नाभि में इन्फेक्शन - Belly Button Infection in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

September 15, 2018

August 09, 2024

नाभि में इन्फेक्शन
नाभि में इन्फेक्शन

नाभि में इंफेक्शन क्या है?

हमारे शरीर में नाभि कई प्रकार के रोगाणुओं के विकसित होने के लिए एक अनुकूल जगह होती है। धूल, बैक्टीरिया, फंगस और अन्य कई प्रकार के रोगाणु नाभि के अंदर फंस जाते हैं और अपनी संख्या को बढ़ाने लग जाते हैं। इसके कारण संक्रमण फैल सकता है।

जिन लोगों की हाल ही में कोई पेट का ऑपरेशन हुआ है उनको नाभि में इन्फेक्शन होने के जोखिम अधिक होते हैं। कुछ ऐसी स्थितियां जो अक्सर शिशु व बच्चों को होती हैं जैसे थ्रश और एथलीट्स फुट आदि ये संक्रमण नाभि में फैल सकते हैं।

संक्रमण के चलते आपकी नाभि से सफेद, पीला, ब्राउन या खून जैसा द्रव निकल सकता है और इस द्रव से अजीब सी बदबू भी आ सकती है। डॉक्टर इस स्थिति की जांच आपके लक्षणों और शारीरिक परीक्षण के आधार पर करते हैं। नाभि में इन्फेक्शन और उसके कारण होने वाले नाभि के डिसचार्ज से बचने का सबसे बेहतर तरीका उसकी देखभाल करना ही होता है।

नाभि के संक्रमण के इलाज एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल क्रीम या कोर्टिकोस्टेरॉयड क्रीम आदि से किया जाता है। कुछ गंभीर मामलों में ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है।

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नाभि में इन्फेक्शन के लक्षण - Belly Button Infection Symptoms in Hindi

नाभि में इन्फेक्शन होने पर क्या लक्षण महसूस होने लगते हैं?

नाभि में संक्रमण होने पर लोगों को महसूस होने वाले कुछ सबसे आम लक्षण हैं:

  • नाभि में लगातार खुजली या झुनझुनी महसूस होना (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू नुस्खे)
  • नाभि से हल्के हरे, पीले या ब्राउन रंग का मवाद या पस निकलना
  • नाभि से व उस से निकलने वाले डिसचार्ज (मवाद या द्रव) से बदबू आना
  • नाभि से खून आना
  • नाभि व उसके आस-पास के क्षेत्र में दर्द, सूजन और लालिमा होना
  • त्वचा अत्यधिक गर्म होना
  • उल्टी आना और चक्कर आना (ये लक्षण सिर्फ गंभीर मामलों ही महसूस होते हैं)

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपकी नाभि से डिसचार्ज बह रहा है तो डॉक्टर को दिखा लें, क्योंकि यह एक संक्रमण का संकेत हो सकता है, विशेष रूप से यदि हाल ही में आपकी सर्जरी की गई हो। नाभि में संक्रमण के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

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नाभि में इन्फेक्शन के कारण और जोखिम - Belly Button Infection Causes & Risk in Hindi

नाभि में इन्फेक्शन किस कारण से होता है?

आपकी नाभि गहरी और नम होती है और मुख्य रूप से इसमें कई छोटी-छोटी दरारें होती हैं जिस कारण से इसे साफ करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए पसीना, साबुन, बैक्टीरिया और अन्य रोगाणु इसमें आसानी से जमा हो जाते हैं और नाभि के अंदर और आसपास की त्वचा को संक्रमित करने लगते हैं।

नाभि में द्रव पैदा करने वाले कारणों में संक्रमण, सर्जरी और सिस्ट (Cysts) आदि शामिल हैं।

नियमित रूप से छूना -  नाभि को बार-बार छूने से भी इसमें इन्फेक्शन होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। क्योंकि हमेशा हाथ स्वच्छ नहीं होते और बार-बार नाभि छूने से नाभि में बैक्टीरिया या फंगस जमा करने का खतरा बढ़ जाता है। नाभि में नम व गर्म वातावरण होने के कारण सूक्ष्मजीव तेजी से विकसित हो सकते हैं और संक्रमण फैला सकते हैं।

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स्वच्छता में कमी -  खराब स्वच्छता नाभि में इन्फेक्शन का मुख्य कारण है। रोजाना ना नहाने से सूक्ष्मजीव आसानी से नाभि में जमा होने लगते हैं जिससे नाभि में इन्फेक्शन होने लगता है। अशुद्ध पानी के साथ नहाना भी नाभि में इन्फेक्शन होने के जोखिम को बढ़ा देता है। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नहाते समय नाभि को साफ ना करना और नहाने के बाद नाभि के अंदर जमा साबुन व पानी को ना निकालना भी सूक्ष्मजीवों को बढ़ने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - personal hygiene ke upay)

बैक्टीरियल इन्फेक्शन -  नाभि को कई प्रकार अलग-अलग प्रकार के बैक्टीरिया के लिए घर माना जाता है। यदि आप उस क्षेत्र को अच्छे से साफ नहीं करेंगे तो बैक्टीरिया नाभि में इन्फेक्शन पैदा कर देते हैं। बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण नाभि से हरे या पीले रंग का बदबूदार डिसचार्ज निकलने लगता है। इस स्थिति में सूजन और दर्द होने लगता है और नाभि के आस-पास पपड़ी बन जाती है। (और पढ़ें - बैक्टीरियल इन्फेक्शन क्या होता है)

यीस्ट इन्फेक्शन -  कैंडिडिआसिस (Candidiasis) एक प्रकार का यीस्ट इन्फेक्शन होता है जो कैंडिडा (Candida) नाम के एक प्रकार के यीस्ट से पैदा होता है। यह एक ऐसा यीस्ट होता है जो शरीर के नम और गहरे हिस्सों (जहां धूप व हवा का संपर्क ना हो पाए) में विकसित होते हैं। ये त्वचा की सिलवटों (त्वचा पर त्वचा चढ़ी होना) में होते हैं जैसे ग्रोइन (ऊसन्धि) और आपकी बांहों के नीचे। यीस्ट आपकी नाभि में भी जमा हो सकते हैं, विशेष रूप से यदि आप अपनी नाभि को अच्छे से साफ ना करें तो। इससे नाभि में लाल और खुजलीदार चकत्ता बन जाता है और गाढ़ा सफेद डिस्चार्ज निकलने लगता है। (और पढ़ें - योनि में यीस्ट संक्रमण का इलाज)

डायबिटीज़ -  जिन लोगों को डायबिटीज़ रोग होता है उनमें नाभि का इन्फेक्शन होने की और अधिक संभावनाएं होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यीस्ट शुगर को खाते हैं और डायबिटीज के कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।

(और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए)

डायबिटीज को नियंत्रियत करने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे और डायबिटीज से होने वाली अन्य बीमारियों से बचे।

सर्जरी -  यदि हाल ही में आपकी सर्जरी हुई है जैसे हर्निया की सर्जरी ऐसे में आपकी नाभि से पस बहने लग सकता है। यदि ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि यह एक गंभीर इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है जिसका उपचार करना आवश्यक है।
(और पढ़ें - हर्निया का इलाज)

उराचल सिस्ट (Urachal cyst) -  जब आप अपनी मां के गर्भ में पल रहे होते हैं, तो आपका मूत्राश्य उराचस नाम की एक पतली सी नली के माध्यम से गर्भनाल से जुड़ा होता है। इस तरह से गर्भ में रहने के दौरान पेशाब को आपके शरीर से बाहर निकाला जाता है। उराचस नली आमतौर पर जन्म से पहले ही बंद हो जाती है, लेकिन कई बार यह पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती और थोड़ी बहुत खुली रह जाती है।

सिबेशियस सिस्ट (Sebaceous cyst) -  यह एक प्रकार की गांठ होती है जो नाभि के साथ-साथ शरीर के अन्य कई हिस्सों में विकसित हो सकती है। यह एक तेल जारी करने वाली ग्रंथि से विकसित होती है इसे सिबेशियस ग्रंथि (Sebaceous glands) कहा जाता है। इसमें सिस्ट के मध्य में एक काले मुंह वाला मुंहासा होता है। यदि यह सिस्ट संक्रमित होती है तो इसमें से पीले रंग का गाढ़ा बदबूदार द्गव बहता है। सिस्ट में सूजन भी आ सकती है और उसका रंग लाल भी हो सकता है।

नाभि में इंफेक्शन का खतरा कब बढ़ जाता है?

कुछ निश्चित प्रकार के कारक भी हैं जो नाभि में इन्फेक्शन होने के जोखिम को बढ़ा देते हैं, इन जोखिम कारकों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन के घरेलू नुस्खे)

नाभि में इन्फेक्शन से बचाव - Prevention of Belly Button Infection in Hindi

नाभि में इन्फेक्शन की रोकथाम कैसे करनी चाहिए?

नाभि को स्वस्थ और इन्फेक्शन से बचाकर रखने के लिए निम्न तरीकों का अपनाना चाहिए:

  • बहुत अधिक सार्वजनिक स्विमिंग पूल का उपयोग ना करें। (और पढ़ें - क्या पीरियड्स में स्विमिंग करना चाहिए)
  • अपनी नाभि को रोजाना एक हल्के एंटीबैक्टीरियल साबुन के साथ धोएं। नाभि के अंदर से किसी भी प्रकार की धूल या गंदगी को साफ करने के लिए खीसा (वॉशक्लोथ) या स्पंज का इस्तेमाल करें। नाभि को साफ करने के लिए नमक वाले पानी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। 
  • नहा लेने के बाद नाभि के अंदरुनी हिस्से को अच्छे से सूखा लेना चाहिए। 
  • अधिक टाइट (तंग) कपड़ों को ना पहनें, क्योंकि अधिक तंग कपड़े भी नाभि में परेशानी पैदा कर सकते हैं। इनकी बजाए ढीले और सुविधाजनक कपड़े पहने जो कपास व रेशम जैसे प्राकृतिक रेशों से बने हो। 
  • अधिक से अधिक फल और कच्ची खाई जाने वाली सब्जियों का सेवन करें। (और पढ़ें - फल खाने का सही समय)
  • क्रीम, मॉइश्चराइजर और अन्य ओवर द काउंटर एंटिसेप्टिक प्रोडक्ट्स को बिना डॉक्टर के पूछे नाभि के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि तेल व क्रीम नाभि के छिद्रों में जमा हो सकते हैं जिससे रोगाणुओं के विकसित होने के लिए अनुकूलित वातावरण तैयार होता है। 
  • जिन लोगों की हाल ही में पहले किसी प्रकार की पेट संबंधी सर्जरी हुई है उनको अपनी नाभि की देखभाल करनी चाहिए और संक्रमण के किसी भी प्रकार के संकेत व लक्षण के लिए उसपर नजर रखनी चाहिए।

(और पढ़ें - नहाने का सही तरीका)

नाभि में इन्फेक्शन का परीक्षण - Diagnosis of Belly Button Infection in Hindi

नाभि में इन्फेक्शन की जांच कैसे की जाती है?

स्थिति की जांच करने के लिए डॉक्टर नाभि का शारीरिक परीक्षण करेंगे। कारण की जांच करने के लिए नाभि के क्षेत्र को करीब से देखना ही काफी होता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट लिस्ट)

नाभि से निकलने वाले पस की जांच करने में शारीरिक परीक्षण शामिल होता है, इसमें डॉक्टर नाभि से निकलने वाले पस या उससे जुड़ी अन्य प्रकार की स्थितियों की जांच करते हैं। 

अन्य टेस्ट जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • संक्रमण के संकेतों का पता लगाने के लिए खून टेस्ट, खून के सैंपल से निम्न टेस्ट किये जाते हैं: 
  • पस कल्चर एंड सेन्सिविटी (नाभि से निकलने वाले डिसचार्ज का सेंपल लेना)
  • डॉक्टर सैंपल के रूप में मवाद या नाभि में से संक्रमित कोशिका का टुकड़ा निकालते हैं और उसको टेस्टिंग के लिए लैब भेज देते हैं। परीक्षण करने वाले डॉक्टर माइक्रोस्कोप की मदद से मवाद या कोशिका के सैंपल की जांच करते हैं और पता लगाते हैं कि आपको संक्रमण है या नहीं।

(और पढ़ें - घाव के लक्षण)

नाभि में इन्फेक्शन का इलाज - Belly Button Infection Treatment in Hindi

नाभि में इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है?

इसका इलाज नाभि से निकलने वाले डिसचार्ज के कारण के अनुसार निर्धारित किया जाता है:

इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए: नाभि की त्वचा को साफ और सूखी रखें। इन्फेक्शन को साफ करने के लिए एंटीफंगल क्रीम या पाउडर का इस्तेमाल करें। इस दौरान आपको शुगर (मीठे) वाले खाद्य पदार्थों को बहुत कम मात्रा में खाना चाहिए, क्योंकि नाभि में इन्फेक्शन पैदा करने वाले यीस्ट शुगर खाते हैं।
बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए डॉक्टर आपके लिए एंटीबैक्टीरियल क्रीम या मरहम लिखते हैं। यदि आपको डायबिटीज है तो अपने ब्लड शुगर को सामान्य लेवल पर रखने की कोशिश करें। (और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज)

उराचल सिस्ट का इलाज करने के लिए: सबसे पहले डॉक्टर एंटीबायोटिक्स की मदद से इन्फेक्शन का इलाज करते हैं। सिस्ट के अंदर के पस को बाहर निकालने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। संक्रमण ठीक हो जाने के बाद उपचार में  लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा सिस्ट को बाहर निकलना भी शामिल है। डॉक्टर इस सर्जरी को करने के लिए पेट में एक छोटा सा कट लगाते हैं। (और पढ़ें - पेनिस इन्फेक्शन का इलाज)

सिबेशियस सिस्ट का इलाज करने के लिए: सिस्ट की सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर सिस्ट में एक इंजेक्शन लगा सकते हैं या सिस्ट में एक छोटा चीरा देकर द्रव को बाहर निकाल सकते हैं। इसके अलावा सर्जरी या लेजर सर्जरी की मदद से पूरी सिस्ट को ही हटाना इस उपचार का दूसरा विकल्प होता है।

घरेलू उपचार

टी ट्री ऑयल: नाभि में इन्फेक्शन के इलाज के लिए टी ट्री ऑयल सबसे प्रचलित उपचारों में से एक है। टी ट्री ऑयल में नारियल का तेल मिलाकर भी उसे दिन में कई बार प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाता है।  (और पढ़ें - टी ट्री ऑयल के फायदे)

हल्दी पाउडर: अपने शक्तिशाली एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों हल्दी को जाना जाता है। हल्दी के पाउडर में थोड़ा सा पानी डालें और अच्छे से मिलाकर उसका लेप बना लें। इस लेप को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और सूखने दें। जब हल्दी का पाउडर पूरी तरह से सूख जाए तो उसे धीरे-धीरे साफ कर दें और सिस्ट को हल्के-हल्के चारों तरफ से दबाएं (और पढ़ें - हल्दी दूध बनाने की विधि)

नीम: और भी बेहतर रिजल्ट के लिए हल्दी के साथ नीम के पाउडर को भी मिलाया जा सकता है। (और पढ़ें - नीम के तेल के फायदे)

एलोवेरा: एलोवेरा के रस में दर्द हटाने वाले गुण होते हैं। इस फायदेमंद पौधे को हानिकारक बैक्टीरिया को मारने के लिए जाना जाता है। बेहतर परिणाम के लिए आपको एलोवेरा के ताजे रस का उपयोग करना चाहिए, जिसको सीधे पौधे से प्राप्त किया जाता है। पौधे से एक पत्ता तोड़ें उसको खोलें और उसके रस वाले हिस्से को संक्रमित त्वचा पर लगाएं। इसको कुछ मिनट तक लगाकर रखें और उसके बाद उसे साफ कर लें। एलोवेरा का रस त्वचा में सूजन व जलन जैसी स्थितियों को कम कर देता है और दर्द से लगभग तुरंत आराम प्रदान करता है। (और पढ़ें - सूजन दूर करने के उपाय)

नारियल का तेल: नारियल के तेल में एंटीफंगल और रोगाणुरोधी तत्व पाए जाते हैं। यह इन्फेक्शन का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को मार देते हैं और फंगी के विकसित होने की गति को धीमा कर देते हैं। इसके अलावा नारियल का तेल नाभि के संक्रमण से जुड़ी लालिमा, दर्द और त्वचा की गर्मी को भी कम करता है। (और पढ़ें - नारियल के फायदे)

नमक युक्त गर्म पानी: नाभि के संक्रमण का इलाज नमक वाले गर्म पानी के साथ भी किया जाता है। इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए गर्म पानी से मिलने वाली गर्मी की मदद से संक्रमित क्षेत्र में खून का बहाव में वृद्धि हो जाती है और नमक नाभि के अंदर की नमी को अवशोषित करता है, जिससे उपचार में मदद मिलती है। साथ ही यह एक कीटाणुनाशक के रूप में भी काम करता है। 

(और पढ़ें - गर्म पानी पीने के फायदे)

नाभि में इन्फेक्शन की जटिलताएं - Belly Button Infection Complications in Hindi

नाभि में इन्फेक्शन होने से क्या समस्याएं पैदा हो सकती हैं?

नाभि से यदि किसी प्रकार का डिसचार्ज बह रहा है तो उसकी जांच हमेशा डॉक्टर द्वारा ही करवानी चाहिए। किसी भी मामले में नाभि के डिसचार्ज की स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि उपचार नियमों का कितने अच्छे से पालन किया जा रहा है और कितने अच्छे से वह व्यक्ति अपनी नाभि की देखभाल कर रहा है। 

यदि स्वच्छता को अच्छी तरह से बनाकर रखा जाए और उपचार के नियमों का ठीक से पालन किया जाए तो नाभि का संक्रमण कुछ ही हफ्तों के भीतर बिना किसी प्रकार की जटिलता पैदा किए ठीक हो जाता है।

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संदर्भ

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