ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस क्या है?
ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) को तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैलती है। यानी जब इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति खांसता या छींकता है तो हवा में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया मिल जाते हैं और किसी अन्य व्यक्ति के इस दूषित हवा में सांस लेने से यह बैक्टीरिया उसके अंदर भी चला जाता है।
यदि इस संक्रमण का इलाज जल्दी नहीं किया जाए, तो यह बैक्टीरिया खून के माध्यम से अन्य अंगों और ऊतकों को संक्रमित कर सकता है। कभी-कभी, यह बैक्टीरिया मेनिन्जेस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को सुरक्षित रखने वाली तीन झिल्लियां) को प्रभावित कर सकता है। यह स्थिति जीवनभर परेशान कर सकती है जिसे मेनिंजियल ट्यूबरकुलोसिस के रूप में जाना जाता है। मेनिंजियल ट्यूबरकुलोसिस को ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस या टीबी मेनिनजाइटिस के रूप में भी जाना जाता है।
ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस के लक्षण
आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, जो कि कुछ हफ्तों में गंभीर हो जाते हैं। संक्रमण के शुरुआती चरणों के दौरान निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे गंभीर हो जाते हैं। मेनिनजाइटिस में अक्सर दिखने वाले लक्षण जैसे कि गर्दन में अकड़न और सिरदर्द, हर मरीज में दिखाई नहीं देते हैं। इसकी बजाय नीचे दिए गए लक्षण दिख सकते हैं:
- बुखार
- उलझन
- मतली और उल्टी
- सुस्ती
- चिड़चिड़ापन
- बेहोशी
ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस का कारण
मेनिंजियल ट्यूबरकुलोसिस एक दुर्लभ समस्या है, जो कुछ ऐसे रोगियों में होती है, जिन्हें या तो ट्यूबरकुलोसिस है या कभी हुआ था। यह बीमारी ऐसे लोगों को भी प्रभावित कर सकती है जो कभी टीबी के बैक्टीरिया के संपर्क में आ चुके हों। इस प्रकार का मेनिनजाइटिस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक विशेष बैक्टीरिया के कारण होता है।
ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस का इलाज
टीबी संक्रमण के उपचार के लिए आमतौर पर चार दवाओं का उपयोग किया जाता है:
- आइसोनियाजिड (बैक्टेरिया से लड़ने वाली एंटीबायोटिक दवा)
- रिफैम्पिन (ट्यूबरकुलोसिस व अन्य प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने वाली एंटीबायोटिक दवा)
- पायराजीनामाइड (ट्यूबरकुलोसिस के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा)
- इथाम्बुटोल (अन्य ट्यूबरकुलोसिस दवाओं के साथ दी जाने वाली)
- डॉक्टर इस बीमारी के लिए स्टेरॉयड लेने की सलाह दे सकते हैं। स्टेरॉयड इस स्थिति से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में सक्षम हैं।
इस बीमारी का इलाज संक्रमण की गंभीरता के आधार पर 12 महीने तक चल सकता है। कुछ मामलों में मरीज को अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत पड़ सकती है।
- टीबी मेनिनजाइटिस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि टीबी के संक्रमण से बचा जाए। बैसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (बीसीजी) वैक्सीन इस बीमारी को फैलने से रोकने में मदद कर सकती है। यह टीका छोटे बच्चों में टीबी इंफेक्शन को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी माना जाता है।
- जो टीबी इंफेक्शन से ग्रस्त हैं, लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं, तो इनका इलाज करना भी बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। ऐसा तब होता है जब टीबी की जांच में टेस्ट पॉजिटिव आता है, लेकिन इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं।
ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस की जटिलताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता हैं, कुछ मामलों में जीवनभर के लिए परेशानी हो सकती है। इनमें दौरे, बहरापन, मस्तिष्क में दबाव बढ़ना, मस्तिष्क को नुकसान पहुंचना और स्ट्रोक शामिल है। इसलिए लक्षणों को देखते ही डॉक्टर के पास जाकर चेकअप कराएं। वे फिजिकल टेस्ट और फैमिली हिस्ट्री के आधार पर इलाज शुरू कर सकते हैं।