अपेंडिसाइटिस क्या है?
अपेंडिसाइटिस, शरीर में अपेंडिक्स नामक एक अंदरुनी अंग में होता है। अपेंडिक्स एक पतली और छोटी सी ट्यूब होती है जिसकी लंबाई लगभग 2 से 3 इंच तक होती है। बड़ी आंत में जहां पर मल बनता है वहां पर ये आंत से जुड़ी होती है। अपेंडिक्स में होने वाली एक दर्दभरी सूजन को अपेंडिसाइटिस के नाम से जाना जाता है।
अपेंडिसाइटिस के शुरुआत में आमतौर पर पेट के बीच के हिस्से में बार-बार दर्द होता है। कुछ ही घंटो में दर्द पेट के दाहिने निचले भाग की तरफ होने लगता है, जहां पर अपेंडिक्स स्थित होता है और दर्द गंभीर बन जाता है। इसका दर्द खासतौर पर चलने, खांसने या इस जगह को दबाने से और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है।
अपेंडिसाइटिस होने पर जी मिचलाना (मतली), भूख कम लगना, बुखार और लाल चेहरा होना जैसे लक्षण होते हैं।
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अपेंडिसाइटिस के दो प्रकार होते हैं - एक्यूट (Acute - तीव्र) और क्रोनिक (chronic – स्थायी)। एक्यूट अपेंडिसाइटिस बहुत जल्दी विकसित हो जाता है जिसमें कुछ घंटो से दिनों का समय लग जाता है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस में सूजन होती है जो काफी लंबे समय तक बनी रहती है।
अगर कोई अपेंडिसाइटस से ग्रस्त है, तो उसके पेट से अपेंडिक्स को जितना जल्दी हो सके सर्जरी करके निकाल देना चाहिए। अपेंडिक्स के ऑपरेशन को अपैंडेटोक्मी (appendectomy) के नाम से जाना जाता है। अगर किसी व्यक्ति को अपेंडिसाइटिस होने की संभावना है लेकिन उसका निदान करना संभव नहीं है, तो उसे सर्जरी की सलाह दी जाती है। ऐसी सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि अपेंडिक्स के फटने का जोखिम लेने से बेहतर है अपेंडिक्स को निकाल देना।
मानव शरीर में अपेंडिक्स कोई महत्वपूर्ण काम नहीं करता है और इसे निकाल देने से कोई दीर्घकालिक समस्या भी नहीं होती।