्यक्ति के शरीर में लंबे समय तक रह सकता है यहां तक कि सालों तक भी।

जैसे कि इसके सुधार होने की अवधि अलग-अलग हो सकती है, तो यह जानना काफी मुश्किल होता है कि उपचार कितना प्रभावी है। पहले ही यह बताना असंभव है कि सुधार होने की अवधि कितनी लंबी हो सकती है।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

दवाएं:

  • एंटी-इन्फलेमेशन दवाएं:
    सबसे अधिक संभावना होती है कि डॉक्टर मेसालेमिन (सल्फासलैजीन) दवाओं के द्वारा उपचार शुरू करते हैं, जो सूजन, जलन व लालिमा (इन्फलेमेशन) को नियंत्रित करने में मदद करती है।
     
  • कोर्टिसोन और स्टेरॉयड:
    कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाओं में कोर्टिसोन और स्टेरॉयड होता है। (और पढ़ें - कोर्टिसोन क्या है)
     
  • इम्यूनोस्पेप्रेसेंट दवाएं: ये दवाएं मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को कम करती हैं। डॉक्टर 6-मर्कैप्टोप्युरिन (Mercaptopurine) या इससे संबंधित दवा एजाथीपोरिन (Azathioprine) लिख सकते हैं। (और पढ़ें - प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के उपाय)
     
  • इनफ्लीक्सिमैब:
    यह शरीर की सूजन व जलन संबंधी प्रतिक्रिया को ब्लॉक करता है। (और पढ़ें - लिवर में सूजन का इलाज)
     
  • एंटीबायोटिक्स:
    फिस्टुला, स्ट्रीक्चर या पहले की हुई किसी सर्जरी के कारण बैक्टीरिया में अधिक वृद्धि हो सकती है। डॉक्टर आमतौर पर इन समस्याओं का इलाज एम्पिसीलिंग, सल्फोनामाइड, सिफेलोस्पोरिन, टेट्रासाइक्लिन या मेट्रोनीडाजोल जैसी दवाएं लिखकर करते हैं। (और पढ़ें - एंटीबायोटिक क्या है)
     
  • दस्त रोधी और फ्लूड रिप्लेस्मेंट (तरल बदलना):
    जब सूजन व जलन कम होने लगती है, तो आमतौर पर दस्त की समस्या भी कम हो जाती है। हालांकि कई बार मरीज को दस्त व पेट में दर्द की समस्या के लिए कुछ दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। (और पढ़ें - दस्त रोकने के उपाय)

सर्जरी:

क्रोन रोग के हर मरीज को कभी न कभी सर्जरी के गुजरना ही पड़ता है। जब दवाइयों से रोग के लक्षण रोकना मुश्किल हो तो सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचता है। सर्जरी के द्वारा उन लक्षणों को ठीक किया जा सकता है जो दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं देते। रोग के कारण होने वाली जटिलताएं जैसे फोड़ा, परफोरेशन (छेद होना), रक्तस्त्राव और ब्लॉकेज आदि को ठीक करने के लिए भी सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

आंत के प्रभावित हिस्से को शरीर से निकाल देना मददगार हो सकता है लेकिन यह क्रोन रोग का समाधान नहीं करता। जहां से आंत का हिस्सा हटाया जाता है उससे अगले हिस्से में सूजन व लालिमा फिर से आने लगती है। कुछ मरीजों को क्रोन रोग के लिए अपने जीवन काल में एक से अधिक ऑपरेशन (सर्जरी) करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

(और पढ़ें - आंतों की सूजन का इलाज)

कुछ मामलों में कोलेक्टॉमी (Colectomy) की आवश्यकता भी पड़ सकती है, इस प्रक्रिया में पूरे कोलन को ही हटा दिया जाता है। यदि सर्जन आंत का प्रभावित हिस्सा निकाल पाते हैं और बाकी के हिस्से को आपस में जोड़ पाते हैं, तो स्टोमा (Stoma) की आवश्यकता नहीं पड़ती। जब पेशाब या मल के निकासन या किसी अन्य वजह से जब शरीर में एक अतिरिक्त छेद खोला जाता है तो उसे स्टोमा कहा जाता है।

रोगी और उनके डॉक्टर को सर्जरी पर बहुत ध्यान से विचार कर लेना चाहिए। यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। रोगी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि यह रोग ऑपरेशन के बाद फिर से भी हो सकता है।

क्रोन रोग से ग्रस्त ज्यादातर लोग अपने जीवन में सामान्य गतिविधियां, नौकरी या अपने व्यवसाय के काम कर सकते हैं, परिवार बढ़ा सकते हैं और शारीरिक फंक्शन्स को सफलतापूर्वक कर सकते हैं।

(और पढ़ें - पेसमेकर सर्जरी)

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क्रोन रोग की जटिलताएं - Crohn's Disease Complications in Hindi

क्रोन रोग की क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

यदि लक्षण गंभीर हैं और बार-बार आ रहे हैं, तो जटिलताएं होने की संभावनाएं अधिक हो सकती हैं। निम्न कुछ जटिलताएं हैं जिनमें सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती हैं:

  • शरीर के अंदर खून बहना
  • स्ट्रीक्चर (Stricture) – इसमें आंत का एक हिस्सा संकुचित हो जाता है, जिस कारण से स्कार बनने लगते हैं और आंतों का कोई हिस्सा या पूरी आंत ही ब्लॉक हो जाती है।
  • परफोरेशन (Perforation) – इसमें आंत की दीवार में एक छेद बन जाता है, जिससे आंत की सामग्री रिसने लग जाती है। इस स्थिति में संक्रमण और फोड़े होने लग जाते हैं।
  • फिस्टुला (Fistulas) – इसमें आंत के दो भागों के बीच एक चैनल बन जाता है।

ये भी हो सकते हैं:

  • स्थिर रूप से आयरन की कमी
  • खाद्य अवशोषण करने संबंधी समस्याएं
  • आंत में कैंसर विकसित होने के जोखिम थोड़े बढ़ जाना।

(और पढ़ें - कोलन कैंसर का इलाज)

क्रोन रोग में परहेज़ - What to avoid during Crohn's Disease in Hindi?

क्रोन रोग में क्या नहीं खाना चाहिए?

आहार में बदलाव करने से लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। डॉक्टर आपको आपके आहार में कुछ प्रकार के बदलाव करने के सुझाव दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • कार्बोनेटेड और बर्फ वाले पेय पदार्थों से बचना (और पढ़ें - बर्फ के फायदे)
  • पॉपकॉर्न, सब्जियों के छिलके, सूखे मेवे और अन्य फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थों से बचना (और पढ़ें - पौष्टिक आहार के गुण)
  • खूब मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन करना
  • छोटी-छोटी मात्रा में बार-बार करके भोजन खाना
  • खाद्य पदार्थों के लिए डायरी बनाना, जिससे उन खाद्य पदार्थों की पहचान की जा सकती है जो समस्याएं पैदा करते हैं।

(और पढ़ें - फाइबर युक्त आहार)

क्रोन रोग में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Crohn's Disease in Hindi?

क्रोन रोग में क्या खाना चाहिए?

आपके लक्षणों और दवाओं आदि पर निर्भर करते हुऐ आपके डॉक्टर आपके लिए एक विशिष्ट खाद्य सामग्री की लिस्ट बना सकते हैं, जिसमें निम्न खाद्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं।

आहार संबंधी विशिष्ट सुझावों और उनमें बदलाव आदि से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

(और पढ़ें - लिवर को स्वस्थ रखने वाले आहार)

यदि आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर रहा तो आपके डॉक्टर आपके लिए कुछ पोषक तत्वों व विटामिन आदि के सप्लीमेंट्स लिख सकते हैं। सुरक्षा से संबंधित कारणों के लिए किसी भी प्रकार के आहार संबंधी सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। इन सप्लीमेंट्स में विटामिन या किसी भी प्रकार की पूरक या वैकल्पिक दवाएं या फिर आदि शामिल हो सकती है।

(और पढ़ें - प्रोटीन युक्त भारतीय आहार)



संदर्भ

  1. Karger. Epidemiology of Inflammatory Bowel Disease in India: The Great Shift East. Basel, Switzerland. [internet].
  2. Crohn’s & Colitis Foundation. What is Crohn’s Disease?. New York, United States. [internet].
  3. American journal of Gastroenterology. ACG Clinical Guideline: Management of Crohn's Disease in Adults. Wolters Kluwer Health; Pennsylvania, United States. [internet].
  4. The Association of Physicians of India. Crohn's disease: The Indian perspective. Mumbai, India. [internet].
  5. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases [internet]: US Department of Health and Human Services; Crohn's Disease.

क्रोन रोग के डॉक्टर

Dr. Paramjeet Singh. Dr. Paramjeet Singh. गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
Dr. Nikhil Bhangale Dr. Nikhil Bhangale गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
Dr Jagdish Singh Dr Jagdish Singh गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
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Dr. Deepak Sharma Dr. Deepak Sharma गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
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क्रोन रोग की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Crohn's Disease in Hindi

क्रोन रोग के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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