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Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः याददाश्त खोना, नसों की कमजोरी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak के मुख्य घटक हैं ब्राह्मी, जटामांसी, काली मिर्च, शंखपुष्पी, वाचा जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
ब्राह्मी |
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मकोय | |
जटामांसी |
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काली मिर्च |
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शंखपुष्पी |
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वाचा |
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Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
अन्य लाभ
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) की खुराक अलग हो सकती है।
आयु वर्ग | खुराक |
व्यस्क |
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बुजुर्ग |
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चिकित्सा साहित्य में Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak से प्रेग्नेंट महिला के शरीर पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ऐसा आपके साथ भी हो तो आप दवा ना लें और आपने डॉक्टर से पूछने के बाद ही इसको फिर से शरू करें।
क्या Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं वो Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak के विपरीत प्रभाव महसूस कर सकती है। आप ऐसा अनुभव करती है, तो दवा का सेवन तुरंत बंद करें और डॉक्टर के कहने पर ही इसको दोबारा लेना शुरू करेंं।
Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) का पेट पर क्या असर होता है?
Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak को पेट के लिए सुरक्षित माना जाता है।
क्या Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
रिसर्च न होने की वजह से पूरी जानकारी के आभाव में Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak से दुष्प्रभाव के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। डॉक्टरी सलाह के बाद ही इसको लेना लाभकर होगा।
क्या Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
आप वाहन चला सकते हैं या कोई भारी मशीन से जुड़ा काम कर सकते हैं। क्योंकि Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak लेने के बाद क्योंकि आपको नींद नहीं आएगी।
क्या Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak (20) का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, लेकिन फिर भी आप Baidyanath Brahmi Bati Buddhivardhak को लेने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. Volume- II. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 25-27
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 67-68
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 3. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2001: Page No - 115 - 117
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 155 - 157
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 177 - 179
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 70-73