सर्दियों का मौसम आया नहीं कि एक मीठी डिश जो ज्यादातर उत्तर भारतीय घरों में जरूर बनायी जाती है वह है- गर्मा गर्म टेस्टी गाजर का हलवा। जी हां, गाजर तो आपने बहुत खायी होगी लेकिन क्या आपने कभी काली गाजर खायी है। अगर आपको इस बारे में जानकारी नहीं है तो आपको बता दें कि गाजर सिर्फ लाल या नारंगी रंग की ही नहीं बल्कि काली या पर्पल कलर की भी होती है। काली गाजर की खट्टी कांजी और काली गाजर का हलवा दोनों ही काफी टेस्टी माना जाता है।
काली गाजर जिसे देसी गाजर भी कहा जाता है विशेष रूप से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है और कई तरह के विशिष्ट स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती है। लाल, नारंगी, काली, बैंगनी सभी प्रकार की गाजर अत्यधिक पौष्टिक होती है लेकिन काली गाजर विशेष रूप से शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती है जो सूजन (इन्फ्लेमेशन) से लड़ने और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों में लाभ देने के लिए जानी जाती है। इस गाजर का काला या गहरा बैंगनी रंग, एंथोस्यानिन्स की उपस्थिति से आता है जो कि एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है और यह एंटीऑक्सिटेंड ब्लूबेरीज, ब्लैकबेरीज, और काले अंगूर में भी पाया जाता है।
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ऐसा माना जाता है कि गाजर की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी में हुई और पहले काली या बैंगनी रंग के गाजर का ही संस्करण पाया जाता था लेकिन बाद में म्यूटेशन के कारण इसका पिग्मेंट लॉस (वर्णक हानि) हुआ और यह नारंगी रंग के गाजर में विकसित हो गयी जिसे आज दुनियाभर में स्थानीय रूप से देखा जा सकता है। गाजर में बीटा कैरोटिन होता है जो हमारी आंखों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है यह तो हम सभी जानते हैं लेकिन इसके अलावा भी काली गाजर में कई और पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको काली गाजर में मौजूद न्यूट्रिएंट्स के बारे में बता रहे हैं और इसे खाने के क्या-क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं और इसे किस तरह से खा सकते हैं।