बुलिमिया नर्वोसा क्या है?

बुलिमिया नर्वोसा को आम भाषा में सिर्फ बुलिमिया कहते हैं। ये एक गंभीर और जानलेवा भोजन विकार (ईटिंग डिसऑर्डर) है। बुलिमिया से पीड़ित लोग पहले ढेर सारा खाना खा लेते हैं और फिर मोटापे के डर से बहुत ज़्यादा व्यायाम करते हैं या खाए गए खाने की ना आते हुए भी उलटी कर देते हैं। कभी-कभी लोग थोड़ा सा खाना खा कर भी उसे उगल देते हैं। 

अगर आपको बुलिमिया है, तो आप पूरे समय अपने वज़न को लेकर चिंतित रहेंगे और अपने शरीर के आकार के बारे में ही सोचते रहेंगे। आपको अपने शरीर में कमियां दिखेंगी और आप अपना मूल्यांकन करते रहेंगे। बुलिमिया सिर्फ एक भोजन विकार ही नहीं है बल्कि एक मानसिक स्थिति भी है जिसमें आप अपने बारे में नकारात्मक सोचते हैं। पर सही इलाज करने पर आप अपने बारे में अच्छा महसूस करने लगेंगे, अपने भोजन विकार को सुधारेंगे और गंभीर जटिलताओं से बच पाएंगे। 

(और पढ़ें - एनोरेक्सिया के उपचार)

बुलिमिया नर्वोसा के प्रकार - Types of Bulimia Nervosa in Hindi

बुलिमिया कितने प्रकार का होता है?   

बुलिमिया 2 प्रकार का होता है:

  • पर्जिंग बुलिमिया (Purging bulimia) -
    आप नियमित रूप से कुछ खाने के बाद उसकी जान-बूझकर उलटी कर देते हैं या फिर रेचक दवा (लैक्सेटिव: दवाइयां जिनको खाने के बाद शरीर से मल मुक्ति होती है), डाईयुरेटिक्स (दवाइयां जिनको खाने के बाद बहुत ज़्यादा पेशाब आता है) या एनीमा (मलाशय में कोई तरल पदार्थ डाल कर ज़बरदस्ती मलत्याग करना) का इस्तेमाल करते हैं। (और पढ़ें - बार बार पेशाब आने के कारण
     
  • नॉन-पर्जिंग बुलिमिया (Nonpurging bulimia) -
    आप व्रत रखके, बहुत ज़्यादा डाइटिंग करके या बहुत ज़्यादा व्यायाम करके खुद को मोटापे से बचाना चाहते हैं। (और पढ़ें - वजन कम करने के लिए डाइट टिप्स)​
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बुलिमिया नर्वोसा के लक्षण - Bulimia Nervosa Symptoms in Hindi

बुलिमिया के लक्षण और संकेत क्या हैं?

  • बार-बार अपने शरीर के आकार और वज़न के बारे में सोचते रहना। 
  • हर समय वज़न बढ़ने का डर रहना। 
  • कभी बहुत ज़्यादा खा लेना तो कभी बहुत ज़्यादा डाइटिंग करना।
  • पेट भरने के बाद भी खाते रहना जब तक पेट दर्द न शुरु हो जाए। (और पढ़ें - पेट दर्द का घरेलू उपचार)
  • आप आम रूप से जितना खाना कहते हैं, एक बार में उससे बहुत ज़्यादा खा लेना। 
  • बहुत ज़्यादा व्यायाम करना या जान बूझकर उल्टी करना। 
  • लैक्सटिव, डाईयुरेटिक या एनीमा का खाने के बाद प्रयोग करना। 
  • वज़न कम करने के लिए हर्बल उत्पादों या अन्य दवाइयों का सेवन करना। 

(और पढ़ें - पेट दर्द का इलाज

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बुलिमिया से पीड़ित लोगों का सामन्य या उससे थोड़ा सा ज़्यादा ​वज़न होता है। लोग उन्हें देखकर पता नहीं लगा पाते कि उन्हें बुलिमिया है, परिवार वाले या उनके मित्र उनमें निम्नलिखित चीज़ें देख सकते हैं:

  • अपने मोटापे को लेकर चिंतित रहना और उसके बारे में बात करते रहना। 
  • अपने शरीर को लेकर नकारात्मक होना। 
  • बार-बार एक ही साथ बहुत ज़्यादा खाना खा लेना, खास कर जो ज़्यादा तेली या मीठा हो।  
  • ज़्यादा लोगों के सामने ना खाना। 
  • खाना खाने के बाद या खाना खाते समय शौच जाना। 
  • बहुत ज़्यादा व्यायाम करना। 
  • हाथों और नकल्स (हाथों और उँगलियों का जोड़) पर बार-बार मुँह में हाथ घुसाकर उल्टियां करने के कारण घाव और निशान पड़ जाना। 
  • दांत और मसूड़े ख़राब होना।

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डॉक्टर को कब दिखाएं?

अगर आपको अपने अंदर बुलिमिया के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर को जल्द से जल्द दिखाएं। अगर समय पर इलाज ना कराया जाए तो ये आपके जीवन पर गंभीर रूप से भारी पड़ सकता है। 

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बुलिमिया नर्वोसा के कारण - Bulimia Nervosa Causes in Hindi

बुलिमिया क्यों होता है?

बुलिमिया का मुख्य कारण पता नहीं चल पाया है। जेनेटिक्स, मानसिक स्वास्थ्य, समाज में रहन-सहन के तरीके और अगर ये समस्या परिवार में चली आ रही है तब भी आपको बुलिमिया होने की सम्भावना है। 

बुलिमिया होने का जोखिम किन वजह से बढ़ जाता है?

लड़कियों और महिलाओं में पुरुषों से अधिक बुलिमिया होने की संभावना है। बुलिमिया अक्सर किशोरावस्था या 20 साल की उम्र में शुरू होता है। 

निम्न कारक बुलिमिया होने की सम्भावना बढ़ा सकते हैं:

  • जेनेटिक्स (विकार परिवार में चला आ रहा हो) -
    जिन लोगों के माता-पिता, बहन-भाई या बच्चों में से किसी को ये विकार हो तो उनमें ऐसी समस्या देखे जाने की संभावना है जिसे जेनेटिक लिंक कहते हैं। बचपन या किशोरावस्था में ज़्यादा वज़न होने के कारण भी ये समस्या आ सकती है।  
     
  • मानसिक तनाव -
    मानसिक तनाव जैसे डिप्रेशनचिंतित रहना या ड्रग्ज़ लेने से भी ये भोजन विकार हो सकता है। बुलिमिया से पीड़ित लोग अपने बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं। कुछ मामलों में सदमा लगने या पर्यावरण तनाव जैसे शोर, गंदगी, भीड़ के कारण भी ये समस्या हो सकती है। 
     
  • डाइटिंग -
    जो लोग डाइटिंग करते हैं उन्हें भोजन विकार होने की ज़्यादा सम्भावना होती है। बुलिमिया से पीड़ित लोग एक ही समय पर बहुत ज़्यादा खाते हैं और अन्य समय कुछ नहीं खाते। ऐसा करने से भूख लगती है और लोग एक ही समय पर ढेर सारा खाना खाकर ना आते हुए भी उसकी उलटी कर दते हैं। ज़्यादा खाने के अन्य कारण हो सकते हैं तनाव, अपने बारे में नकारात्मक सोच और बोरियत। 

(और पढ़ें - मानसिक रोग के लक्षण

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बुलिमिया नर्वोसा से बचाव के उपाय - Prevention of Bulimia Nervosa in Hindi

बुलिमिया से कैसे बचें?

  • अपने आप को बताएं कि आपके शरीर के हिसाब से आपका वज़न ठीक है। 
  • सही समय पर खाना खाएं और खाना ना छोड़ें। ऐसा ना करने से आप एक ही समय पर बहुत ज़्यादा खा लेते हैं। 
  • ऐसी वेबसाइट्स की सहायता ना लें जो आपके भोजन विकार को बढ़ावा देती हैं।
  • अपनी समस्या पहचाने। उन परेशानियों का समाधान निकालें जिनकी वजह से आपको ये विकार है। 
  • अपना मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए एक प्लान बनाएं और उसके हिसाब से चलें। 
  • सकारात्मक जीवन अपनाएं। ऐसे लोगों के साथ रहें जो आपको अपनी बीमारी से जूझने के लिए प्रेरित करते हैं और आपकी मदद करते हैं। (और पढ़ें - खुश रहने के आसान तरीके)
  • ज़्यादा खाने और फिर उस खाने को उगलने के ख्याल से बचने के लिए वो चीज़ें करें जो आपको पसंद हैं और उन पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें। 
  • अपनी एक सकतारत्मक छवि बनाएं। पॉजिटिव चीज़ों पर ध्यान दें, कुछ अच्छा करने पर खुद को शाबाशी दें और अपना मनोबल बढ़ाएं। 

(और पढ़ें - मानसिक रोग के उपाय)

बुलिमिया नर्वोसा का निदान - Diagnosis of Bulimia Nervosa in Hindi

बुलिमिया के लिए क्या टेस्ट किये जाते हैं?

बुलिमिया की जांच के लिए आपके डॉक्टर निम्न टेस्ट कर सकते हैं -

  • पूरा शारीरिक चेक-उप 
  • खून की जांच और पेशाब की जांच (यूरिन टेस्ट)
  • मानसिक जांच, जिसमें चिकित्सक आपकी खाने की आदतों और खाने कि तरफ रवय्ये को जाँचते हैं। 

डॉक्टर एक्स रे की मदद से देख सकते हैं कि आपकी कोई हड्डी टूटी तो नहीं है, आपको निमोनिया है या नहीं और अन्य दिल कि बीमारियों की जांच होती है। डॉक्टर एलेक्ट्रोकार्डिओग्राम (इसीजी) करवाने के लिए भी कह सकते हैं जिससे पता दिल की धड़कनें कब ज़्यादा तेज़ और कब धीमी हो रही हैं। 

इन टेस्ट से डॉक्टर पता लगा सकते हैं के आपको बुलिमिया है या कोई और ईटिंग डिसऑर्डर जैसे कि कम खाने का विकार (एनोरेक्सिया) या ज्यादा खाने का विकार। 

आपको बुलिमिया का रोगी माना जाने के लिए, आपके लिए निम्न मानदंड सच होने चाहिए -

  • आप बार-बार बहुत ज़्यादा खाते हैं और अपनी खाने की आदत पर काबू नहीं कर पाते। 
  • बहुत ज़्यादा खाने के बाद, मोटापे के डर से आप जानबूझ कर उल्टी करते हैं, बहुत ज़्यादा व्यायाम करते हैं, व्रत रखते हैं, लैक्सेटिव (रेचक) का सेवन करते हैं, डाईयुरेटिक्स लेते हैं, एनीमा और अन्य दवाइयों का सेवन करते हैं। 
  • आप हफ्ते में कम से कम दो बार, बहुत ज़्यादा खाने के बाद उसको उगलते हैं। और ऐसा आप तीन महीने से करते आ रहे हैं।  
  • आपके शरीर का आकार और वज़न, आपके मन में अपने प्रति नकारात्मकता जगाता है। 

अगर आपको अपने में यह सभी लक्षण नहीं दिखते हैं, आपको फिर भी भोजन विकार हो सकता है। अपनी स्थिति के सटीक निदान के लिए डॉक्टर से बात करें। 

(और पढ़ें - BMI in hindi)

बुलिमिया नर्वोसा का इलाज - Bulimia Nervosa Treatment in Hindi

बुलिमिया का उपचार कैसे किया जाता है?

बुलिमिया के लिए अलग-अलग तरीके के इलाज की ज़रुरत होती है। रोगी से बात करके उसकी मानसिक स्थिति सुधारना और एंटी-डिप्रेसेंट्स (डिप्रेशन ठीक करने वाली दवाइयां) देना बुलिमिया ठीक करने का सबसे असरदार इलाज है। बुलिमिया का इलाज करने के लिए रोगी के परिवार का सहयोग भी बहुत ज़रूरी है। 

1. मनोचिकित्सा​ (Psychotherapy)

इस थेरेपी के दौरान डॉक्टर आपसे बुलिमिया और मानसिक स्वास्थय के बारे में बात करते हैं। मनोचिकित्सा को "टॉक थेरेपी" (Talk Therapy) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें डॉक्टर आपसे बातचीत करके आपकी दिमागी हालत पहचानते हैं और आपको इस समस्या से उभरने का तरीका बताते हैं। 

  • कॉग्निटिव व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioural Therapy) -
    कॉग्निटिव व्यवहार थेरेपी आपको नकारात्मक ख्यालों और अस्वस्थ व्यवहार से छुटकारा दिलाने और सकारात्मक सोच और स्वस्थ व्यवहार अपनाने में मदद करती है। 
     
  • इंटरपर्सनल मनोचिकित्सा (Interpersonal Psychotherapy) -
    ये थेरेपी आपके आपसी-मतभेद दूर करने और दूसरों से बोल-चाल या करीबी संबंधों में आने वाली परेशानियां हल करने में मदद करती है। 
     
  • डायलेक्टिकल व्यव्हार थेरेपी (Dialectical Behavioural Therapy) -
    ये थेरेपी आपको अपना व्यव्हार सुधारने और तनाव दूर करने में मदद करती है। दूसरों से संबंध सुधारने और अपनी भावनाओं पर काबू रखने में भी ये थेरेपी मदद करती है। इस सब से आपका एक ही साथ बहुत सारा खाना खाने का मन नहीं करता।
     
  • परिवार की सहायता से इलाज करना -
    बुलिमिया से पीड़ित रोगी के परिवार को उसे सुधारने में मदद की जाती है। उन्हें सिखाया जाता है कि उसकी अस्वस्थ खाने की आदतों पर कैसे रोकथाम लगाई जाए। बुलिमया का असर रोगी और उसके परिवार पर कैसे पड़ता है इस बारे में भी उन्हें सिखाया जाता है। 

2. दवाइयाँ -

मनोचिकित्सा के साथ एंटीडिप्रेसेंट्स देने पर बुलिमिया के लक्षण कम होते हैं।

3. पौष्टिक भोजन के बारे में जानकरी हासिल करना - 

अगर बुलिमिया के कारण आपका वज़न कम हो गया है तो प्रथम चरण यही होगा के आपका वज़न आपके शरीर के हिसाब से वापस बढ़ाया जाए। डाइटिशन (पौष्टिक भोजन के बारे में बताने वाले डॉक्टर) और अन्य स्वास्थ्य संबंधित लोग आपकी मदद कर सकते हैं।  वो आपके लिए एक स्वस्थ भोजन करने का प्लान बना कर देंगें जिससे वापस आपको तंदरुस्त होने में मदद मिलेगी।  

4. अस्पताल में भर्ती होना -

बुलिमिया का इलाज अक्सर बिना अस्पताल जाए भी हो जाता है। अगर आपका बुलिमिया बढ़ चुका है तो आपको अस्पताल जाने की ज़रुरत पड़ सकती है। आपका इलाज एक दिन में भी पूरा हो सकता है। 

डॉक्टर की सहायता के साथ-साथ आपको अपना ध्यान स्वयं रखना भी बहुत ज़रूरी है। निम्नलिखित तरीके अपना कर आप बुलिमिया से मुक्ति पा सकते हैं:

  • अपने ट्रीटमेंट प्लान का पालन करें -
    कोई भी थेरेपी सेशन न छोड़ें और खाना न छोड़ें। हो सकता है कि ये आपको कुछ दिन तक अजीब लगे पर धीरे-धीरे आपको इसकी आदत पड़ जाएगी। 
     
  • पोषक तत्वों का सेवन करें -
    अपने डॉक्टर से बात करें और पता करें कि आपको किस पोषक तत्व की ज़रुरत है और उस हिसाब से अपना डाइट प्लान बनाएं। अगर आप ढंग से खाना नहीं खा रहे हैं और खाये हुए खाने की उल्टी कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना शुरू हो गयी है। 
      
  • बुलिमिया के बारे में जाने -
    जिस बीमारी से आप ग्रस्त हैं, उसके बारे में जानना बहुत ज़रूरी है। अपनी बीमारी से घबराएं नहीं और इसका डटके सामना करें। खुद को प्रेरित रखें और इलाज ढंग से करते रहें। 
     
  • अकेले न रहें -
    खुद को बाकियों से दूर न करें। अपने परिवार और दोस्तों के साथ रहे।  वो आपको  तंदरुस्त देखना  आपकी मदद करना चाहते हैं। उनकी सहायता आपके लिए आवश्यक है। 
     
  • व्यायाम करते समय ध्यान रखें -
    आप कौन से व्यायाम करते हैं इसका विशेष ध्यान रखें और अपने डॉक्टर से पूछें। बहुत ज़्यादा व्यायाम करना भी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। (और पढ़ें - फिट रहने के लिए एक्सरसाइज)
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

Dr. Sumit Kumar.

मनोचिकित्सा
9 वर्षों का अनुभव

Dr. Kirti Anurag

मनोचिकित्सा
8 वर्षों का अनुभव

Dr. Anubhav Bhushan Dua

मनोचिकित्सा
13 वर्षों का अनुभव

Dr. Sumit Shakya

मनोचिकित्सा
7 वर्षों का अनुभव

बुलिमिया नर्वोसा की दवा - OTC medicines for Bulimia Nervosa in Hindi

बुलिमिया नर्वोसा के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

OTC Medicine NamePack SizePrice (Rs.)
Fludac 20 Capsuleएक पत्ते में 15 कैप्सूल63.55
Prodep 10 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल31.64
Prodep 60 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल118.09
Flunil 60 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल111.888
Oleanz Plus Tabletएक पत्ते में 10 टैबलेट110.7
Flunil 40 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल68.9
Prodep 20 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल42.37
Flunil 10 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल35.15
Fostera 5 Tabletएक पत्ते में 10 टैबलेट114.0
Flunil 20 Capsuleएक पत्ते में 10 कैप्सूल42.37
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