हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी अकेलापन जरूर महसूस करते हैं। अकेलापन जो अस्थायी होता है या कुछ समय बाद अपने आप गुजर जाता है वह कुछ परिस्थितियों में ऐसा होता है जिसे टाला नहीं जा सकता है, उदाहरण के लिए- जीवनसाथी या पार्टनर की मृत्यु के बाद। हालांकि, लंबे समय तक रहने वाला अकेलापन जिसका आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ने लगे उसे दूर करने के लिए कई बार चिकित्सीय मदद की जरूरत पड़ती है।
यह बात तो हम सभी जानते हैं कि जीवित रहने और बेहतर तरीके से पनपने के लिए हमें एक समुदाय में रहने की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से आज की इस अत्यधिक प्रसारित नेटवर्क वाली दुनिया में, सफलता पाने और बेहतर करने के लिए आपको दूसरों के साथ कनेक्शन बनाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस आधुनिक दुनिया की विडंबना यही है कि जैसे-जैसे दुनियाभर के लोग एक दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे अधिक से अधिक लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं।
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बहुत से लोगों का यही मानना है कि इस अकेलेपन के पीछे सोशल मीडिया की भूमिका है। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि 2004 से पहले कोई फेसबुक नहीं था, 2006 से पहले कोई ट्विटर नहीं था और अक्टूबर 2010 तक कोई इंस्टाग्राम भी नहीं था। इन सबसे पहले भी लोग अकेलापन महसूस करते थे। 1980 के दशक में, अमेरिका के कई मनोवैज्ञानिकों डैनियल रसेल, लेटेटिया ए, पेपलौ और कैरोलिन ई कटरोना ने मिलकर अकेलेपन को मापने के लिए एक पैमाना विकसित किया। इसके लिए 20 बहुविकल्प वाले प्रश्नों का जवाब देना था, जैसे "आपको कितनी बार ऐसा महसूस होता है कि आप अपने आसपास के लोगों के साथ सामंजस्य बिठा पाते हैं?" और "आपको कितनी बार ऐसा महसूस होता है कि आपके आसपास ऐसा कोई नहीं है जिसके पास आप अपनी समस्याएं लेकर जा सकते हैं?"
निस्संदेह, इनमें से प्रत्येक प्रश्न- अब भी अकेलेपन को मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं- जिसमें यही वाक्यांश शामिल होता है "आपको कैसा महसूस होता है"। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अकेलापन एक नकारात्मक भावना है जो इस धारणा से उत्पन्न होती है कि कोई व्यक्ति सिर्फ शारीरिक रूप से अकेला नहीं है बल्कि वास्तविकता में अकेला और अलग-थलग है। दोस्तों और परिवार से घिरे होने के बाद भी कुछ लोग अकेलापन महसूस कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों को इस बात के कई प्रमाण मिल रहे हैं जिससे पता चलता है कि अकेलेपन का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, शोध से पता चला है कि दीर्घकालिक अकेलापन, सूजन-जलन (इन्फ्लेमेशन) की समस्या को बढ़ा सकता है और संक्रमणों के प्रति हमारी इम्यून प्रतिक्रिया को कम कर सकता है। शोधकर्ताओं ने सामाजिक अलगाव (वास्तविक और कथित) को भी समय से पहले मृत्यु के उच्च जोखिम से जोड़ा है।
इस आर्टिकल में हम अकेलेपन के बारे में हो रही लेटेस्ट रिसर्च और अकेलापन का हमारी सेहत पर क्या असर होता है इस बारे में बता रहे हैं। ऐसे में यह जानने के लिए आगे पढ़ें कि आखिर अकेलापन क्या है, अकेलेपन के संकेत क्या-क्या होते हैं, यह हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है और अकेलेपन के बारे में हम क्या कर सकते हैं।