ऑब्स्ट्रक्टिव यूरोपैथी का इलाज उसके कारण के अनुसार किया जाता है। मरीज के लक्षणों और परीक्षण के परिणाम के अनुसार इलाज शुरु किया जाता है। पेशाब में रुकावट होने के इलाज का मुख्य लक्ष्य रुकावट को ठीक करके पेशाब के बहाव को फिर से चालू करना होता है। इसके लिए अलग-अलग इलाज प्रक्रियाओं की जरूरत भी पड़ सकती है, जो निर्भर करता है कि मूत्रपथ का कौन सा हिस्सा प्रभावित है या रुकावट किस हिस्से में है। यदि मूत्रपथ के किसी हिस्से में संक्रमण के कारण पेशाब में रुकावट हुई है, तो इसका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
कुछ गंभीर मामलों में पेशाब बंद होने का इलाज दवाओं से ठीक नहीं हो पाता है, क्योंकि वह अक्सर रुकावट के कारण होता है। ऐसी स्थिति में निम्न इलाज प्रक्रियाओं की मदद ली जाती है -
सर्जरी - यदि पेशाब में रुकावट मूत्रवाहिनी में कैंसर, ट्यूमर, स्कार ऊतक या फिर कहीं पर मांस बढ़ने के कारण हुई है, तो इस स्थिति का इलाज करने के लिए सर्जरी की मदद लेनी पड़ती है। जब मूत्रवाहिनी के प्रभावित भाग से रुकावट को ठीक कर दिया जाता है, तो पेशाब का बहाव फिर से शुरु हो जाता है।
स्टेंट प्लेसमेंट - किडनी या मूत्रवाहिनी की रुकावट वाली जगह पर स्टेंट लगाना सर्जरी की तुलना में काफी सामान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को काफी छोटे चीरे की मदद से कर दिया जाता है। स्टेंट विशेष तारों की जाली से बनी एक ट्यूब होती है, जिसे किडनी या मूत्रवाहिनी के रुकावट वाले हिस्से पर लगाकर खोल दिया जाता है। यदि स्कार ऊतक बनने के कारण पेशाब की रुकावट हुई है, तो स्टेंट लगाना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है।
कैथीटर नाम की एक पतली व लचीली ट्यूब की मदद से मूत्रवाहिनी के प्रभावित हिस्से पर स्टेंट लगा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को कैथेटराइजेशन कहा जाता है, जिसे करने के लिए आमतौर पर सुन्न करने वाली दवा का इस्तेमाल भी किया जाता है। कुछ मामलों में मरीज को पूरी तरह से बेहोश भी करना पड़ सकता है।
भ्रूण को ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी होने पर उसका इलाज -
यदि गर्भ में पल रहे बच्चे का पेशाब बंद हो गया है, तो डॉक्टर उसका इलाज भी कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भ में पल रहे शिशु के मूत्राश्य में एक शंट या कोई अन्य ड्रेनेज सिस्टम डालेंगे। इसके बाद शंट की मदद मूत्राशय में मौजूद पेशाब एम्नियोटिक सैक (थैली) में आ जाएगा।
गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ऐसी प्रक्रिया सिर्फ तब ही की जाती हैं, जब उसका पेशाब बंद होने पर उसकी किडनी क्षतिग्रस्त होने का खतरा अधिक बढ़ जाए। ज्यादातर मामलों में शिशु के पैदा होने के बाद डॉक्टर उनके गुर्दों की कार्य क्षमता में सुधार कर देते हैं और यदि मूत्रवाहिनी में रुकावट है तो उसे भी ठीक कर देते हैं।