जटामांसी (Jatamansi) को नारडोस्टेयस जटामांसी, बालछड़, स्पाइक्नाड व अन्य नामों से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से हिमालय में पाई जाती है। इसमें अवसाद, तनाव और थकान को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं और इसको न्यूरोप्रोटेक्टिव जड़ी बूटी के रूप में आमतौर पर आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता है। मस्तिष्क या सिर से जुड़ी समस्याओं के लिए जटामांसी औषधि एक रामबाण इलाज है। ये पहाड़ों पर ही बर्फ में पैदा होती है। इसके रोयेंदार तने तथा जड़ ही दवा के रूप में उपयोग में आते हैं। आयुर्वेद की दृष्टि से जटामांसी कई औषधीय गुणों से भरपूर है, जो इम्यून सिस्टम, दिल, रक्तचाप आदि बीमारियों से बचाती है। यह दिल की धड़कन को संतुलित रखने में भी लाभकारी होती है।
जटामांसी की जड़ें इसका मुख्य औषधीय हिस्सा है। जटामांसी के पत्ते भी हर्बल और पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किए जाते हैं। दुर्गन्ध, शामक, रोगाणुरोधी और सूजन को कम करने वाले गुणों की वजह से इसको आवश्यक तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है। जटामांसी औषधीय जड़ी- बूटी का इस्तेमाल तीक्ष्ण गंध वाला परफ्यूम और दवा बनाने के लिए भी किया जाता है।