वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया क्या है?
वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया (Ventricular tachycardia) में हृदय की गति बहुत तेज हो जाती है, यह समस्या हृदय के वेंट्रिकल (ventricles) नामक भाग से शुरू होती है। वेंट्रिकल हृदय के दो निचले कक्ष होते हैं। यह रक्त को हृदय के शीर्ष कक्षों से भरते हैं, और शरीर के शेष हिस्सो को भेजते हैं। वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया में तीन बार हृदय अनियमित रूप और प्रति मिनट 100 से अधिक बार धड़कता है। यह हृदय के विद्युत तंत्र में खराबी के कारण होता है।
यह विद्युत आवेग हृदय की धड़कनों को नियंत्रित करते हैं, जो हृदय के दबाव और लय का निर्धारण करते हैं। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है और विद्युत संकेतों को बहुत तेजी से भेजा जाता है, तो वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया हो सकता है। तेज धड़कने हृदय के संकुचन से बाद वेंट्रिकल को रक्त भरने तक का समय नहीं देती है। नतीजतन, हृदय शरीर के बाकी हिस्सों में पर्याप्त रक्त पंप करने में सक्षम नहीं हो पाता है।
वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया केवल कुछ सेकंड के लिए या बहुत अधिक समय तक भी हो सकता है। यह हमेशा लक्षणों पर ही निर्भर नहीं करता, लेकिन हल्कापन महसूस होना, चक्कर आना, और बेहोशी इसके लक्षणों में शामिल किए जा सकते हैं। यह स्थिति सबसे अधिक हृदय विकार जैसे-कोरोनरी धमनी बीमारी (coronary artery disease) और कार्डियोमायोपैथी (cardiomyopathy) से पीड़ित लोगों को प्रभावित करती है।
वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया अंततः वेंट्रीकुलर तंतुरचना को बताती है, जिसमें तेज और असामान्य हृदय लय की समस्या होती है। इस स्थिति में दिल की धड़कन इतनी तेज और अनियमित हो जाती हैं कि इससे हृदय को काम करना बंद हो जाता है। इस जटिलता को रोकने के लिए वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया का तत्काल उपचार किया जाना चाहिए।