भारत में 1000 बच्चो में से 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होता है। इस विकार से चार लाख से अधिक भारतीय पीड़ित हैं और फिर भी चारों ओर इसकी जागरूकता बहुत कम है। सामान्य बच्चों की तुलना में, डाउंस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चो का मानसिक और शारीरिक विकास धीमा रहता है। डाउन सिंड्रोम एक अलग आकर के चेहरे, बौद्धिक विकलांगता (intellectual disability) और विकास में देरी (developmental delays) का कारण बनता है।
सबसे पहले इसके सामान्य लक्षणों को वर्गीकृत ब्रिटिश डॉक्टर जॉन लैंग्डन डाउनस ने किया था इसलिए इनके नाम पर इस विकार का नाम रखा गया। 21 मार्च को वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं डाउन सिंड्रोम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में -