वैलिनीमिया क्या है?
वैलिनीमिया एक बहुत ही दुर्लभ चयापचयी विकार है, जिसमें शरीर में वेलिन नामक एमिनो एसिड का स्तर बढ़ जाता है। ये विकार अनुवांशिक है, जो अमीनो एसिड के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) में खराबी के कारण होता है। वैलिनीमिया को “हायपरवैलिनीमिया” (Hypervalinemia) भी कहा जाता है। इसके कारण खून और मूत्र में वेलिन का स्तर बढ़ जाता है।
वैलिनीमिया के लक्षण क्या हैं?
वैलिनीमिया के कारण व्यक्ति को कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे भूख न लगना, मानसिक व शारीरिक विकास में देरी, बार-बार उल्टी आना, अतिसक्रियता, मांसपेशियां ढीली होना और नस चढ़ना।
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वैलिनीमिया क्यों होता है?
वैलिनीमिया एक अनुवांशिक विकार है जो बच्चे को माता-पिता से खराब जीन मिलने के कारण होता है। ये ऐसे एंजाइम की कमी के कारण होता है जो वेलिन का चयापचय करता है, इसीलिए इसके कारण वेलिन का स्तर बढ़ने लगता है। अगर बच्चे को माता-पिता में से किसी एक से खराब जीन मिलता है और दूसरे से सही, तो बच्चे को ये बीमारी होगी लेकिन कोई लक्षण नहीं होंगे। इसके अलावा अगर बच्चे को माता-पिता दोनों से ही खराब जीन मिलती है, तो उसे वैलिनीमिया के लक्षण होने की 25 प्रतिशत संभावना होती है। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं लग पाया है कि ये समस्या किस जीन के कारण होती है।
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वैलिनीमिया का इलाज कैसे होता है?
वैलिनीमिया का पता लगाने के लिए व्यक्ति का ब्लड टेस्ट व यूरिन टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा भ्रूण में वैलिनीमिया की जांच करने के लिए मां के प्लेसेंटा की बायोप्सी की जाती है। चूंकि वैलिनीमिया के मामले बहुत कम होते हैं, इसीलिए इसके इलाज के लिए ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि अगर नवजात शिशु को कम वेलिन वाला खाना खिलाया जाए, तो उसके लक्षण सुधर सकते हैं और खून में वेलिन का स्तर सामान्य हो सकता है। इसके लिए बहुत अधिक प्रोटीन वाले खाद्य या पेय पदार्थ के सेवन से परहेज करना जरुरी है, जैसे दूध, चीज, मीट, अंडे और पीनट बटर आदि। इसके अलावा वैलिनीमिया से ग्रस्त बच्चे और उसके माता-पिता की काउंसलिंग भी की जा सकती है।
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