कोलिक होना क्या है?
कोलिक या उदरशूल एक ऐसी स्थिति है जिसमें स्वस्थ शिशु लगातार बहुत तेज रोता रहता है या परेशान रहता है। यह स्थिति बच्चे के माता-पिता के लिए भी काफी परेशान कर देने वाली होती है, क्योंकि कुछ भी करने से बच्चा रोना बंद नहीं करता। कोलिक की समस्या ज्यादातर डेढ़ महीने के बच्चे को होती है और तब तक रहती है जब तक बच्चा 3 या 4 महीने का नहीं हो जाता। वैसे तो कोलिक अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति में बच्चे का ख्याल रखना माता-पिता के लिए बहुत स्ट्रेस भरा होता है।
कोलिक के लक्षण क्या हैं?
कोलिक होने पर बच्चा बहुत ज्यादा रोने लगता है और कुछ भी उपाय करने से उसका रोना बंद नहीं होता, बच्चा सही से सो नहीं पाता और न ही स्तनपान कर पाता है। कई बच्चों के लक्षण हल्के होते हैं और उन्हें केवल बेचैनी महसूस होती है हालांकि, कई बच्चे इस दौरान बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं।
कोलिक क्यों होता है?
कोलिक का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है इससे ग्रस्त कुछ बच्चों में ये देखा गया है कि उन्हें कोई अंदरूनी समस्या होती है, जैसे कब्ज, गर्ड, लैक्टोज इनटॉलेरेंस, एनल फिशर या माइग्रेन। मानसिक और सामाजिक कारणों को भी कोलिक की वजह माना जाता है, हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
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कोलिक का इलाज कैसे होता है?
कोलिक होने पर आप बच्चे को आराम देने के लिए कई तरीके अपना सकते हैं, जैसे बच्चे को गोद में लेकर घूमना, उसे हल्के गर्म पानी से नहलाना और उसके पेट को सहलाना आदि। इसके अलावा आप बच्चे को दूध पिलाने के तरीकों में भी बदलाव कर सकते हैं। अगर आप बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो आपकी अपनी डाइट बदलने से भी आपके शिशु को आराम मिल सकता है। आपके डॉक्टर इस डाइट के बारे में और बच्चे को आराम देने के अन्य उपाय के बारे में आपको असरदार तरीके बता सकते हैं।
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