वैन्कोमाइसिन रेसिस्टेंट एंटेरोकोक्सी (वीआरई) क्या है?
सभी व्यक्तियों में एक निश्चित बैक्टीरिया होता है, जिसे एंटेरोकोक्सी कहा जाता है। यह आंतों और जननांग पथ में पाया जाता है। हालांकि, ये वातावरण में भी पाए जाते हैं।
ज्यादातर मामलों में इनसे कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन कभी-कभी संक्रमण हो सकता है। जब बैक्टीरिया की वजह से संक्रमण होता है, तो ऐसे में हाई डोज एंटीबायोटिक (वैनकोमाइसिन) के साथ ट्रीटमेंट किया जाता है।
कभी-कभी यह बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के असर को रोकती हैं, यानी दवाइयों का इन पर असर नहीं होता और यह जीवित रहते हैं। इस स्थिति को वैन्कोमाइसिन रेसिस्टेंट एंटेरोकोक्सी यानी वीआरई कहते हैं। यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि सामान्य संक्रमण की तुलना में इसका इलाज मुश्किल हो सकता है।
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वैन्कोमाइसिन रेसिस्टेंट एंटेरोकोक्सी के संकेत और लक्षण क्या हैं?
वीआरई के कई लक्षण हो सकते हैं। यह अन्य संक्रमणों की वजह से भी ट्रिगर हो सकता है जैसे मूत्र पथ का संक्रमण, रक्तप्रवाह में संक्रमण और घाव का संक्रमण।
संक्रमित होने के बाद और लक्षण दिखाई देने से पहले के समय में भिन्नताएं हो सकती हैं।
डॉक्टर प्रभावित हिस्से से नमूना लेंगे और इसे एक प्रयोगशाला में भेजेंगे। यदि नमूने की जांच पॉजिटिव आती है तो इसका मतलब है कि आप वीआरई से ग्रस्त हैं।
वैन्कोमाइसिन रेसिस्टेंट एंटेरोकोक्सी के प्रसार को कैसे रोका जा सकता है?
ये सुपरबग्स वातावरण में कुछ समय के लिए ठोस सतहों पर भी रह सकते हैं। इसलिए काउंटर, बाथरूम और अपने घर के अन्य हिस्सों में साफ सफाई बनाए रखें।
बाथरूम का उपयोग और खाना बनाने से पहले हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं, खासकर यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं जो वीआरई से ग्रसित है।
अगर आप संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं तो ऐसे में दस्ताने जरूर पहनें और दस्ताने उतारने के बाद हाथ धोएं। यहां तक कि आपको उन चीजों को भी दस्ताने पहनकर छूने की जरूरत है, जिसे संक्रमित व्यक्ति ने छुआ हो।
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वैन्कोमाइसिन रेसिस्टेंट एंटेरोकोक्सी का इलाज कैसे किया जाता है?
जब वीआरई संक्रमण विकसित होता है, तो आमतौर पर इसका वैन्कोमाइसिन के अलावा एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है। एक विशिष्ट संक्रमण का इलाज करने के लिए सबसे अच्छे एंटीबायोटिक का पता लगाने की जरूरत होती है। इसके लिए डॉक्टर लैब में नमूने (जिसे अक्सर कल्चर कहते हैं) को भेजते हैं और ऐसे बैक्टीरिया की जांच करते हैं, जिस पर एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है। इससे यह पता चलने में मदद मिलती है कि रोगाणुओं के खिलाफ कौन-सा उपचार प्रभावी है और कौन सा नहीं।
कुछ लोगों में वीआरई के लक्षण नहीं होते, जबकि वे इस बैक्टीरिया के वाहक हो सकते हैं, ऐसे लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है।