आपको जानकर हैरान होगी कि गाय के मूत्र और गोबर में अनेक औषधीय तत्‍व मौजूद होते हैं। यहां तक कि गाय के दूध में गौ मूत्र, घी, दही और गोबर को मिलाकर पंचगव्‍य तैयार किया जाता है। आयुर्वेद में पंचगव्‍य को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। सुश्रुत संहिता के अनुसार गाय से प्राप्‍त सभी चीजों में से गौ मूत्र सेहत के लिए सबसे ज्‍यादा फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में गौ मूत्र को अमृत कहा गया है। नाइजीरिया और म्‍यांमार में भी दवाओं में गौ मूत्र का इस्‍तेमाल किया जाता है।

माना जाता है कि गर्भवती गाय का मूत्र बहुत ज्‍यादा स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक होता है क्‍योंकि इसमें कुछ विशेष प्रकार के हार्मोंस पाए जाते हैं। गौ मूत्र से लगभग 80 असाध्‍य रोगों और सेहत से संबंधित कई अन्‍य समस्‍याओं को ठीक किया जा सकता है। फर्श पर गौ मूत्र का पोंछा लगाने से बैक्‍टीरिया नष्‍ट होता है। कॉस्‍मेटिक खासतौर पर शैंपू और साबुन में भी गौ मूत्र का इस्‍तेमाल किया जाता है। 

  1. गोमूत्र के फायदे - Cow Urine Benefits in Hindi
  2. गोमूत्र के नुकसान - Cow Urine Side Effects in Hindi

गोमूत्र के फायदे कैंसर के लिए - Cow Urine for Cancer in Hindi

गोमूत्र का असर गले के कैंसर, आहार नली के कैंसर और पेट के कैंसर पर बहुत ही अच्छा है। शरीर में जब करक्यूमिन नाम के तत्व की कमी होती है, तभी शरीर में कैंसर का रोग होता है। गोमूत्र में यही करक्यूमिन भरपूर मात्रा में है और पीने के तुरन्त बाद पचने वाला है, जिससे कि यह तुरंत अपना असर करता है। भारत में हुए एक अध्ययन ने कैंसर रोगियों में गाय मूत्र के उपचार पर ध्यान केंद्रित किया है। ऐसा देखा गया कि जिन लोगों को गले, स्तन के कैंसर थे उनकी स्तिथि में 2-3 महीनों बाद गाय मूत्र का उपयोग करने पर सुधर आया था।

(और पढ़ें – कैंसर से लड़ने वाले आहार)

गोमुत्र के लाभ मोटापा कम करने के लिए - Cow Urine for Weight Loss in Hindi

गाय मूत्र में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, विटामिन ई, क्रिएटिनिन और ऐसे कई खनिज पाए जाते हैं जो वजन घटाने में मदद करते हैं। गाय मूत्र में पाचन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम भी पाए जाते हैं, जो वजन घटाने की प्रक्रिया में सहायता करते हैं। मोटापा कम करने के लिए एक गिलास पानी में चार बूंद गोमुत्र के साथ दो चम्‍मच शहद और 1 चम्‍मच नींबू का रस मिला कर रोजाना पीने से लाभ मिलता है। 

(और पढ़ें – वजन कम करने के लिए जूस)

क्या आप भी मोटापे से परेशान है लाख कोशिशों के बाद भी वजन काम नहीं कर पा रहे है तो आज ही myUpchar आयुर्वेद मेदारोध वेट लॉस जूस को इस्तेमाल करना शुरू करे और अपने वजन को नियंत्रित करे।

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गोमूत्र के फायदे तिल्ली रोग में - Cow Urine for Spleen in Hindi

गोमूत्र तिल्ली रोग के बढ़ने पर भी उपयोग में लाई जाने वाली औषधि है। 50 ग्राम गोमुत्र में नमक मिलाकर प्रतिदिन इसका सेवन करने से जल्दी लाभ मिलता है। इस रोग में रोग वाले स्थान पर गोमुत्र का सेक भी कर सकते हैं। इसके लिए एक साफ ईंट लेकर उसे थोड़ा गर्म कर लें और गोमुत्र से भिगोये हुए कपड़े में इसे लपेटकर रोग वाले स्थान पर हल्का-हल्का सेके। इससे प्लीहा घटने लगती है।

यदि जोड़ों में दर्द है, तो भी दर्द वाली जगह पर गोमुत्र की सिकाई करने से आराम मिलता है।

(और पढ़ें - जोड़ों में दर्द के घरेलू उपाय)

गोमूत्र के गुण त्वचा के लिए - Benefits of Gomutra for Skin in Hindi

ऐसा माना जाता है कि महिलाओं के लिए गाय मूत्र का उपयोग मुहांसों और बालों से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करता है। "साबुन, क्रीम और पाउडर जैसे सौंदर्य उत्पाद रसायनों से बने होते हैं, जो त्वचा से प्राकृतिक आकर्षण को दूर करते हैं। शरीर और चेहरे पर गाय मूत्र का उपयोग आपको प्राकृतिक चमक देगा। 

कई बार शरीर पर सफेद दाग या कुष्ठ हो जाता है। ऐसी स्थिति में, बावची/बाकुची को गोमूत्र में मिलाकर पीस लें और इससे सफेद दागों पर रात्रि के समय लगाएं और सुबह इस गोमुत्र से ही धोएं। ऐसा प्रतिदिन करने से कुछ दिनों में दाग बिल्कुल ठीक हो जाएँगे। अगर शरीर में अत्यधिक खुजली होती हो तो जीरा में गोमुत्र मिलाकर इसके लेप को शरीर पर लगाना चाहिए। इससे भी खाज-खुजली दूर होती है। गोमुत्र अन्य त्वचा की बीमारियों जैसे एक्जिमासोरायसिस आदि में भी फायदेमंद है। 

(और पढ़ें – सोरायसिस के घरेलू उपचार)

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गौमूत्र के फायदे गले के इलाज के लिए - Cow Urine for Sore Throat in Hindi

गाय मूत्र में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, ये उन हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ते हैं जिसके कारण गले में परेशानी होती है। गौमुत्र को गले में खराश के इलाज के लिए कुल्ला करने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुल्ला करने के लिए, गोमुत्र अर्क उपयोग करने की बजाए ताजा गौ मुत्र का प्रयोग करें। (गौमूत्र का अर्क गौमूत्र के डिस्टिलेशन से मिलता है।)
एक चम्मच गौ मुत्र लेकर हल्का सा गर्म करें। अब इसमें एक चम्मच शहद, एक चुटकी हल्दी पाउडर की अच्छी तरह मिलाएं। अब इस मिश्रण से 1-2 मिनट के लिए कुल्ला करें। 

(और पढ़ें – अंजीर खाने के फायदे गले के दर्द से राहत दिलाएं)

गोमूत्र का उपयोग करें पेट की समस्याओं में - Cow Urine for Stomach Problems in Hindi

गोमूत्र पेट की समस्याओं के लिए बहुत लाभदायक है। अगर पेट में गैस की शिकायत है, तो रोज़ सुबह खाली पेट गोमूत्र के साथ नींबू का रस और नमक मिलाकर पी सकते हैं। ऐसा करने के एक घंटे बाद ही नाश्ता किया जाना चाहिए। कब्ज रोगी को गोमूत्र दिन में थोड़ा-थोड़ा 3 से 4 बार लेना चाहिए। 

(और पढ़ें - कब्ज के लक्षण)

गाय मुत्र का उपयोग लिवर के स्वास्थ्य में - Cow Urine for Liver Problems in Hindi

गौमूत्र का उपयोग लिवर की सूजन को कम करने का एक काफी बेहतरीन तरीका है। गाय मुत्र रकतशोधक है। यह रक्त को शुद्ध करता है और शरीर में जब यह शुद्ध रक्त जाता है, बीमारियाँ दूर होती हैं। इस तरह लिवर स्वस्थ रहता है और शरीर की बामारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है।

(और पढ़ें- लिवर रोग)

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अन्य फायदे - Other Benefits of Cow Urine in Hindi

गाय मुत्र के अन्य फायदे -

  • अस्थमा, खाँसी या जुखाम जैसे रोगों में सीधे इसके इस्तेमाल से कफ दूर हो जाता है।
  • पेट फूलने की समस्या बच्चो और बड़े दोनों में ही हो सकती है, लेकिन गाय मुत्र के उपयोग की मात्रा आयु के अनुसार कम या अधिक की जाती है। बच्चो का पेट फूलने पर 1 चम्मच गोमूत्र थोड़ा सा नमक मिलाकर पिला देने से पेट सामान्य अवस्था में आ जाता है।
  • बवासीर में सिट्ज बाथ (sitz bath) के लिए गोमूत्र गुनगुना किया जाता है। 5-10 मिनट के लिए रोगी को गाय के मूत्र में सिट्ज़ स्नान (sitz bath) लेना होता है। गोमूत्र के कसैले गुण के कारण, यह बवासीर के दर्द और खुजली को कम कर देता है। (और पढ़ें – योग से बवासीर का इलाज)
  • यकृत रोग के अत्यधिक बढ़ जाने पर उदर रोग हो जाता है, तो पुनर्नवा के काढ़े में गोमूत्र मिलाकर लेने से इस रोग में लाभ मिलता है।
  • आँखो में जलन या शरीर में सुस्ती होने पर इसमें चीनी मिलाकर पीना चाहिए।
  • गुर्दो की बीमारी, पीलिया, मुँह के छाले तथा मूत्राशय संबंधित रोगो में इसका प्रयोग बहुत ही लाभप्रद होता है।
  • इन रोगों के अलावा और भी कई रोग ऐसे हैं जिनमें गाय मुत्र का प्रयोग स्वास्थ्य रक्षा के लिए किया जाता है।

गोमूत्र के नुकसान इस प्रकार हैं -

  • गौमूत्र को हमेशा निश्चित तापमान पर रखा जाना चाहिए।
  • गौमूत्र की मात्रा ऋतु पर निर्भर करती है। चूँकि इसकी प्रकृति कुछ गर्म होती है इसीलिए गर्मियों में इसकी मात्रा कम लेनी चाहिए।
  • 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को गौमूत्र अर्क वैद्य की सलाह के अनुसार ही दें।
  • मिट्टी, कांच या स्टील के बर्तन में ही गौमूत्र रखें।
  • जो लोग बहुत दुबले और कमजोर और थकान से पीड़ित रहते हैं उनको इसके उपयोग से बचना चाहिए। (और पढ़ें – थकान का घरेलू इलाज)
  • इसके अलावा जो पुरुष बांझपन और नींद की कमी से पीड़ित है, वो भी गौमूत्र का सेवन ना करें। (और पढ़ें – बांझपन का घरेलू इलाज)

उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें गौमूत्र है

संदर्भ

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  9. Madhav University [internet]. Rajasthan. India. Cow Urine: A Divine Medicine
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