व्हाइट फंगस - White Fungus in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

February 25, 2022

December 20, 2023

व्हाइट फंगस
व्हाइट फंगस

दुनियाभर के लोग पिछले दो वर्ष से कोरोना से परेशान हैं. इसी बीच व्हाइट फंगस के मरीज भी तेजी से बढ़ने लगे हैं. व्हाइट फंगस को एस्परगिलोसिस के नाम से भी जाना जाता है. यह फंगस एस्परगिलस नामक फंगस के कारण होता है.

एक्सपर्ट्स व्हाइट फंगस को ब्लैक फंगस से भी अधिक घातक मान रहे हैं, क्‍योंकि यह व्यक्ति के मस्तिष्‍क और फेफड़ों को प्रभावित करता है. यह फेफड़ों और ब्रेन से लेकर शरीर के हर अंग पर असर डाल सकता है.

व्हाइट फंगस जीभ को सफेद बना सकता है. व्हाइट फंगस में लक्षणों का इलाज होता है, जैसे एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं. कुछ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है.

आज इस लेख में जानेंगे कि व्हाइट फंगस क्या होता है, क्या है इसके कारण, लक्षण और उपचार -

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का होम्योपैथिक इलाज)

व्हाइट फंगस के लक्षण - White Fungus Symptoms in Hindi

सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, व्हाइट फंगस घर के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर पाया जा सकता है. एस्परगिलोसिस संक्रमण से होने वाली बीमारियां आमतौर पर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है, लेकिन इनके लक्षण और गंभीरता भिन्न होती है. कमजोर इम्यून सिस्टम या फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों को यह होने का खतरा ज्यादा रहता है.

डॉक्टर्स की माने तो व्हाइट फंगस इसलिए घातक है, क्योंकि इससे पीड़ित मरीज के ऑर्गन फेल हो जाते हैं, जिस कारण उसकी मौत भी हो सकती है. डॉक्टर्स के मुताबिक, व्हाइट फंगस जीभ या प्राइवेट पार्ट से शुरू होता है. यह जीभ को सफेद बना सकता है और फिर मस्तिष्क, फेफड़े व भोजन नली जैसे शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. ऐसे में कुछ लक्षणों की पहचान कर इस रोग का पता लगाया जा सकता है. आइए, जानते हैं व्हाइट फंगस के कुछ लक्षणों के बारे में -

एलर्जिक रिएक्शन

अस्थमा या सिस्टिक फाइब्रोसिस के रोगियों में एस्परगिलोसिस फंगस एलर्जी का कारण बन सकता है. इस विकार को एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी एस्परगिलोसिस के रूप में भी जाना जाता है. इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं -

एस्परगिलोमा

वातस्फीति, ट्यूबरक्लोसिस या एडवांस सारकॉइडोसिस जैसे फेफड़े के पुराने रोगों के परिणामस्वरूप फेफड़ों में गैप बढ़ सकता है. जब इस समस्या से ग्रस्त मरीज को एस्परगिलस संक्रमण भी हो जाता है, तो फंगस फाइबर उस गैप में जा सकते हैं और फंगस बॉल में विकसित हो सकते हैं, जिसे एस्परगिलोमा कहा जाता है.

एस्परगिलोमा होने पर हल्की खांसी के अलावा और कोई खास लक्षण नजर नहीं आता. अगर इसका समय रहते उपचार न हो, तो एस्परगिलोमा फेफड़ों के पुराने विकारों को प्रभावित कर सकता है और निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं -

इंवेसिव एस्परगिलोसिस

इस तरह का एस्परगिलोसिस सबसे गंभीर होता है. यह तब होता है, जब कोई संक्रमण फेफड़ों से लेकर मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे या त्वचा में तेजी से फैलता है. इंवेसिव एस्परगिलोसिस सिर्फ उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कीमोथेरेपी, बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन या इम्यून सिस्टम के किसी रोग की वजह से कमजोर हो गई है. अगर इसे बिना इलाज के छोड़ दिया जाए, तो इस प्रकार का एस्परगिलोसिस घातक हो सकता है. इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन-सा अंग प्रभावित हुआ है. सामान्य तौर पर इंवेसिव एस्परगिलोसिस के चलते निम्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं -

अन्य प्रकार के एस्परगिलोसिस

फेफड़ों के अलावा, एस्परगिलस शरीर के अन्य हिस्सों को भी संक्रमित कर सकता है, जैसे कि साइनस. साइनस में फंगस के चलते नाक भरी हुई लगती है, जिसे साफ करने खून भी निकल सकता है. इसके अलावा, बुखार, सिर व चेहरे में दर्द भी महसूस हो सकता है.

व्हाइट फंगस के कारण - White Fungus Causes in Hindi

इस वायरस के फैलने का मुख्य कारण अज्ञात है, लेकिन शोधकर्ता इस पर रिसर्च कर रहे हैं. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि रोगी को दिए जाने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़े ह्यूमिडिफायर में इस्तेमाल होने वाले नल के पानी में यह संक्रमण पाया जा सकता है.

आमतौर पर ये फंगस मिट्टी, पत्तियों, अनाज की फसलों, खाद के ढेर, भंडारित अनाज, दूषित पानी और खराब हो रही वनस्पति आदि में पाया जाता है.

यह संक्रमण उन लोगों में अधिक होता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इसके अलावा, डायबिटीज, एड्स के मरीज और किडनी ट्रांसप्लांट के मरीज भी तेजी से इसका शिकार हो सकते हैं.

डायबिटीज में नए दृष्टिकोण: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और  myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट के साथ सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं।और स्वस्थ रहें।सुरक्षित रहे।
 

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज)

व्हाइट फंगस जब शरीर के अंदर जाता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं उन्हें घेर लेती हैं और उन्हें नष्ट कर देती हैं. वहीं, जिन लोगों की किसी बीमारी के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनमें संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाएं कम होती हैं. ऐसे लोगों में व्हाइट फंगस उनके फेफड़ों पर आसानी से हमला कर सकता है और सबसे गंभीर मामलों में शरीर के अन्य हिस्सों पर भी कब्जा कर सकता है.

व्हाइट फंगस का इलाज - White Fungus Treatment in Hindi

एक्सपर्ट्स का मानना है कि व्हाइट फंगस का इलाज किसी अच्छे स्किन स्पेशलिस्ट से दिखाकर किया जा सकता है. वैसे तो व्हाइट फंगस के ज्यादा केस सुनने को नहीं मिले हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लेहर के दौरान यह तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा था. इसे व्हाइट फंगस इसलिए कहते हैं, क्योंकि जब इसका टेस्ट होता है, तो इसमें व्हाइट कलर का ग्रोथ दिखाई देता है. यही कारण है कि इसका नाम व्हाइट फंगस पड़ा. व्हाइट फंगस का उपचार रोग के प्रकार के आधार पर होता है. जैसे दवा या सर्जरी. आइए, जानते हैं कि व्हाइट फंगस का उपचार किस तरह से किया जाता है -

मॉनिटर

अगर एस्परगिलोमा छोटा या हल्का होता है, तो हमेशा उपचार की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसी स्थिति में दवाएं प्रभावी होती हैं. साथ ही अगर एस्परगिलोमा में किसी भी तरह का लक्षण नजर न आए, तो छाती के एक्स-रे की मदद से इसे जांचा जा सकता है. अगर स्थिति ज्यादा खराब होती है, तो एंटी-फंगल दवाओं की सिफारिश की जा सकती है.

(और पढ़ें - फंगल संक्रमण के घरेलू उपाय)

ओरल कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स

एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी एस्परगिलोसिस के उपचार का उद्देश्य अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस को बिगड़ने से रोकना है. इसके लिए ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स लेना सबसे प्रभावी तरीका है. एंटीफंगल दवाएं एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी एस्परगिलोसिस के लिए प्रभावी नहीं होते हैं, लेकिन स्टेरॉयड का डोज कम करने और फेफड़ों के कार्य में सुधार के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ में उनका उपयोग किया जा सकता है.

एंटीफंगल दवाएं

इन दवाओं की मदद से इंवेसिव पल्मोनरी एस्परगिलोसिस का इलाज किया जाता है. सबसे प्रभावी उपचार वोरिकोनाजोले नामक एंटीफंगल दवा है. इसके अलावा, एम्फोटेरिसिन बी भी दी जा सकती है. सभी एंटीफंगल दवाओं के कुछ गंभीर साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिनमें किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचना भी शामिल है.

सर्जरी

जब एस्परगिलोमा फेफड़ों में रक्तस्राव का कारण बनता है, तो फंगल मास को हटाने के लिए उपचार के तौर पर सर्जरी पहली पसंद होती है.

एम्बोलाइजेशन

यह प्रक्रिया एस्परगिलोमा के कारण फेफड़ों से होने वाले रक्तस्राव को रोकती है. इसके अंतर्गत रेडियोलॉजिस्ट केमिकल को लंग कैविटी में आर्टरी में इंजेक्ट करने के लिए एक कैथेटर का उपयोग करते हैं, जहां एस्परगिलोमा के कारण ब्लड लॉस का कारण बन रहा है. इंजेक्शन के बाद उस क्षेत्र में ब्लड का निकलना बंद हो जाता है और ब्लीडिंग रुक जाती है. यह उपचार अस्थायी रूप से काम करता है, लेकिन रक्तस्राव फिर से शुरू होने की आशंका रहती है.

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन में क्या खाएं)

सारांश – Summary

व्हाइट फंगस शरीर के कई हिस्सों में फैल सकता है और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. व्हाइट फंगस या अन्य संक्रमण हमारे चारों ओर पर्यावरण में है. यह फंगस मुख्य रूप से जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन लोगों को प्रभावित करता है. ऐसे में इससे बचने के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना आवश्यक है. साथ ही स्थिति खराब होने पर डॉक्टर से चेकअप करवाना बेहतर विकल्प होता है.

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन के लिए योग)