ट्राइगोनिटिस क्या है
ट्राईगोन, मूत्राशय (ब्लैडर) का अहम हिस्सा होता है। यह मूत्राशय के निचले हिस्से में स्थित होता है, जो मूत्रमार्ग के मुख (ओपनिंग) के आसपास होता है। यह नलिका मूत्राशय से मूत्र को शरीर के बाहर निकालती है। जब इस हिस्से में सूजन आने लगती है, तो इस स्थिति को ट्राइगोनिटिस कहा जाता है। हालांकि, ट्राइगोनिटिस हमेशा सूजन के कारण नहीं होता है। कभी-कभी यह समस्या ट्राईगोन की कोशिकाओं में मामूली बदलावों के कारण भी हो सकती है। मेडिकल भाषा में, इन बदलावों को 'नॉन-केरेटिनाइजिंग स्क्वैमस मेटाप्लासिया' कहा जाता है। ये बदलाव हार्मोन असंतुलन के कारण होते हैं।
ट्राइगोनिटिस के लक्षण
ट्राइगोनिटिस के लक्षण मूत्राशय से संबंधित अन्य समस्याओं की तरह ही होते हैं, जैसे कि:
- तुरंत पेशाब करने की जरूरत महसूस होना
- पेडू में दर्द
- पेशाब करने में कठिनाई
- पेशाब में दर्द
- पेशाब में खून आना
ट्राइगोनिटिस के कारण
ट्राइगोनिटिस के विभिन्न कारण हैं, जिनमें से कुछ सामान्य कारण निम्न हैं:
- लंबे समय तक कैथेटर का इस्तेमाल करना:
कैथेटर एक नली होती है जिसे मूत्राशय में लगाया जाता है। इससे पेशाब शरीर से बाहर आता है। इसका इस्तेमाल अक्सर किसी सर्जरी के बाद या रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद किया जाता है। जितने लंबे समय तक कैथेटर लगा होगा उतना ही ज्यादा जलन और सूजन का खतरा होगा। इससे ट्राइगोनिटिस की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, कैथेटर को लंबे समय के लिए ही लगाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति कैथेटर का इस्तेमाल कर रहा है तो उसे उचित सावधानी बरतने को लेकर डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
- बार-बार यूरिन इन्फेक्शन होना:
बार-बार यूरिन इन्फेक्शन (यूटीआई) होने की वजह से ट्राइगोन प्रभावित हो सकता है, जिससे लंबे समय तक सूजन व ट्राइगोनिटिस की समस्या हो सकती है।
- हार्मोनल असंतुलन:
ऐसा माना गया है कि स्यूडोमेम्ब्रानस ट्राइगोनिटिस में कोशिकाओं में आने वाले बदलावों में महिला हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन अहम भूमिका निभा सकते हैं। शोध के अनुसार, वयस्क महिलाओं में 40 फीसदी स्यूडोमेम्ब्रानस ट्राइगोनिटिस होता है जोकि पुरुषों की अपेक्षा पांच फीसदी कम है।
ट्राइगोनिटिस के जोखिम
यह बीमारी ऐसी महिलाओं और लोगों में अधिक सामान्य है, जिन्होंने लंबे समय तक कैथेटर (एक खोखली ट्यूब, जिसे मूत्राशय में पेशाब की निकासी के लिए डाला जाता है) का प्रयोग किया हो।
ट्राइगोनिटिस का निदान
निदान के लिए इस बीमारी के लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछा जाएगा। इसके अलावा शारीरिक परीक्षण भी किया जाता है। इसमें शरीर में मौजूद द्रव की जांच की जाती है। इसमें शामिल है:
ट्राइगोनिटिस का इलाज
ट्राइगोनिटिस का इलाज मरीज के लक्षणों पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर आपको निम्न उपचार की सलाह दी जा सकती है:
- यदि पेशाब में बैक्टीरिया हो तो एंटीबायोटिक लेना
- अवसादरोधी दवाओं की कम खुराक लेने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है
- मूत्राशय में ऐंठन से राहत पाने के लिए मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाओं का सेवन
- सूजन को दूर करने वाली दवाएं
- डॉक्टर फुलग्यूरेशन (इलेक्ट्रिक करंट से निकली हीट से असामान्य ऊतक को नष्ट करने की प्रक्रिया) के साथ सिस्टोस्कोपी (मूत्राशय और मूत्र ले जाने वाली नलिका की लाइनिंग की जांच करने की प्रक्रिया) की सलाह भी दे सकते हैं।