टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम क्या है?
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाली एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर मेडिकल स्थिति है। यह तब होता है जब स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया रक्त वाहिका में जाकर उसे दूषित करने लगता है एवं विषाक्त पैदा करता है। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का संबंध उन महिलाओं से है जिन्हे मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्त्राव होता है लेकिन यह स्थिति पुरुषों, बच्चों और सभी उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकती है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में यह लक्षण अचानक दिखने लगते हैं। इस स्थिति के सामान्य संकेतों में निम्न शामिल हैं:
- अचानक बुखार आना
- लो बीपी
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- उलझन में रहना
- दस्त
- जी मिचलाना
- उल्टी
- त्वचा पर चकत्ते
- आंखों, मुंह और गले में लालिमा
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कारण
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया द्वारा निर्मित एक जहर के कारण होता है। यह बैक्टीरिया उन विभिन्न स्टैफ बैक्टीरिया में से एक है जो जले हुए और सर्जरी के बाद अस्पताल में रहने वाले मरीजों में त्वचा संक्रमण पैदा करता है। आमतौर पर संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया त्वचा पर लगे किसी कट या घाव के जरिए शरीर में प्रवेश करता है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के जोखिम
अगर हाल ही में आपकी त्वचा जली है या आपकी स्किन इन्फेक्शन या सर्जरी हुई है तो आपको टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का खतरा हो सकता है। इसके अलावा निम्न परिस्थितियों में भी यह बीमारी हो सकती है:
- हाल ही में डिलीवरी हुई हो
- गर्भावस्था को रोकने के लिए गर्भनिरोधक लेना (और पढ़ें - आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों के नुकसान)
- त्वचा पर लगे घाव का खुला रहना
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का इलाज
यदि कोई व्यक्ति टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से ग्रस्त है, तो उसे अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए।
- डॉक्टर संक्रमण का कारण जानने के बाद एंटीबायोटिक दवाएं दे सकते हैं।
- यदि मरीज का बीपी लो है तो बीपी को स्थिर करने के लिए दवा दी जाती है और अगर शरीर में पानी की कमी हो गई है तो उसे दूर करने के लिए तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
- टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के अन्य संकेतों और लक्षणों के इलाज के लिए सहायक उपचार दिया जाता है।
- स्टैफ या स्ट्रेप बैक्टीरिया द्वारा पैदा किए गए विषाक्त पदार्थों और लो बीपी की वजह से किडनी फेल हो सकती है। यदि किडनी फेल हो जाती है, तो मरीज को डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है।