नाभि में इन्फेक्शन किस कारण से होता है?
आपकी नाभि गहरी और नम होती है और मुख्य रूप से इसमें कई छोटी-छोटी दरारें होती हैं जिस कारण से इसे साफ करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए पसीना, साबुन, बैक्टीरिया और अन्य रोगाणु इसमें आसानी से जमा हो जाते हैं और नाभि के अंदर और आसपास की त्वचा को संक्रमित करने लगते हैं।
नाभि में द्रव पैदा करने वाले कारणों में संक्रमण, सर्जरी और सिस्ट (Cysts) आदि शामिल हैं।
नियमित रूप से छूना - नाभि को बार-बार छूने से भी इसमें इन्फेक्शन होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। क्योंकि हमेशा हाथ स्वच्छ नहीं होते और बार-बार नाभि छूने से नाभि में बैक्टीरिया या फंगस जमा करने का खतरा बढ़ जाता है। नाभि में नम व गर्म वातावरण होने के कारण सूक्ष्मजीव तेजी से विकसित हो सकते हैं और संक्रमण फैला सकते हैं।
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स्वच्छता में कमी - खराब स्वच्छता नाभि में इन्फेक्शन का मुख्य कारण है। रोजाना ना नहाने से सूक्ष्मजीव आसानी से नाभि में जमा होने लगते हैं जिससे नाभि में इन्फेक्शन होने लगता है। अशुद्ध पानी के साथ नहाना भी नाभि में इन्फेक्शन होने के जोखिम को बढ़ा देता है। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नहाते समय नाभि को साफ ना करना और नहाने के बाद नाभि के अंदर जमा साबुन व पानी को ना निकालना भी सूक्ष्मजीवों को बढ़ने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - personal hygiene ke upay)
बैक्टीरियल इन्फेक्शन - नाभि को कई प्रकार अलग-अलग प्रकार के बैक्टीरिया के लिए घर माना जाता है। यदि आप उस क्षेत्र को अच्छे से साफ नहीं करेंगे तो बैक्टीरिया नाभि में इन्फेक्शन पैदा कर देते हैं। बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण नाभि से हरे या पीले रंग का बदबूदार डिसचार्ज निकलने लगता है। इस स्थिति में सूजन और दर्द होने लगता है और नाभि के आस-पास पपड़ी बन जाती है। (और पढ़ें - बैक्टीरियल इन्फेक्शन क्या होता है)
यीस्ट इन्फेक्शन - कैंडिडिआसिस (Candidiasis) एक प्रकार का यीस्ट इन्फेक्शन होता है जो कैंडिडा (Candida) नाम के एक प्रकार के यीस्ट से पैदा होता है। यह एक ऐसा यीस्ट होता है जो शरीर के नम और गहरे हिस्सों (जहां धूप व हवा का संपर्क ना हो पाए) में विकसित होते हैं। ये त्वचा की सिलवटों (त्वचा पर त्वचा चढ़ी होना) में होते हैं जैसे ग्रोइन (ऊसन्धि) और आपकी बांहों के नीचे। यीस्ट आपकी नाभि में भी जमा हो सकते हैं, विशेष रूप से यदि आप अपनी नाभि को अच्छे से साफ ना करें तो। इससे नाभि में लाल और खुजलीदार चकत्ता बन जाता है और गाढ़ा सफेद डिस्चार्ज निकलने लगता है। (और पढ़ें - योनि में यीस्ट संक्रमण का इलाज)
डायबिटीज़ - जिन लोगों को डायबिटीज़ रोग होता है उनमें नाभि का इन्फेक्शन होने की और अधिक संभावनाएं होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यीस्ट शुगर को खाते हैं और डायबिटीज के कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।
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सर्जरी - यदि हाल ही में आपकी सर्जरी हुई है जैसे हर्निया की सर्जरी ऐसे में आपकी नाभि से पस बहने लग सकता है। यदि ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि यह एक गंभीर इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है जिसका उपचार करना आवश्यक है।
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उराचल सिस्ट (Urachal cyst) - जब आप अपनी मां के गर्भ में पल रहे होते हैं, तो आपका मूत्राश्य उराचस नाम की एक पतली सी नली के माध्यम से गर्भनाल से जुड़ा होता है। इस तरह से गर्भ में रहने के दौरान पेशाब को आपके शरीर से बाहर निकाला जाता है। उराचस नली आमतौर पर जन्म से पहले ही बंद हो जाती है, लेकिन कई बार यह पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती और थोड़ी बहुत खुली रह जाती है।
सिबेशियस सिस्ट (Sebaceous cyst) - यह एक प्रकार की गांठ होती है जो नाभि के साथ-साथ शरीर के अन्य कई हिस्सों में विकसित हो सकती है। यह एक तेल जारी करने वाली ग्रंथि से विकसित होती है इसे सिबेशियस ग्रंथि (Sebaceous glands) कहा जाता है। इसमें सिस्ट के मध्य में एक काले मुंह वाला मुंहासा होता है। यदि यह सिस्ट संक्रमित होती है तो इसमें से पीले रंग का गाढ़ा बदबूदार द्गव बहता है। सिस्ट में सूजन भी आ सकती है और उसका रंग लाल भी हो सकता है।
नाभि में इंफेक्शन का खतरा कब बढ़ जाता है?
कुछ निश्चित प्रकार के कारक भी हैं जो नाभि में इन्फेक्शन होने के जोखिम को बढ़ा देते हैं, इन जोखिम कारकों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
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