जब कोई महिला अपने नवजात शिशु को अपनी बाहों में लेती है, उस समय उसे जो ख़ुशी मिलती है उसे बयान कर पाना बहुत मुश्किल है। माँ बनना कुदरत का एक आशीर्वाद है। जब आपका बच्चा आपके अंदर था, उस समय आपने हर छोटी से छोटी सावधानी बरती। पर जब वह इस दुनिया में आया उसके साथ-साथ आपके शरीर में भी बदलाव आए। गर्भावस्था के दौरान आपने अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए अपना वजन बढ़ाने के साथ-साथ बहुत कुछ किया। जब वह दुनिया में आया तो उसे पोषण देने के लिए आपने स्तनपान करवाना भी शुरू कर दिया।
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इस प्रसव अवधि को आयुर्वेद के अनुसर सूतक काल और प्रसव से पूर्व देखभाल को सूतीका परिचार्य के रूप में जाना जाता है। यह वह समय होता है जब मां को अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने और अपनी ताकत को हासिल करने की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद के अनुसार गर्भावस्था के बाद मां की स्थिति तेल से भरे बर्तन की तरह होती है। जैसे की तेल से भरा बर्तन स्थिर नहीं रहे तो तेल चारों तरफ फैल सकता है, उसी प्रकार अगर माँ की उचित देखभाल नहीं की जाए तो उसका स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि वह अपनी आहार, जीवनशैली और दैनिक दिनचर्या का ख्याल रखें, ताकि वह फिर से अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ सकें।
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आयुर्वेद द्वारा कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनको अपना कर प्रसव के बाद महिलाएं स्वस्थ जीवन जी सकती हैं और अपने स्वास्थ्य को फिर से अच्छा कर सकती हैं।
तो चलिए जानते हैं, प्रसव के बाद स्वस्थ जीवन जीने के सुझावों के बारे में -