अपेंडिक्स एक छोटा सा अंग होता है, जो बड़ी आंत के एक छोटे से हिस्से से जुड़ा होता है, जिसे सीकम कहा जाता है। ये अंग पेट की निचली तरफ दाईं ओर स्थित होता है। अपेंडिक्स एक ऐसा अंग है, जिसका कोई काम नहीं होता।

अपेंडिसाइटिस या अपेंडिक्स में सूजन ज्यादातर इन्फेक्शन, पेट की चोट या अपेंडिक्स और आंत के जोड़ में रुकावट के कारण होती है। एक्यूट अपेंडिक्स होने पर अचानक नाभि के पास गंभीर दर्द होने लगता है, जो पेट की दाईं तरफ या निचली तरफ फैलता है। ये दर्द हिलने-डुलने से, खांसी, छींक और गहरी सांस लेने से बढ़ जाता है। ये दर्द समय के साथ बढ़ता जाता है।

अपेंडिक्स एक आपातकालीन स्थिति है, जिसकी जानलेवा जटिलताओं के कारण तुरंत डॉक्टर के पास जाना आवश्यक होता है। इसकी जटिलताएं हैं अपेंडिक्स फट जाना, अपेंडिक्स में पस भरना और गैंग्रीन। रिसर्च अध्ययनों में ये पाया गया है कि होम्योपैथिक दवाओं से अपेंडिक्स का इलाज किया जा सकता है और सर्जरी से बचा जा सकता है। होम्योपैथिक उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है, जिससे धीरे-धीरे अपेंडिक्स की सूजन कम होने लगती है।

अपेंडिक्स के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं हैं, ब्रायोनिया, रस टाक्सिकोडेन्ड्रन​, कोलोसिंथ, अर्निका मोंटाना, बेलाडोना, हेपर सल्फ, एपिस मेलिफिका, इग्नेशिया, साइलीशिया और फॉस्फोरस।

  1. अपेंडिक्स का होम्योपैथिक उपचार कैसे होता है - Homeopathy me appendix ka ilaj kaise hota hai
  2. अपेंडिक्स की होम्योपैथिक दवा - Appendix ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में अपेंडिक्स के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me appendicitis ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
  4. अपेंडिक्स के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Appendicitis ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
  5. अपेंडिक्स के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Appendix ke homeopathic ilaj se jude anya sujhav
अपेंडिक्स की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

होम्योपैथिक उपचार समानताओं पर आधारित होता है, जिसका मतलब है अगर किसी पदार्थ से एक स्वस्थ व्यक्ति में कुछ लक्षण उत्पन्न हो रहे हैं, तो बीमार व्यक्ति में वे लक्षण अनुभव होने पर उस पदार्थ की कुछ मात्रा दी जा सकती है। होम्योपैथिक दवाओं को न केवल रोग के लक्षण, बल्कि व्यक्ति को कोई अन्य बीमारी होने की संभावना के आधार पर भी चुना जाता है।

अपेंडिक्स के मामलों में, होम्योपैथिक दवाओं को मुख्य उपचार के साथ लेने से अपेंडिक्स की सूजन कम होती है, जिससे उसमें दर्द भी खत्म होता है। अगर होम्योपैथिक दवाओं को उचित खुराक में लिया जाए, तो इनसे क्रोनिक और एक्यूट मामलों में सर्जरी से बचा जा सकता है, खासकर अगर अपेंडिक्स की कोई जटिलताएं मौजूद नहीं हैं, जैसे पस भरना या गैंग्रीन।

(और पढ़ें - अपेंडिक्स का ऑपरेशन कैसे होता है)

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मुख्य उपचार के साथ इस्तेमाल करने के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं निम्नलिखित हैं:

  • ब्रायोनिया एल्बा (Bryonia Alba)
    सामान्य नाम: वाइल्ड हॉप्स (Wild hops)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए सबसे अच्छी है जिनका रंग सांवला है, घबराए हुए रहते हैं और आसानी से चिड़चिड़े हो जाते हैं। इन लोगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शारीर में सूखापन होता है। नीचे दिए लक्षण अनुभव करने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:
    • अपेंडिक्स के दौरान गंभीर चुभन वाला दर्द।
    • हल्का से हिलने-डुलने पर भी पेट दर्द बढ़ जाना, जैसे खांसने, छींकने या सांस लेने पर। (और पढ़ें - पेट में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
    • हिलने-डुलने का बिलकुल मन न करना।
    • पेट पर हाथ लगाने में दर्द होना। (और पढ़ें - पेट में गैस का इलाज)
    • अपेंडिक्स के दौरान गैस बनने के कारण पेट में खिंचाव रहना।
    • पेट की दाईं तरफ दर्द के साथ नस फड़कने की भावना होना।
    • अचानक अपेंडिक्स होने पर तेज पेट दर्द होना, जिससे रोगी झुकने पर मजबूर हो जाता है।
    • हल्के रंग का मल करने के बाद बेहतर महसूस होना।
    • पेट का दर्द, जो दबाव बनाने से बेहतर हो जाता है।
    • कब्ज के साथ कुछ मामलों में सख्त व सूखा मल आना। (और पढ़ें - कब्ज दूर करने के तरीके)

एक केस रिपोर्ट में ये पाया गया कि एक्यूट अपेंडिक्स के इलाज के लिए ब्रायोनिया एल्बा असरदार है और इससे सर्जरी करने की आवश्यकता भी खत्म हो गई। मुंबई के एक होम्योपैथिक डॉक्टर ने ब्रायोनिया एल्बा से एक्यूट अपेंडिक्स को ठीक करने की सूचना दी।

  • लाइकोपोडियम क्लेवेटम (Lycopodium Clavatum)
    सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों को सूट करती है जो बुद्धिमान तो हैं, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर हैं। जिन लोगों को पेट की समस्याएं होने की संभावना अधिक है और उन्हें बार-बार गैस होती है, उनके लिए ये दवा काफी असरदार है। नीचे लिखे लक्षण देखे जाने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:
    • अपेंडिक्स के क्षेत्र में कटने जैसा दर्द होना।
    • पेट की दाईं ओर दर्द होना, जो बाईं ओर फैलती है।
    • ठंड लगना और उल्टी आना। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)
    • पेट पर हाथ लगाने में दर्द।
    • अपेंडिक्स के साथ पेट में गैस के कारण पेट से आवाज़ें आना।
    • दर्द में गर्म पानी पीने की इच्छा होना। (और पढ़ें - गर्म पानी पीने के फायदे)
    • अपेंडिक्स के क्षेत्र में दर्द होना, जो कुछ गर्म लगाने से बेहतर हो जाता है।

कई अध्ययनों से बच्चों में एक्यूट अपेंडिक्स में लाइकोपोडियम क्लेवेटम का सकारात्मक प्रयोग सिद्ध हुआ है।

  • अर्निका मोंटाना (Arnica Montana)
    सामान्य नाम: लेपर्ड्स बेन (Leopard’s bane)
    लक्षण: पेट की चोट के कारण होने वाले अपेंडिक्स के इलाज के लिए ये दवा उपयोगी है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है:
    • पेट की दाईं तरफ तेज दर्द के साथ घाव में कटने की भावना होना। (और पढ़ें - घाव ठीक करने के उपाय)
    • हल्के से दबाव व छूने से दर्द बढ़ जाना।
    • अचानक अपेंडिक के अटैक के दौरान इसका क्षेत्र सख्त होना, उसमें सूजन होना और अत्यधिक दर्द होना।
    • पेट की दाईं तरफ दर्द होना, जो गैस पास करने से बेहतर हो जाता है।
    • पेट में गैस के कारण खिंचाव होने से बार-बार मल करने की आवश्यकता होना। (और पढ़ें - मांसपेशियों में खिंचाव के लक्षण)
    • सिर को नीचे की तरफ करके लेटने से दर्द कम हो जाना।

एक केस स्टडी में अपेंडिक्स की सूजन कम करने और सर्जरी से बचाने के लिए अर्निका का असर सिद्ध हुआ।

  • रस टाक्सिकोडेन्ड्रन​ (Rhus Toxicodendron)
    सामान्य नाम: पाइजन आइवी (Poison ivy)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए अच्छी है, जिन्हें अनुवांशिक रूप से हड्डियों और मांसपेशियों से संबंधित स्वप्रतिरक्षित समस्याएं होने की संभावना होती है। ये लोग गीला होने पर बीमार हो जाते हैं, खासकर अगर सीधे ताप के संपर्क में आए हों। क्रोनिक अपेंडिक्स और चोट, गिरने या ऐंठन के कारण होने वाले अपेंडिक्स के मामलों में ये दवा उपयोगी है। नीचे दिए लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जाता है:
    • पेट दर्द के कारण अत्यधिक बेचैनी के साथ एक जगह स्थिर रहने में दिक्कत।
    • चिंता होना। (और पढ़ें - बेचैनी कैसे दूर करे)
    • रोगी को ऐसा लगना जैसे उसे ज़हर दिया गया है और वह इसके कारण मरने वाला है।
    • लेटने और बैठने से दर्द बढ़ जाना।
    • हल्का हिलने-डुलने से, जैसे धीरे-धीरे चलने या किसी सख्त सतह पर लेटने से दर्द में आराम मिलना।
    • अचानक अपेंडिक्स होने के कारण ठंडी हवा के प्रति संवेदनशीलता।

जानवरों पर किए गए एक अध्ययन में रस टाक्सिकोडेन्ड्रन के सूजन घटाने के प्रभाव देखे गए। इसी कारण, सूजन और दर्द जैसे अपेंडिक्स के लक्षणों को कम करने में ये दवा असरदार हो सकती है।
आगे के अध्ययनों से ये पता चला कि इस दवा से प्रतिरक्षा प्रणाली का कार्य बेहतर होता है, जिससे अपेंडिक्स के मामले में सूजन कम होने में मदद मिलती है।

  • बेलाडोना (Belladonna)
    सामान्य नाम: डेडली नाइटशेड (Deadly nightshade)
    लक्षण: ये दवा उन मामलों में जायद अच्छे से काम करती है, जिनमें पहले की चोट के कारण लक्षण उत्पन्न होते हैं। ये दवा एक्यूट अपेंडिक्स में काम आती है, खासकर इन्फेक्शन के कारण। इस दवा को उपयोग करने के लिए निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं:
    • अपेंडिक्स के क्षेत्र में गंभीर जलन और दर्द।
    • पेट में ऐसा दर्द होना, जैसे किसी ने पंजे से पकड़ रखा हो।
    • पसलियों के एकदम नीचे मौजूद पेट की मांसपेशियों में संकुचन होना। अचानक अपेंडिक्स होने पर ये मांसपेशियां सख्त पैड की तरह महसूस होती हैं। (और पढ़ें - मांसपेशियों में ऐंठन के लिए घरेलू उपचार)
    • ऐसा महसूस होना, जैसे पेट में गैस बनने के कारण आंतें बाहर की तरफ धकेली जा रही हैं। (और पढ़ें - पेट में गैस बनने पर क्या खाना चाहिए)
    • अचानक होने वाले अपेंडिक्स में अत्यधिक चिंता होने के कारण खून का चेहरे की तरफ आ जाना, जिससे चेहरा लाल दिखने लगता है।
    • अपेंडिक्स में इन्फेक्शन के कारण तेज बुखार। (और पढ़ें - बुखार भगाने के घरेलू उपाय)
    • हल्का सा छूने से, हिलने-डुलने से, ठंडी हवा से या लेटने से दर्द बढ़ जाना।
    • झुकने पर दर्द कम होना।

लैब में किए गए परीक्षणों से ये पता चलता है कि बेलाडोना का शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव होता है। इसी कारण, इन्फेक्शन के कारण होने वाले अपेंडिक्स के लिए बेलाडोना मददगार हो सकती है। आगे किए गए अध्ययनों में ये भी सिद्ध हुआ है कि बेलाडोना में सूजन व दर्द कम करने की क्षमता होती है, जिसके कारण अपेंडिक्स के दर्द और सूजन के लिए ये एक बहुत अच्छी दवा है।

  • हेपर सल्फ (Hepar Sulph)
    सामान्य नाम: हेपर सल्फ्युरिस कैलकेरम (Hepar sulphuris calcareum)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों में बहुत अच्छे से काम करती है, जिनकी त्वचा अस्वस्थ है और उन्हें लसिका ग्रंथियों में सूजन होने की संभावना होती है। हेपर को इन्फेक्शन के कारण होने वाले अपेंडिक्स के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें पस बनने की समस्या होती है। ये दवा क्रोनिक अपेंडिक्स को ठीक करने के लिए अधिक असरदार है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा से आराम मिलता है:
    • अपेंडिक्स के क्षेत्र में चुभन वाला दर्द।
    • पेट में दर्द के साथ पेट फूलना और गैस बनने के कारण पेट में खिंचाव। (और पढ़ें - पेट फूल जाए तो क्या करें)
    • पेट की निचली दाईं तरफ लसिका ग्रंथियों की सूजन।
    • अपेंडिक्स में इन्फेक्शन के कारण पस बनना या पस जमना।
    • ठंडी रूखी हवा से, छूने से या दर्द वाली साइड से सोने के कारण दर्द बढ़ जाना।
    • प्रभावित क्षेत्र में सिकाई करने से दर्द में आराम मिलना।

होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:

क्या करें:

अचानक अपेंडिक्स का अटैक होने पर:

  • रोगी को वह चीज़ खाने-पीने दें, जो उसका मन करे।
  • रोगी को उसकी मनपसंद चीज़ खाने-पीने से न रोकें, तब भी नहीं अगर आपको लगता है कि इससे समस्या बढ़ जाएगी, क्योंकि समस्या को होम्योपैथिक दवाओं से ठीक कर दिया जाएगा।
  • व्यक्ति के कपड़े और कमरे का तापमान उसके आराम के अनुसार रखें।

क्या न करें:

होम्योपैथी से जुड़े कोई जोखिम कारक आजतक सामने नहीं आए हैं। हालांकि, दवाओं की ज्यादा खुराक लेने पर कभी-कभी कुछ अन्य प्रभाव देखे जाते हैं, जो समस्या से संबंधित नहीं होते। इसी कारण, अपने आप कोई भी दवा लेने की बजाय एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

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होम्योपैथी, अपेंडिक्स जैसी जल्दी बढ़ने वाली बीमारियों के लिए एक असरदार व सुरक्षित इलाज है। होम्योपैथिक दवाएं एक्यूट व क्रोनिक दोनों ही मामलों में सर्जरी से बचाव करती हैं।

इसके अलावा, होम्योपैथिक उपचार से बार-बार अपेंडिक्स अटैक और इसकी जटिलताओं से बचाव हो सकता है, जैसे अपेंडिक्स फटना, इसमें पस बनना, पेट की परत में संक्रमण, अपेंडिक्स में गैंग्रीन और लगातार सूजन के कारण आंत का चिपकना।

जिन मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती ही है, उनमें सर्जरी से पहले और बाद में होम्योपैथिक दवाएं देकर चिंता, दर्द, संक्रमण और सर्जरी के दौरान खून की कमी को ठीक किया जाता है।

Dr. Anmol Sharma

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संदर्भ

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