फफोले - Blisters in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

June 21, 2018

September 22, 2021

फफोले
फफोले

फफोले क्या होते हैं?

फफोला तरल पदार्थ से भरा हुआ त्वचा का एक उभार होता है। यह बुलबुलों की तरह दिखते हैं जो तब उभरते हैं जब आपकी त्वचा की ऊपरी परत में तरल पदार्थ एकत्रित्त हो जाता है। फफोले, पस (मवाद), खून या खून में मौजूद एक स्पष्ट पदार्थ (सीरम) से भरे हुए हो सकते हैं। ज़्यादातर फफोले गोल आकार के होते हैं।

फफोले के सबसे आम कारण होते हैं रगड़ लगना, त्वचा का ठण्ड से जमना, त्वचा का जलना, संक्रमण और केमिकल (रसायन) से जलना। यह किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकते हैं। कारण के आधार पर, फफोले में खुजली हो सकती है या कम/ ज़्यादा दर्द भी हो सकता है।

(और पढ़ें - खुजली कम करने के उपाय)

आपको एक या एकसाथ कई फफोले हो सकते हैं। फफोले होने का एक महत्वपूर्ण लाभ भी है - यह त्वचा के अंदर के ऊतकों को नुक्सान होने से बचाते हैं। हालांकि, अगर फफोले संक्रमित लग रहे हों, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। यदि आपको शुगर या रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) से सम्बंधित समस्या है, तो फफोले का कोई घरेलू उपचार करने से पहले अपने चिकित्स्क की सलाह लें। त्वचा की अंदर की परतों में संक्रमण को रोकने के लिए फफोलों से छेड़खानी न करें।

(और पढ़ें - शुगर की आयुर्वेदिक इलाज)

उचित नाप का जूता पहनने और कुछ केमिकल (रसायन) के सम्पर्क में आने से बचने से फफोलों का बचाव हो सकता है। अगर इसमें अधिक दर्द नहीं है, तो कोशिश करें कि वह फटे नहीं। यदि फफोले के ऊपर की त्वचा कटी या फटी नहीं है, तो यह बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव करती है।  फफोले को ढकने के लिए पट्टी या बैंड-ऐड (Band-Aid) का प्रयोग करें।

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण)

फफोले के प्रकार - Types of Blisters in Hindi

फफोले के कितने प्रकार होते हैं?

फफोले के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं -

  • रगड़ से हुए फफोले (friction blisters: यह पानी या साफ तरल से भरे हुए होते हैं)
  • दबाव से हुए फफोले (blood blisters: यह खून के भरे हुए होते हैं)
  • जलने से हुए फफोले (heat blisters)

अन्य प्रकार के फफोलों को उनसे सम्बंधित समस्या के नाम से जाना जाता है, जैसे चिकन पॉक्स से सम्बंधित फफोले, शिंगल्स से सम्बंधित फफोले व एक्जिमा के फफोले।

(और पढ़ें - एक्जिमा के घरेलू उपाय)

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फफोले के लक्षण - Blisters Symptoms in Hindi

फफोले के क्या लक्षण होते हैं?

फफोले के लक्षण निम्नलिखित हैं -

  • खून के फफोले लाल या काले होते हैं और साफ़ तरल  पदार्थ की जगह खून से भरे होते हैं।
  • अगर फफोले संक्रमित हैं, तो वह लाल व गर्म हो सकते हैं और हरे या पीले रंग के पस से भरे हो सकते हैं।
  • कुछ फफोले दर्दनाक नहीं होते लेकिन कुछ अत्यधिक दर्दनाक भी हो सकते हैं। कभी-कभी आपके देखने से पहले ही फफोले फट जाते हैं जिससे आपको त्वचा की निचली सतह दिखती है जिसमें से कभी-कभी रक्तस्त्राव भी होता है।
  • फफोले के आसपास की त्वचा सामान्य या हल्की लाल व गहरे रंग की दिख सकती है।
  • फ़टे हुए फफोले अधिकतर संवेदनशील और दर्दनाक होते हैं।
  • मुंह व गले में फफोले होने से कुछ निगलने में दर्द हो सकता है।

(और पढ़ें - गले के संक्रमण के लिए उपचार)

यदि आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें -

  • फफोले में बहुत दर्द होना और बार-बार फफोले होना।
  • त्वचा का संक्रमित लगना, त्वचा का लाल व गर्म होना और फफोले का हरे या पीले रंग के पस से भरा होना। (और पढ़ें - स्किन इन्फेक्शन का इलाज)
  • फफोले का असामान्य जगह पर होना। जैसे - पलकों, मुंह या जननांगों (Genitals) पर। (और पढ़ें - जननांग दाद क्या है)
  • बिना किसी वजह के फफोले होना।
  • जलने, सनबर्न या एलर्जी के कारण फफोले होना।

फफोले के कारण - Blisters Causes in Hindi

फफोले क्यों होते हैं?

कई गतिविधियों और बीमारियों के कारण फफोले हो सकते हैं। इसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं -

1. रगड़ लगना

  • आमतौर पर बार-बार रगड़ लगने के कारण फफोले हो जाते हैं। जैसे - संगीत का कोई यंत्र बजाने से।
  • यह फफोले आमतौर पर हाथों और पैरों में होते हैं क्योंकि हाथों और पैरों पर ही अधिक रगड़ लगती है।
  • त्वचा की मोटी परत जैसे हथेली या पंजे की त्वचा पर फफोले होने का जोखिम अधिक होता है।
  • गर्मी की वजह से फफोले होने की सम्भावना अधिक होती है, जैसे जूते के अंदर।
  • नमी के कारण भी फफोले होने का जोखिम अधिक होता है।

2. तापमान

  • त्वचा के जलने के बाद फफोले हो जाते हैं। 
  • जलने की गंभीरता के अनुसार फफोले जल्दी या देर से बनते हैं। पहली-डिग्री के बर्न के बाद फफोले बनने में एक से दो दिन लग सकते हैं, जबकि दूसरे-डिग्री के बर्न के तुरंत बाद फफोले बन जाते हैं। (और पढ़ें - जलने का इलाज)
  • ठण्ड में त्वचा के जमने के कारण भी फफोले हो जाते हैं।
  • दोनों ही मामलों में, फफोले होना एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया होती है जिससे त्वचा की अंदर की परतें नुकसान से बच जाती हैं।

(और पढ़ें - जलने पर क्या करें)

3. केमिकल (रसायन)

किसी रसायन या धातु के संपर्क में आने से भी फफोले हो सकते हैं। इसे कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस (Contact dermatitis) कहते हैं। 
यह निम्नलिखित के संपर्क से हो सकता है -

  • कास्मेटिक
  • डिटर्जेंट
  • स्वाद देने वाले कृत्रिम पदार्थ
  • कीड़ों का काटना

(और पढ़ें - कॉस्मेटिक एलर्जी का उपचार)

4. नस फटना
अगर त्वचा की सतह के पास कोई छोटी नस फट जाती है, तो त्वचा की परतों के बीच में रक्तस्त्राव हो सकता है, जिससे खून के फफोले हो सकते हैं।

फफोले होने के जोखिम कारक क्या हैं ?

फफोले होने के निम्नलिखित जोखिम कारक होते हैं -

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)

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फफोले से बचाव - Prevention of Blisters in Hindi

फफोले होने से कैसे रोकें?

रगड़ से होने वाले फफोलों से बचने का सबसे मुख्य तरीका होता है रगड़ न लगने देना। यह निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है -

पैरों पर होने वाले फफोलों से बचाव

  • उचित नाप के व आरामदायक जूते पहनें और साफ मोज़े पहनें। उचित नाप के जूते न पहनने से व ऊँची एड़ी के जूते पहनने से फफोले होने का जोखिम अधिक हो जाता है। (और पढ़ें - हाई हील के नुकसान)
  • पैरों में नमी के कारण फफोले होने से रोकने के लिए ऐसे मोज़े पहनें जो नमी सोख सकें या बार-बार अपने मोज़े बदलें। (और पढ़ें - पैर की बदबू कैसे दूर करे)
  • व्यायाम करते समय और खेलते समय विषेश रूप से बनाए गए मोज़ों को पहनने से पंजों में आने वाले पसीने को कम किया जा सकता है।
  • लम्बी यात्राओं या चढ़ाई के दौरान नए जूते न पहनें।
  • पैरों में जूतों के कारण परेशानी होने वाली जगह पर बैंड-ऐड लगाने से फफोलों को रोका जा सकता है।

(और पढ़ें - पसीने रोकने के उपाय)

हाथों पर होने वाले फफोलों से बचाव

  • कोई भी ऐसा काम करते समय जिसमें हाथों में रगड़ लगती हो, दस्ताने पहनें। उदाहरण के तौर पर उपकरणों का प्रयोग करते समय या फिर ऐसे खेल खेलते समय जिनमें हाथ से बल्ला या रैकेट पकड़ने की आवश्यकता होती है।
  • जिमनास्टिक्स (Gymnastics), वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) या नाव चलाने (Rowing) जैसे कुछ खेलों के दौरान हाथों पर पट्टी या बैंड-ऐड लगाएं। (और पढ़ें - वेट लिफ्टिंग के लिए फायदे)
  • हाथों पर पाउडर लगाने से रगड़ कम हो सकती है। लेकिन पाउडर नमी सोख्ता है, इसीलिए यह लम्बे समय तक उपयोग नहीं किया जा सकता।

हालांकि फफोलों से दर्द होता है, परन्तु यह किसी चिकित्सा समस्या का संकेत नहीं देता। ऊपर दिए गए कुछ उपायों का उपयोग करने से फफोलों से बचा जा सकता है।

फफोले का परीक्षण - Diagnosis of Blisters in Hindi

फफोलों की जांच कैसे की जाती है?

यदि आपकी त्वचा पर बिना किसी वजह फफोले होते हैं, तो अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। 

  • डॉक्टर आपके स्वास्थ्य और ऐसी समस्याओं के बारे में पूछेंगे जो छोटे, द्रव से भरे छालों (vesicles) से सम्बंधित हों(और पढ़ें - मुंह के छाले का उपचार)
  • डॉक्टर फफोले होने की वजह का भी पता लगाने के लिए आपकी त्वचा का परीक्षण कर सकते हैं। (और पढ़ें - एंडोस्कोपी टेस्ट)
  • आपके डॉक्टर कुछ अन्य परीक्षणों की सलाह भी दे सकते हैं। जैसे - फफोले में से द्रव का एक नमूना लेना या त्वचा की बायोप्सी के लिए फफोले से त्वचा का एक नमूना लेना। इन नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जिससे निदान की पुष्टि होती है।

(और पढ़ें - स्टूल टेस्ट)

फफोले का इलाज - Blisters Treatment in Hindi

फफोले का उपचार क्या है?

ज़्यादातर फफोले बिना किसी चिकित्सा के ठीक हो जाते हैं। जैसे-जैसे फफोले के नीचे नई त्वचा आने लगती है, इसका तरल पदार्थ धीरे-धीरे खत्म हो जाता है और ऊपर की त्वचा अपने आप निकल जाती है।

  • फफोले को फोड़ने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि यह त्वचा को संक्रमण से बचाता है। अगर यह फफोले न हों तो बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - फंगल संक्रमण का उपाय)
  • फफोले को पट्टी या बैंड-ऐड से ढकने से इसमें अधिक घाव होने से रोका जा सकता है। (और पढ़ें - घाव ठीक करने के उपाय)
  • अगर फफोला अपने आप फट जाता है, तो ऊपर की त्वचा को न छीलें।

यदि फफोला बड़ा है और आपके न फोड़ने से भी यह खुद फट सकता है, तो आप इसे सावधानी से फोड़ सकते हैं। इसके लिए आपको एक ऐसे तरीके से फफोले में छोटे से छोटा छेद करना होता है जिससे संक्रमण न हो। फफोले के ऊपर की त्वचा को बचाने का प्रयास करें ताकि यह अंदर की त्वचा के लिए सुरक्षा प्रदान कर सके। इसके लिए -

  • सुई या पिन को स्टेरलाइज (Sterilize: संक्रमित रहित बनाना) करें।
  • फफोले के किनारे पर आराम से छेद करें।
  • फफोले को आराम से दबाएं और द्रव को निकालें।
  • फफोले पर एक एंटीसेप्टिक क्रीम और बैंड-ऐड लगाएं।
  • अगर बैंड-ऐड गीली या गन्दी हो गई है, तो उसे बदल लें।
  • फफोला फोड़ने के बाद इसके क्षेत्र को कम से कम  24 घंटों के लिए पानी से बचा कर रखें।

(और पढ़ें - घाव का इलाज)

अगर फफोला खुद फट गया है, तो -

  • इसे पानी और साबुन से धो लें।
  • इसके ऊपर की त्वचा को आराम से निचली त्वचा के साथ मिला दें। अगर यह त्वचा गन्दी है या इसमें पस है, तो इसे हटाना ही बेहतर होगा।
  • इसके ऊपर एंटीसेप्टिक क्रीम और पट्टी या बैंड-ऐड लगाएं।

जब फफोला ठीक हो रहा हो, तो संक्रमण के निम्नलिखित लक्षणों का ध्यान रखें -

  • दर्द बढ़ना
  • लाली का बढ़ना या फैलना
  • फफोले के ऊपर या आसपास पस बनना
  • सूजन और जलन
  • बुखार

(और पढ़ें - बुखार भगाने के उपाय)

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फफोले के जोखिम और जटिलताएं - Blisters Risks & Complications in Hindi

फफोलों से कौन सी अन्य परेशानियां हो सकती हैं?

ज़्यादातर मामलों में, फफोले अधिक हानिकारक नहीं होते हैं और बिना किसी इलाज के अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन इनसे आपको असुविधा और दर्द हो सकता है।

फफोलों से कुछ गभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे अल्सर और संक्रमण। हालांकि, ऐसा बहुत दुर्लभ मामलों में होता है।

(और पढ़ें - पेट के अल्सर के लक्षण)



संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Blisters
  2. National Health Service Inform [Internet]. UK; Blisters
  3. National Health Service [Internet]. UK; Overview
  4. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Epidermolysis bullosa
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Fever blister
  6. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Pompholyx eczema

फफोले की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Blisters in Hindi

फफोले के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।