कोरोनरी आर्टरी डिजीज (कोरोनरी धमनी की बीमारी) क्या है?
कोरोनरी आर्टरी (धमनी) रोग को 'कोरोनरी हृदय रोग' या 'हृदय रोग' भी कहा जाता है।
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कोरोनरी धमनी रोग का विकास तब होता है, जब आपके हृदय को रक्त, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करने वाली प्रमुख रक्त वाहिकाएं (कोरोनरी धमनियां) क्षतिग्रस्त या बीमार हो जाती हैं। आपकी धमनियों में सूजन और कोलेस्ट्रॉल युक्त जमा हुआ पदार्थ (प्लाक) आमतौर पर कोरोनरी धमनी रोग के लिए उत्तरदायी हैं।
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जब प्लाक जमना शुरू होता है, तो वह आपकी कोरोनरी धमनियों को संकीर्ण बना देता है और आपके हृदय में रक्त का प्रवाह कम कर देता है। अंत में रक्त प्रवाह में कमी के कारण एनजाइना, सांस लेने में तकलीफ या अन्य कोरोनरी धमनी रोग के संकेत और लक्षण दिख सकते हैं। जब प्लाक के द्वारा कोरोनरी धमनियां पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं, तो दिल का दौरा पड़ सकता है।
चूंकि कोरोनरी धमनी रोग अक्सर दशकों में विकसित होता है, इसलिए हो सकता है कि आपको कोई समस्या दिखाई न दे, जब तक आपकी कोरोनरी धमनियों में विशेष रूप से कोई रुकावट न आये या दिल का दौरा न पड़े। लेकिन कोरोनरी धमनी रोग की रोकथाम और इलाज के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं। इस संबंध में एक स्वस्थ जीवन शैली बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
कोरोनरी हृदय रोगों का प्रसार:
हृदय रोग, विशेषकर कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) भारत में महामारी की तरह फैले हुए हैं। भारत के रजिस्ट्रार जनरल के अनुसार, वर्ष 2001-2003 में भारत में हुई कुल मौतों में से 17% और वयस्कों की मृत्यु में से 26% कोरोनरी हृदय रोगों (सीएचडी) के कारण हुई, जो 2010-2013 में बढ़कर कुल मौतों का 23% और वयस्कों की मृत्यु का 32% हो गया। भारत में हुए अध्ययनों ने पिछले 60 वर्षों में सीएचडी के प्रसार में, शहरी आबादी में 1% से 9% -10% और ग्रामीण जनसंख्या में <1% से 4-6% तक वृद्धि दर्ज की है। केस कंट्रोल अध्ययनों से पता चला है कि भारत में सीएचडी के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में डिसलिपिडेमिया, धूम्रपान, मधुमेह (शुगर), उच्च रक्तचाप, मोटापा, मनोवैज्ञानिक तनाव, असंतुलित भोजन और शारीरिक निष्क्रियता हैं। इस महामारी से निपटने के लिए उपयुक्त रणनीतियां आवश्यक हैं।